अब Electric गाड़ियों में मौज से घूमिएगा, अपने देश में ही लिथियम का 14100 टन का भंडार मिला है

लिथियम, इलेक्ट्रिक वाहन, बैट्री

पृथ्वी पर बढ़ते प्रदूषण से सभी देश त्रस्त हैं और इसे कम करने के नए नए तरीके ढूँढे जा रहे हैं। एक ओर भारत जहां अपना फॉरेस्ट कवर बढ़ाने पर ज़ोर दे रहा है तो वहीं सोलर पावर के क्षेत्र में भी भारत ने अविश्वासनीय विकास प्रक्रिया को अपनाया है। इन दो क्षेत्रों के अलावा देखें तो इलेक्ट्रिक विहिकल पर भी भारत सरकार ने ज़ोर दिया है। अब इस क्षेत्र एक नया क्रांति आने की संभावना बढ़ गयी है और कारण है लिथियम का एक नया भंडार।

कर्नाटका राज्य के बेंगलुरु से लगभग 100 किलोमीटर दूर मांड्या में इलेक्ट्रिक व्हीकल्स की बैटरी में इस्तेमाल होने वाले लिथियम का भंडार मिला है। अगर देखा जाए तो यह किसी खजाने से कम नहीं है। वैज्ञानिकों का अनुमान है कि यह भंडार 14,100 टन का हो सकता है। इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस में एमिरेट्स प्रोफेसर और बैटरी टेक्नोलॉजी के एक्सपर्ट का कहना हैं कि अब तक प्राप्त जानकारी के मुताबिक मांड्या में आधे से 5 किलोमीटर तक के दायरे में लगभग 30,300 टन एलआई20 उपलब्ध होने का अनुमान है, जो लिथियम मेटल के लगभग 14,100 टन के बराबर है। यह भी हो सकता है कि खुदाई करने पर इस क्षेत्र में अनुमान से अधिक लिथियम मौजूद हो जिसका अंदाजा अभी नहीं लगाया जा सका है।

वर्तमान में भारत अपनी सभी जरूरतों के लिए लिथियम का आयात करता है। वित्त वर्ष 2019 में $ 1.2 बिलियन की लिथियम बैटरी का आयात किया गया, तो वहीं वित्त वर्ष 2017 में 384 मिलियन डॉलर का आयात किया गया था। 2 फरवरी को संसद में विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्री हर्षवर्धन ने बताया था कि 8 महीने से नवंबर 2019 तक, देश ने कुल 929 मिलियन डॉलर की लिथियम बैटरी का आयात किया था।

बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार भारत में स्वच्छ ऊर्जा वाहनों को बढ़ावा देने के लिए कड़ी मेहनत कर रही है, और इस दिशा में सरकार ने कई कदम उठाया है। इसमें इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए 1.4 बिलियन का एक विनिर्माण केंद्र बनाने की भी योजना शामिल है। वहीं नीति आयोग ने अगले 10 साल में लिथियम आयन बैटरियों के लिए 10 बड़ी फैक्ट्रियां बनाने का लक्ष्य तय किया है। देश में लिथियम मिलने से इलेक्ट्रिक वाहनों में इस्तेमाल बैटरियों की लागत कम हो सकती है।

इलेक्ट्रिक वाहनों में लाग्ने वाली लिथियम-आयन बैटरी के लिए सबसे महत्वपूर्ण धातु लिथियम है। आने वाले समय में प्रदूषण से छुटकारा पाने के लिए इलेक्ट्रिक वाहनों का इस्तेमाल बढ्ने वाला है और इस वजह से लिथियम की मांग भी आसमान छूने वाली है। बता दें की स्मार्टफोन में केवल 3 ग्राम का लिथियम उपयोग किया जाता है, वहीं इलेक्ट्रिक वाहन में 10 किलोग्राम लिथियम का उपयोग किया जाता है। यह अनुमान है कि 2020 के अंत तक भारतीय सड़कों पर 6-7 मिलियन इलेक्ट्रिक वाहन चलेंगे, और 2030 तक भारत के सड़कों पर चलने वाले वाहनों का 30% इलेक्ट्रिक वाहन होंगे।

वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम और ओला मोबिलिटी इंस्टीट्यूट के एक विश्लेषण से यह पता चलता है कि भारत ऐसा करने में सक्षम है। भारत के लगभग सभी राज्य और केंद्र शासित प्रदेश इलेक्ट्रिक वाहन की खपत और विनिर्माण की दिशा में तेज़ी से काम कर रहे हैं। उदाहरण के लिए, उत्तर प्रदेश ने 2024 तक दो लाख चार्जिंग स्टेशन बनाने का लक्ष्य रखा है तो वहीं 2029 तक आंध्र प्रदेश बसों का 100% विद्युतीकरण करने का लक्ष्य बना रहा है।

हालांकि, इससे पहले भारत के पास लिथियम का अपना कोई भंडार नहीं था तो उसके लिए सरकार ने 2018 की शुरुआत में, बोलीविया से लिथियम आयन बैटरी के उत्पादन और इसके औद्योगिक उपयोग के लिए एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किया था। इस MOU के अनुसार बोलीविया भारत को लिथियम और लिथियम कार्बोनेट की आपूर्ति में मदद करता साथ ही भारत में ली-आयन बैटरी के उत्पादन संयंत्रों को भी स्थापित किया जाना था।

भारत में कई कंपनियाँ जैसे Suzuki Motor Corporation, Exide Industries, Bharat Heavy Electronics Limited, known और Libcoin ने लिथियम बैटरी के उत्पादन पर कार्य शुरू करने का प्लान पहले ही बना चुकी हैं।

यानि इस तरह से देखें तो भारत के पास लिथियम का उपयोग कर प्रदूषण कम करने लिए योजना मौजूद है और अब 14 हजार टन का भंडार मिलने से इस क्षेत्र में जबरदस्त क्रांति आएगी। साथ ही इससे प्रदूषण पर भी लगाम लगाया जा सकेगा।

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