भारत और चीन के बीच शुरू से ही बॉर्डर विवाद रहा है। चीन कई दशकों से भारत के राज्य अरुणाचल प्रदेश और केंद्रशासित प्रदेश लद्दाख पर अपना अधिकार जमाता आया है और उन्हें चीन का हिस्सा बताता आया है। इन क्षेत्रों में अगर किसी विदेशी नेता या केंद्रीय नेता का दौरा होता है, और हमें तुरंत चीन की ओर से प्रतिक्रिया देखने को मिलती है। ऐसा ही हमें गृह मंत्री अमित शाह के अरुणाचल प्रदेश दौरे के दौरान भी देखने को मिला। 20 फरवरी को अमित शाह ने भारत-चीन सीमा के पूर्वी सेक्टर में जाकर अरुणाचल प्रदेश की प्रदेश स्थापना दिवस से जुड़े कार्यक्रम में भाग लिया, लेकिन उनके इस दौरे से चीन को भयंकर मिर्ची लग गयी। चीन ने इस पर तुरंत आपत्ति जताई लेकिन भारत ने उसे जवाब देने में देर नहीं की।
चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गेंग शुआंग ने मीडिया से बातचीत में कहा कि अमित शाह के दौरे से चीन की क्षेत्रीय संप्रभुता का उल्लंघन होता है। उन्होंने आगे कहा “चीन के तिब्बत क्षेत्र के दक्षिणी हिस्से में भारतीय नेताओं के दौरे का कड़ा विरोध किया है क्योंकि इससे चीन की क्षेत्रीय संप्रभुता का उल्लंघन होता है। इसने भारत-चीन सीमा क्षेत्र की स्थिरता को कम कर दिया है और पारस्परिक राजनीतिक विश्वास को तोड़ दिया है। इसने प्रासंगिक द्विपक्षीय समझौते का उल्लंघन किया है”।
चीन भारत के राज्य अरुणाचल प्रदेश को तिब्बत का दक्षिणी हिस्सा मानता है और ऐसे में भारत के किसी भी बड़े नेता द्वारा इस हिस्से के दौरे पर आपत्ति दर्ज करता है।
लेकिन भारत सरकार ने भी चीन को उसी की भाषा में जवाब देने में देर नहीं लगाई। चीन की आपत्ति को बेवजह बताते हुए गुरुवार को सरकार ने कहा कि अरुणाचल प्रदेश भारत का अभिन्न हिस्सा है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने संवाददाताओं से कहा, “भारत का हमेशा से रुख रहा है कि अरुणाचल प्रदेश उसका अभिन्न हिस्सा है जिसे अलग नहीं किया जा सकता”।
MEA on reports of China objecting to HM Amit Shah's visit to Arunachal Pradesh:It's an integral part of India.Indian leaders routinely travel to the State as they do to any other states of India. Objecting to visit of an Indian leader to any state in India doesn't stand to reason pic.twitter.com/XJIdzPmIPI
— ANI (@ANI) February 20, 2020
चीन की इस गुंडागर्दी से निपटने के लिए भारत सरकार यूं तो पहले से ही कमर कस चुकी है। पिछले वर्ष अक्टूबर में ही भारतीय सेना ने अरुणाचल प्रदेश में 14 हज़ार फीट की ऊंचाई पर युद्धाभ्यास कर दुश्मनों को कड़ा संदेश भेजा था। उस दौरान भारत आए चीनी उप-विदेश मंत्री लुओ झाओहुई ने तत्कालीन विदेश सचिव विजय गोखले से मुलाकात कर इस मुद्दे को उठाया था। स्पष्ट था कि चीन इस बड़े युद्धाभ्यास से पूरी तरह बेचैन हो चुका था। अब अमित शाह के दौरे पर आपत्ति जताकर वह अपनी भड़ास निकालने की कोशिश कर रहा है, लेकिन इस बार भी उसे करारा जवाब दे दिया गया है।