मलेशिया के पाम ऑयल पर बैन: उधर मलेशिया के लिए सबक, इधर भारतीय रिफाइनर्स को मिलेगा फायदा

पाम ऑयल

मलेशिया के बूढ़े प्रधानमंत्री 94 वर्षीय महातिर मोहम्मद ने पहले कश्मीर और उसके बाद जिस तरह CAA के मुद्दे पर भारत सरकार की आलोचना की है, उसके बाद मलेशिया को सबक सिखाने के लिए भारत सरकार ने अब मलेशिया से आयात होने वाले पाम ऑयल पर पूर्णतः प्रतिबंध लगाने का निर्णय लिया है। हालांकि, भारत के इस कदम से सिर्फ मलेशिया को सबक ही नहीं मिलेगा बल्कि इससे भारतीय किसानों को भी बड़ा फायदा होगा। भारत में मलेशिया के पाम ऑइल की अधिक मात्रा होने की वजह से भारतीय रिफाइनर्स को नुकसान उठाना पड़ रहा था। अब माना जा रहा है कि सरकार के इस कदम से भारतीय रिफाइनर्स को भी बड़ा फायदा पहुँच सकता है। यानि भारत ने अपने एक ही तीर से दो निशाने लगाने का काम किया है।

भारत में कुल आयात होने वाले खाद्य तेल का लगभग 2 तिहाई हिस्सा पाम ऑयल का ही होता है। भारत साल में 90 लाख टन पाम ऑइल इम्पोर्ट करता है और अधिकतर मलेशिया और इंडोनेशिया ही भारत को पाम ऑयल एक्सपोर्ट करते हैं। भारत में पाम ऑइल की कुल खपत का लगभग 97 प्रतिशत हिस्सा इम्पोर्ट ही किया जाता है।

भारत ने अपनी ओर से मलेशिया को भारत में पाम ऑयल एक्सपोर्ट करने में कई सालों तक छूट दे रखी थी जिसकी वजह से मलेशिया का ऑइल एक्सपोर्ट बहुत बढ़ गया था। मलेशिया से पाम ऑयल एक्सपोर्ट वर्ष 2016-17 में 6 लाख मीट्रिक टन से बढ़कर वर्ष 2019 की शुरुआत में लगभग 26 लाख मीट्रिक टन हो गया था।

भारत में मिठाई से लेकर, नमकीन, ब्रैड, बिस्किट और नूडल्स तक, इन्हें पकाने में पाम ऑयल का इस्तेमाल किया जाता है। ये सस्ता पड़ता है और साथ ही कई बार उस तेल को इस्तेमाल कर लिया जाता है। वनस्पति तेल भी पाम ऑइल से ही निकाला जाता है।

मलेशिया से पाम ऑयल इम्पोर्ट करने से भारत पर इसका कोई असर नहीं पड़ेगा क्योंकि भारत को इंडोनेशिया पाम ऑइल एक्सपोर्ट करने को इच्छुक है। इसके अलावा भारत अर्जेन्टीना से सोया तेल और यूक्रेन से सूरजमुखी तेल इम्पोर्ट कर सकता है। भारत के इस कदम से मलेशिया की अर्थव्यवस्था को बड़ा नुकसान पहुंच सकता है।

मलेशिया और भारत के रिश्ते वैसे तो अच्छे ही रहे हैं, लेकिन जब से 94 वर्ष के महातिर मोहम्मद देश के प्रधानमंत्री बने हैं, तभी से मलेशिया और भारत के रिश्तों में तनाव बना हुआ है। पहले कश्मीर और फिर CAA, भारत के खिलाफ बेतुके बयान देने की वजह से मलेशिया की मीडिया और लोग भी अपने प्रधानमंत्री की जमकर आलोचना कर रहे हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि अमेरिका और चीन के बीच जारी ट्रेड वॉर के कारण पहले ही मलेशिया की अर्थव्यवस्था को बड़ा नुकसान पहुंचा है और ऐसे में मलेशिया के पीएम द्वारा भारत के खिलाफ बयान देना इस देश को आर्थिक आपातकाल के मुहाने पर खड़ा कर सकता है।

अब महातिर मोहम्मद के बेवकूफाना बयानों की मार मलेशिया की आम जनता को झेलनी पड़ेगी, और इसलिए यही अच्छा होगा कि मलेशिया के लोग जल्द से जल्द इस बूढ़े प्रधानमंत्री से छुटकारा पा लें।

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