विश्व का सबसे अस्थिर क्षेत्र माना जाने वाला सीरिया एक बार फिर युद्ध क्षेत्र बन गया है। अगर पिछले 20 वर्षों को देखें तो हर रोज यहां पर लोग मरते हैं, और हर रोज बमबारी होती है। परंतु इस बार मामला पेचीदा लग रहा है और युद्ध की संभावना पिछले दो दशकों में सबसे अधिक प्रबल हो गयी है। शहर इदलिब पर दो दिन पहले तुर्की ने सीरियाई फौज पर हमला किया था। इसके जवाब में अब सीरिया ने तुर्की पर जबरदस्त हवाई हमला किया है। इस हमले में तुर्की के 33 जवानों के मारे जाने की खबर है। बीते कुछ वर्षों में एक ही दिन में पहली बार इतनी संख्या में मौत हुई है। वहीं तुर्की ने जवाबी कार्रवाई में Syria के 45 सैनिकों को मारने का दावा किया है।
बता दें कि सीरिया को रूस का समर्थन प्राप्त है तो वहीं तुर्की NATO का सदस्य है यानि तुर्की के पीछे भी तगड़ी शक्ति खड़ी है। अगर यह स्थिति युद्ध में तब्दील होती है तो मानव त्रासदी आनी तय है।
बता दें कि सीरिया के इदलिब शहर पर विद्रोहियों का कब्जा है और सीरियाई की बसर-अल-असद की सरकार इन विद्रोहियों को तुर्की समर्थक मानती आई है। वहीं रूस भी इसी कोशिश में रहता है कि इन विद्रोहियों को यहां से खदेड़ा जा सके। रूस भी इदलिब में मौजूद सीरियाई विद्रोहियों को आतंकी बताता आया है और तुर्की पर इनको समर्थन देने का आरोप भी लगाता आया है। सीरिया की सेना द्वारा रूस की मदद से हमले कर तुर्की के 33 सैनिकों की हत्या के बाद मामला युद्ध तक पहुँच चुका है। हमले के बाद तुर्की के राष्ट्रपति एर्दोगन ने तुरंत हाई लेवल मीटिंग बुलाई थी।
बता दें कि 2018 के एक समझौते के अनुसार रूस को इदलिब में शांति लानी थी। तुर्की की उस क्षेत्र में 12 पर्यवेक्षक चौकियां हैं लेकिन इनमें से अधिकांश चौकियों पर सीरिया के राष्ट्रपति बशर अल-असद की सेना हमला करती रही है।
नाटो देशों ने इदलिब में हुए ताजा हमलों की कड़ी प्रतिक्रिया दी है। नाटो प्रमुख जेन स्टोल्टेनबर्ग ने असद सरकार और रूस द्वारा किए गए अंधाधुंध हमलों की निंदा की है।
जबकि रूस ने तुर्की पर सीरिया में आतंकियों को मदद पहुंचाने का आरोप लगाया है। इस बीच, अमेरिका ने Syria सरकार और उसके सहयोगी रूस से इदलिब में अपना अभियान बंद करने की मांग की और तुर्की का समर्थन किया। विदेश मंत्रालय के एक प्रवक्ता ने कहा, ‘हम अपने नाटो सहयोगी तुर्की के साथ हैं तथा असद सरकार, रूस तथा ईरान समर्थित बलों के इस घिनौने अभियान को फौरन खत्म करने की मांग करते रहेंगे।’ उन्होंने कहा, ‘हम इन विकल्पों पर गौर कर रहे हैं कि कैसे इस संकट में तुर्की को सहयोग दिया जा सकता है।’ अब यह देखना है कि NATO के इस बयान के बाद कितनी शांति आती है।
सीरिया के उत्तर पूर्वी क्षेत्रों में होने वाले लगातार लड़ाई के कारण लाखों लोग बेघर हुये हैं और इस कारण वे तुर्की के बार्डर की तरफ जाने को मजबूर हुए हैं। इदलिब में सीरियाई सरकार के आक्रमण से बचने के लिए करीब साढ़े नौ लाख लोग क्षेत्र को छोड़कर भाग चुके हैं। बता दें कि तुर्की में पहले ही सीरिया के करीब 36 लाख शरणार्थी मौजूद हैं। ऐसे में तुर्की अब और विस्थापितों को शरण देने की स्थिति में नहीं है। Syria के हमले से तिलमिलाए तुर्की ने यूरोपीय देशों को भी धमकी दे दी है। तुर्की ने कहा है कि वह यूरोप में प्रवासियों को जाने के लिए खुला छोड़ देगा। अगर ऐसा होता है तो यूरोप और तुर्की की भी टेंशन बढ़ जाएगी।
संयुक्त राष्ट्र ने इन हमलों को रोकने की चेतावनी दी है। इस वैश्विक संस्था ने कहा कि अगर हमले नहीं रोके गए तो 2011 से चल रहा यह संघर्ष सबसे बुरे मानवीय त्रासदी में बदल सकता है। संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुतारेस ने कहा कि वह संघर्ष वाले इलाके में एक मिशन पर काम करने की योजना बना रहे हैं।
तनाव बढ़ते देख रूस ने कहा है कि उसके दो warships इस्तांबुल के नजदीक तैनात कर दिए गए हैं। इस बीच, संयुक्त राष्ट्र में रूस के दूस वेस्ली नेबिजिया ने सुरक्षा परिषद को बताया कि वह इदलिब में तनाव कम करने के लिए तैयार है, बशर्ते कोई इसकी पहल करे।
सीरिया में स्थिति देखने से स्पष्ट पता चल रहा है कि अभी भी हालात गंभीर है क्योंकि पुतिन के बारे में भविष्यवाणी करना मुश्किल है वहीं, बशर तुर्की के खिलाफ युद्ध के लिए उग्र हैं तो दूसरी तरफ एर्दोगान भी कदम पीछे खींचने को तैयार नहीं हैं।