“मैं NRC से डरी हुई हूं” Document ना होने की बात कहकर बुरी फंसी स्वरा भास्कर, सोशल मीडिया ने जमकर धोया

इन्हें हर जगह उंगली करने की आदत है

स्वरा भास्कर

भारत में कई लोग विभिन्न गुणों के कारण किसी न किसी पदवी के लिए प्रबल दावेदार है। परंतु यदि हमारे देश में सफ़ेद झूठ की पुरोधा होने के लिए किसी पुरस्कार की घोषणा की जाती है, तो उसकी विजेता निर्विरोध रूप से सिर्फ एक व्यक्ति ही होगी : स्वरा भास्कर।अब जिन्हें नहीं पता कि स्वरा भास्कर किस चिड़िया का नाम है, बड़े खुशनसीब हो तुम लोग, तुम्हें पर्सनली भगवान वैकुंठ ले जाएंगे। ये कहने को अभिनेत्री हैं, पर राजनीति से लेकर स्पोर्ट्स तक, सब पर पड़ोस की नकचढ़ी आंटी की भांति ज्ञान देती फिरती हैं, चाहे खुद कुछ न पता हो।

हाल ही में स्वरा भास्कर एनआरसी पर मीडिया के सामने कुछ ज़्यादा ही भावुक हो गयी, और उन्होंने बताया कि कैसे एनआरसी लागू होने पर उनके जैसे लोगों का भारत में रहना असंभव हो जाएगा। उनके अनुसार, “डर तो लगेगा ही। मेरे पास तो कुछ है ही नहीं। मेरे पास कोई डिग्री नहीं है, मेरे पास बर्थ सर्टिफिकेट नहीं है, मेरे पास बाप दादा के प्रॉपर्टी के कागज नहीं है। मेरा नाम एनआरसी से छूट गया तो?”

अब इससे पहले कि हम सोशल मीडिया की इस पर प्रतिक्रिया गिनाए, आइये स्वरा भास्कर के बैकग्राउंड पर एक कृपादृष्टि डालते हैं। स्वरा भास्कर के पिता कमोडोर चित्रापु उदय भास्कर हैं, जो भारतीय नौसेना के एक जाने माने अफसर रह चुके हैं और सामरिक मामलों के विशेषज्ञ भी माने जाते हैं। स्वरा महोदया ने दिल्ली विश्वविद्यालय के मिरान्डा हाउस कॉलेज से स्नातक और जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय से समाज शास्त्र में परास्नातक भी किया है।

अब सवाल यह उठता है कि यदि स्वरा भास्कर के पास न डिग्री है, न पासपोर्ट, न बर्थ सर्टिफिकेट और न ही बाप दादा के जमाने के कागज, तो उन्होने इन संस्थानों में प्रवेश कैसे किया? माना कि आप सीएए की धुर विरोधी हो, पर इतना सफ़ेद झूठ? आपको सुविधा भी सारी चाहिए, आपको छोटे छोटे बच्चों को भद्दी गालियों से संबोधित करने की आज़ादी भी चाहिए, आप लाईमलाइट के बिना एक सेकंड नहीं रह सकती, और आपको अपनी नागरिकता का प्रमाण के लिए कोई कागज भी नहीं दिखाना! ऐसे कैसे चलेगा स्वरा जी?

स्वरा भास्कर के इस legendary concern पर सोशल मीडिया ने जमकर खिल्ली उड़ाई। इसी मुद्दे पर बोलते हुए सद्गुरु जग्गी वासुदेव ने एक बार कहा था, “यह [NRC] सबके लिए है, सबको पंजीकरण कराना पड़ेगा। अब आपको कई विकल्प दिये जा रहे हैं। सरकार ने कहा जन्म प्रमाणपत्र दिखाओ। वो कहते हैं नहीं देंगे।

सरकार कहती है चलो स्कूल के ही कागज दिखा दो, वो कहते हैं हम तो स्कूल गए ही नहीं। उन्होने कहा राशन कार्ड दिखाओ, हमारे पास तो है ही नहीं। आधार कार्ड दिखाओ, वो भी नहीं है, तो आप हो कौन? अगर इनमें से कुछ भी नहीं है, तो भी प्रावधान है कि तीन गवाह पेश करो, जो आपको लंबे समय से जानते हो, तो यहाँ भी कहते हैं कि हमारे पास गवाह भी नहीं है, तो हो कौन?”

परंतु ठहरिए, स्वरा भास्कर ऐसी पहली बॉलीवुड सेलेब्रिटी नहीं है जिनहोने सीएए पर ऐसी अज्ञानता का प्रदर्शन किया हो। जब सीएए के विरोध में बॉलीवुड के वामपंथी गुट ने अगस्त क्रांति मैदान में 19 दिसंबर को प्रदर्शन किया था, तो फरहान अख्तर और जिम सार्भ जैसे कलाकारों से बातचीत के दौरान उनकी अज्ञानता सबके समक्ष उजागर हुई। दोनों को पता नहीं था कि सीएए का अर्थ है, इसके क्या प्रावधान हैं, पर दोनों इसलिए विरोध कर रहे थे, क्योंकि उनके अनुसार ‘इतने सारे लोग विरोध कर रहे थे थे।’

अब यह तो वही बात हो गयी कि फलाना बंदा कुए में कूदा, और यह लोग सिर्फ उसका साथ देने के लिए कूद पड़े, और यह बात मुंह पर बोलो तो फरहान अख्तर और स्वरा भास्कर किसी सड़कछाप गुंडे की तरह बदतमीजी करने लगेंगे, जैसे स्वरा ने सद्गुरु की प्रतिक्रिया पर किया –

इसी विषय पर सीआरपीएफ़ में डेप्युटी एसपी के पद पर तैनात अफसर कश्यप कडागत्तूर ट्वीट करते हैं, “अज्ञानता का एक बेजोड़ नमूना। कम से कम विराट कोहली से ही कुछ सीख लेती। यदि ज्ञान नहीं है, तो कम से कम कुछ बोलें नहीं। एक पब्लिक पर्सनलिटी होकर आप अपने स्वभाव में इतनी अपरिपक्व नहीं हो सकती। इससे साफ पता चलता है कि स्वरा भास्कर ने एक्ट को बिलकुल नहीं पढ़ा है, जो बेहद गैर जिम्मेदराना व्यवहार है” –

बचपन में दादी माँ हमें एक कहानी सुनाया करती थी कि एक व्यक्ति को इसलिए एक साम्राज्य ने तीस मार खान की पदवी दी थी, क्योंकि उसने तीस योद्धाओं को अकेले ही मार गिराया। परंतु उसने तीस योद्धा नहीं, तीस मक्खियाँ अपने हाथ से मारी थी, और इसलिए उसका नाम तीस मार खान पड़ा। स्वरा भास्कर जैसे लोग यही तीस मार खान है, जिनहे लाईमलाइट तो खूब जाती है, पर इनके वास्तविक उपलब्धियों को बताने में कोई व्यक्ति भी अपना सर खुजलाने पर मजबूर हो जाएगा।

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