भारत में आपका स्वागत है राष्ट्रपति बोलसेनारो: ब्राज़ील के साथ भारत ने Latin America पर धाक जमाने की कोशिश शुरू कर दी है

ये हुआ न masterstroke!

ब्राज़ील

PC: Indian Express

विश्व की राजनीति अब सिमटती जा रही है, सभी देश अपने जैसे देशों के साथ संबंध बढ़ा रहे हैं। इसी का एक उदाहरण हमें देखने को मिल रहा है जब भारत ने ब्राज़ील को अपने गणतन्त्र दिवस के अवसर के लिए मुख्य अतिथि के रूप में बुलाया। भारत के अन्य देशों से सम्बन्धों को देखें तो लैटिन अमेरिकी देशों में भारत का ब्राज़ील के साथ ही संबंध सबसे अच्छा रहा है।

बता दें ब्राजील के राष्ट्रपति जेयर मेसियास बोलसोनारो गणतंत्र दिवस समारोह में मुख्य अतिथि के तौर पर हिस्सा लेने के लिए शुक्रवार को चार दिवसीय यात्र पर भारत आये थे। राष्ट्रपति पद का कार्यभार संभालने के बाद बोलसोनारो की यह पहली भारत यात्र है।

भारत का लैटिन अमेरिकी देशों में ब्राज़ील के अलावा अर्जेंटीना, मेक्सिको, वेनेजुएला तथा अन्य देशों से भी संबंध है, लेकिन अन्य देशों से भारत के संबंध उतने गहरे नहीं हैं जितने की ब्राज़ील से हैं। अब गणतन्त्र दिवस पर बोलसोनारो का आना भारत और ब्राज़ील के प्रगाढ़ होते संबंधो को दिखाता है।

प्रधानमंत्री के रूप में, मोदी ने केवल तीन बार लैटिन अमेरिका का दौरा किया है। इसमें से दो यात्राएं तो छठवीं ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के दौरान और अर्जेंटीना में 13 वें G 20 शिखर सम्मेलन के अवसर पर। इस कारण अन्य देशों से भी संबंध उतनी मधुरता से नहीं बढ़े।

वेनेजुएला के साथ भारत के जुड़ाव Non-Aligned Movement के दौर से ही है, लेकिन हाल की घटनाओं के बाद इस देश पर USA द्वारा प्रतिबंध लगाए जाने के बाद भारत ने भी दूरी बनाई है। वहीं भारत का मेक्सिको के साथ संबंध energy sector तक ही सीमित  है वहीं अर्जेंटीना का चीन की तरफ अधिक झुकाव रहा है।

ऐसी स्थिति में ब्राजील ही एक मात्र देश बचता है जहां भारत ने अपने संबंधो को लगातार सुधारा है। भारत और ब्राजील के बीच कूटनीतिक संबंध स्वतन्त्रता के बाद वर्ष 1948 में स्थापित हो गए थे। दोनों देशों को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर ‘बढ़ती शक्तियों’ के रूप में माना जाता है। ब्रिक्स और IBSA (भारत ब्राज़ील और दक्षिण अफ्रीका) जैसे उभरते बहुपक्षीय समूहों में सहयोग के कारण, इन दोनों देशों का आपसी संबंध भी बढ़ा है।

भारत का ब्राजील के साथ व्यापार 20 प्रतिशत से अधिक बढ़ा है और 2014-15 में 11 बिलियन अमेरिकी डॉलर से थोड़ा अधिक बढ़ा था। वहीं इन दोनों देशों का द्विपक्षीय व्यापार 2017-18 में केवल 8.50 बिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक हो गया।

 

भारत और ब्राजील के बीच दोतरफा निवेश हुआ है। हालांकि, ब्राजील की कंपनियों ने भारत में आईटी, आटोमोबाइल, खनन, ऊर्जा, जैव ईंधन, फुटवियर जैसे क्षेत्रों में निवेश किया है, भारतीय कंपनियों ने ब्राजील में आईटी, भेषज पदार्थ, ऊर्जा, कृषि व्यवसाय, खनन, इंजीनियरिंग / आटो जैसे क्षेत्रों में निवेश किया है। टी सी एस, विप्रो, इंफोसिस, कैडिला, महिंद्रा, लार्सन एंड टर्बो, रेणुका सुगर, यूनाइटेड फास्फोरस, पोलारिस जैसी भारतीय कंपनियों की ब्राजील में उपस्थिति है। भारत में ब्राजील की जिन कंपनियों की मौजूदगी है उनमें मार्कोपोलो (आटोमोबाइल), वेल (खनन क्षेत्र की सबसे बड़ी कंपनी), स्टेफानिनी (आईटी), गेरडाउ (स्टील) शामिलत्र हैं। ब्राजील में भारतीय कंपनियों द्वारा कुल अनुमानित निवेश 5 बिल्रियन अमरीकी डालर के करीब पहुंच गया है।

ब्राजील दक्षिण अमेरिकी देशों में सबसे मजबूत अर्थव्‍यवस्‍था वाला देश है। इसके अलावा ये तीसरा मौका है कि जब गणतंत्र दिवस के मुख्‍य अति‍थी के तौर पर ब्राजील के राष्‍ट्रपति इस समारोह में शामिल हो रहे हैं। इससे पहले 1996 में राष्‍ट्रपति फरनांडो हेनरिक कारडोसोर और 2004 में राष्‍ट्रपति लुइज इनासियो लूला ड सिल्‍वा भी गणतंत्र दिवस में बतौर मुख्‍य अतिथी बनकर समारोह की शोभा बढ़ा चुके हैं।

गणतंत्र दिवस समारोह से इतर भी ब्राज़ील के मौजूदा राष्ट्रपति बोलसोनारो का यह भारत दौरा काफी अन्य क्षेत्रों में संबंध के लिए और अधिक मायने रखता है। इस दौरे के दौरान दोनों देशों के बीच विभिन्‍न क्षेत्रों में करीब पंद्रह समझौतों पर हस्‍ताक्षर हो सकते हैं। माना जा रहा है कि यह समझौते दोनों देशों के बीच भविष्‍य के मजबूत रिश्‍तों की नींव रखने में काफी सहायक साबित होंगे। इस समझौतों में ऊर्जा, कृषि और रक्षा सौदे शामिल हैं।

दोनों देश यूएनएससी की स्थायी सदस्यता चाहते हैं और एक दूसरे का इस विषय में समर्थन करते हैं। दोनों देश मानते हैं कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में विकासशील देशों की भागीदारी हो क्योंकि दोनों का यह मानना यूएनएससी को अधिक लोकतांत्रिक, वैध और प्रतिनिधि होना चाहिए। भारत को चाहिए कि ब्राज़ील जैसे देश के साथ अपने संबंध तो प्रगाढ़ करे ही, इसके साथ-साथ अन्य लैटिन अमेरिकी देशों से भी अपने सम्बन्धों को सुधारे ताकि भारत का प्रभुत्व और अधिक बढ़े।

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