सीएए पर दिल्ली में विरोध प्रदर्शन थमने का नाम ही नहीं ले रही है। इसी बीच में जामिया के आसपास विरोध प्रदर्शनों में एक नाटकीय मोड़ ले लिया, जब एक सिरफिरे लड़के गोपाल शर्मा ने कट्टा लहराते हुए फायरिंग हुई, जिसमें एक प्रदर्शंकारी कथित रूप से घायल हो गया। फिलहाल उस सिरफिरे को हिरासत में लिया गया है, और केस की कमान दिल्ली पुलिस के क्राइम ब्रांच को सौंपी गयी है।
परंतु इस बीच मीडिया ने इस केस को मद्देनजर रखते हुए जो रायता फैलाया, उससे सिद्ध हो गया कि वे वास्तव में इस केस के प्रति कितने संवेदनशील है। इससे पहले भी शाहीन बाग में एक व्यक्ति ने विरोध प्रदर्शनों में बंदूक लहराई थी, परंतु उसका नाम सार्वजनिक होते ही सभी वामपंथियों की ज़ुबान को मानो लकवा मार गया था। गोपाल शर्मा के केस ने यह सिद्ध कर दिया कि टीआरपी के लिए मीडिया किस तरह नैतिकता के साथ साथ कॉमन सेंस की भी बलि चढ़ाई जाती हैं।
हाल ही में गोपाल शर्मा नामक एक सिरफिरे किशोर ने जामिया परिसर के आसपास कट्टा लहराया था, और उससे चली गोली में एक प्रदर्शनकारी कथित रूप से घायल हुआ था। इस सिरफिरे किशोर ने कहा था, ‘ये लो आज़ादी!’। बस, इस बात के मीडिया में खबर में आते ही क्या मीडिया क्या बुद्धिजीवी, सभी ने गोपाल के फेसबुक अकाउंट के आधार पर हिन्दू आतंकवाद चिल्लाना शुरू कर दिया। इस घटना को अनुराग ठाकुर के उस बयान से जोड़ा जाने लगा, जहां एक रैली को संबोधित करते हुए कहा था, ‘देश के गद्दारों को’, और जनता ने प्रत्युत्तर में कहा, ‘गोली मारो सालों को!’ –
शब्दों का असर देखिए
केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने नारा लगाया
“देश के ग़द्दारों को
गोली मारो ………”आज जामिया में CAA के ख़िलाफ़ प्रदर्शन हो रहा था , वहाँ युवक ने गोली चला दीं.pic.twitter.com/L5GwBOQQwS
— Milind Khandekar (@milindkhandekar) January 30, 2020
इतना ही नहीं, ट्विटर पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते वक्त इस बात पर पूरा ध्यान दिया गया कि गोपाल शर्मा को उसके फेसबुक नाम, राम भक्त गोपाल के नाम से ही बुलाया जाये। #RamBhakt Gopal, #रामगोपाल_हिन्दुत्वआतंकवादी जैसे ट्रेंड ट्विटर पर चलाये जाने लगे।
https://twitter.com/Jamesthebason/status/1222921469929213952?s=20
#गोपाल_हिंदुत्वआतंकवादी
The first terrorist of independent India was a Hindu and his full name is Nathu Ram Godse. From there his (terrorism) began. pic.twitter.com/SZBIAvMPJw— AbuUmar (@AbuUmar00205590) January 30, 2020
परंतु जैसे ही घटना की तस्वीरें सामने आई, मीडिया के सारे किए कराये पर पानी फिर गया। एक तो राम गोपाल कोई पिस्तौल नहीं, बल्कि एक कट्टा चला रहे थे, और एक वीडियो में तो यह भी सामने आया कि जैसे जैसे वो सिरफिरा किशोर आगे बढ़ रहा था, मीडिया भी उसी की दिशा में बढ़ रहा था, मानो वो लड़का फोटो शूट के लिए आया हो।
इसके अलावा सोशल मीडिया अकाउंट से यह भी पता चल गया कि गोपाल शर्मा ने सिरफिरे एक्टर एजाज खान और भीम आर्मी के सरगना चन्द्रसेखर रावण के फेसबुक पेज और अकाउंट भी लाइक किए थे, और कुछ ही देर बाद बड़ी ही संदिग्ध परिस्थितियों में उसका अकाउंट डिसएबल हो गया –
Terrorist Gopal is a member of the Bajrang Dal, which is part of the RSS
The Sangh Parivar's Terrorists are announcing on Facebook and shooting at people right in front of the police in Delhi
Terrorism and Fascism in full display in India. pic.twitter.com/cyA9dXRXj0
— Srivatsa (@srivatsayb) January 30, 2020
अब ऐसे ही एक अन्य केस पर मीडिया की प्रतिक्रिया देखिये। शाहीन बाग में जब एक अन्य व्यक्ति ने पिस्तौल हवा में लहराई, तो ऐसे ही मीडिया और बुद्धिजीवियों के समूह ने अनुराग ठाकुर को घेरना शुरू ही किया था कि पता चला कि आरोपी का नाम मोहम्मद लुक़मान चौधरी है। इतना ही नहीं, ये भी सामने आया कि इस व्यक्ति का उसी क्षेत्र के आम आदमी पार्टी के पार्षद अब्दुल मजीद खान से संबंध है। पार्षद अब्दुल के अनुसार, “इस व्यक्ति का मुझसे या पार्टी से कोई लेना देना नहीं है। वो व्यक्ति [मोहम्मद लुक़मान चौधरी] अपने आप विरोध प्रदर्शन के स्थल गया और वहाँ पर उसने बवाल मचाया”। इस पर मीडिया को मानो साँप सूंघ गया और वे चुपके चुपके रास्ता नापते हुए दिखाई दिये।
एक समान ऐसे दो केस हुए, परंतु विरोध किस्में ज़्यादा हुआ? जहां आरोपी मोहम्मद लुक़मान चौधरी नहीं, गोपाल शर्मा था। इससे स्पष्ट पता चलता है कि मीडिया का उद्देश्य एक बार फिर गोपाल की आड़ में कठुआ कांड, गुजरात 2002 के दंगों की भांति सारे हिन्दू धर्म को दोषी बनाना और हिन्दू आतंकवाद के सिद्धान्त को दोहराना। परंतु जैसे ही मीडिया ने हिन्दू आतंकवाद ट्विटर पर ट्रेंड कराया, उनकी पोल खुल गयी, और सोशल मीडिया पर यूज़र्स ने मीडिया के वामपंथी गुट की जमकर आलोचना भी की।
एक सोशल मीडिया यूजर ने फेसबुक पर बड़ा ही सटीक observation किया था। वे लिखते हैं, “गोपाल ने जो किया गलत था, कानूनी तौर पर उस पर सख्त कार्यवाही की जानी चाहिएपरंतु अगर उसकी जगह शरजील, उमर खालिद हथियार उठाता तो –
वो भटका हुआ नौजवान है, वो नाबालिग़ है, वो बहुत गरीब परिवार से आता है। नागरिकता संशोधन एक्ट ने उसे यह करने को मजबूर कर दिया। वह बेरोजगारी से तंग था। अपने गिरेबान में झांकिये कि दूसरों पर उंगली उठाने से पहले आप कितने पानी में हैं”।
कुल मिलाकर मीडिया ने केवल पक्षपाती खबर को तूल दिया वो भी केवल टीआरपी और अपना एजेंडा साधने के लिए जो बेहद शर्मनाक है ।