हाल ही में फिल्म समीक्षक पोर्टल Film Companion ने एक वीडियो अपने ट्विटर अकाउंट पर पोस्ट किया, जो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया। इस वीडियो में फिल्म क्रिटिक अनुपमा चोपड़ा सैफ अली खान का इंटरव्यू ले रही थीं, जहां वे अपने आगामी फिल्म ‘जवानी जानेमन’ और अपने करियर के बारे में कुछ निजी बातें भी साझा कर रहे थे।
परंतु यह वीडियो जल्द ही विवादों के घेरे में आ गया, क्योंकि जब सैफ अली खान से पूछा गया कि तान्हाजी के ऐतिहासिक पहलू पर उनकी क्या राय है, तो सैफ ने कहा, “मैं नहीं मानता कि जो तान्हाजी में दिखाया गया है, वो वास्तविक इतिहास है”। परंतु वे वहीं नहीं रुके, उन्होंने यहां तक कह दिया, “मैं नहीं मानता कि अंग्रेज़ों से पहले इंडिया नाम के देश का कोई अस्तित्व हुआ करता था”।
बाद में पता चला कि उन्होंने राजीव मसन्द को दिये गए इंटरव्यू में अपने विचारों से यू टर्न लिया था, जहां पर उन्होंने अजय देवगन की हाँ में हाँ मिलाते हुए कहा था कि अंग्रेजों ने हमारे इतिहास को दबाने का भरसक प्रयास किया था। रोचक बात तो यह है कि इंटरव्यू में स्वयं सैफ अली खान ने अपने आप को ‘हिस्ट्री बफ’ बताया।
जब सैफ ने अपने बच्चे का नाम तैमूर रखा था, तब लोगों का यही विचार था कि चूंकि सैफ और उनकी पत्नी करीना इतिहास से अनभिज्ञ हैं, इसलिए उन्होंने अपने बेटे का नाम विश्व के सबसे खूंखार तानाशाहों में से एक, तैमूर के नाम पर रखा। परंतु अब चूंकि सैफ स्वीकार चुके हैं कि वे इतिहास में रुचि करते हैं, तो ये बात तो निस्संदेह अटपटी लगेगी कि उन्होंने अपने बच्चे का तैमूर का नाम यूं ही क्यों रखा था।
अब तैमूर के बारे में जिन्हे नहीं पता है, उन्हें बता दें कि तैमूर एक क्रूर और बर्बर आक्रांता था, जिसकी तानाशाही के आगे हिटलर और स्टेलिन जैसे तानाशाह भी बौने सिद्ध होंगे। तैमूर न केवल एक क्रूर हत्यारा था, अपितु उसने अपने आप को ‘इस्लाम के तलवार’ यानि इस्लाम के सबसे वफादार सिपाही की उपाधि भी दी थी।
अपने पैंतीस वर्ष के शासन में तैमूर ने लगभग 1 करोड़ 70 लाख लोगों की निर्ममता से हत्या की थी, जो उस समय के वैश्विक जनसंख्या का लगभग 5 प्रतिशत हुआ करता था। 1398 में जब भारत पर तैमूर ने आक्रमण किया था, तो उसने बलूच, पंजाब, सिंध एवं कश्मीर में बड़े पैमाने पर रक्तपात किया था, और न जाने कितने हिन्दू एवं गैर-मुस्लिम लोग उसके तलवार की बलि चढ़ गए थे। कश्मीर में जब उसने कटोर क्षेत्र में आक्रमण किया था, तो सभी पुरुषों को बर्बरता से मार दिया गया था, वहीं महिलाओं और बच्चों को युद्ध बंदी बना लिया गया था।
रक्तपात का यह तांडव तैमूर के काफिले के साथ बढ़ता ही गया, और फिर भटनेर, सरसुती और पानीपत में भीषण रक्तपात को अंजाम देते हुए दिल्ली में अपना कदम रखा। यहाँ उसने असंख्य हिंदुओं को मौत के घाट उतारा, उनकी संपत्ति लूटी, नगरों को आग के हवाले कर दिया और महिलाओं और बच्चों को युद्ध बंदियों के तौर पर उठाकर ले गया।
परंतु तैमूर ने सबसे बर्बर हमला दिल्ली के निकट स्थित लोनी नामक क्षेत्र में किया था। एक लाख से ज़्यादा हिंदुओं को मार दिया गया था, जिसके बारे में आज भी बात करने से कई इतिहासकार कतराते हैं। इस रक्तपात के बारे में स्वयं तैमूर ने लिखा था, “युद्ध के उस सुनहरे दिन एक लाख बंदियों को हम ऐसे ही नहीं छोड़ सकते थे, क्योंकि ये जंग के नियमों के विरुद्ध जाता, और मैं इन बुतपरसतों को ऐसे ही नहीं जाने दे सकता था। मेरे पास इन्हें मारने के अलावा और कोई विकल्प नहीं बचा था”।
भारत में हिंदुओं पर तैमूर ने जिस तरह से अत्याचार ढाये, उसके बाद ऐसा कोई कारण नहीं बनता कि सैफ अली खान जैसा व्यक्ति, जो खुद को ‘हिस्ट्री बफ़’ भी कहें पर अपने बच्चे का नाम इस क्रूर आक्रांता के नाम पर रख दें। इसका मतलब तो यही हुआ कि वो भावी पीढ़ी के मस्तिष्क में तैमूर नाम पर किसी क्रूर शासक की बजाय एक छोटे से बच्चे की तस्वीर उभरे। जबकि सैफ अली खान इस बात से अनभिज्ञ नहीं हैं कि तैमूर से सिर्फ गैर मुस्लिम ही नहीं, बल्कि मुसलमान भी थर थर काँपते थे। बग़दाद पर कब्जा करने के बाद इस क्रूर शासक ने 20000 से ज़्यादा लोगों को मौत की नींद सुलाया था।
ऐसे में ये बड़ी विचित्र बात है कि जो व्यक्ति अपने आप को हिस्ट्री बफ़ कहता हो, वो इतने लोगों को मौत के घाट उतारने वाले तानाशाह के नाम पर अपने बेटे का नाम रख देता हो। मीडिया भी आये दिन नवाब के बेटे को बढ़ा-चढ़ा कर खबरों में दिखाती है वो भी केवल टीआरपी के लिए। अब चूंकि सैफ अली खान ने स्वीकार लिया है कि वे इतिहास में रुचि रखते हैं, तो उनका अपने बेटे का नाम इस क्रूर आक्रांता के नाम पर रखना उस क्रूर कसाई को महिमामंडित करने के एक बचकाने प्रयास को भी दर्शाता है।