‘गली बॉय’ को अवार्ड मिलने से बौखलाए सिनेमा प्रेमियों ने सोशल मीडिया पर FilmFare को तबीयत से धोया

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फिल्म फेयर अवार्ड अपनी निष्पक्षता को लेकर एक बार फिर विवादों में है। इस बार के फिल्म फेयर अवार्ड समारोह में कई अच्छे और उत्कृष्ट फिल्मों को नकारते हुए ‘गली बॉय’ और ‘आर्टिक्ल 15’ जैसे औसत दर्जे की फिल्मों को अधिकांश पुरस्कारों से नवाजा गया। जिस तरह से ‘गली बॉय’ को सर्वश्रेष्ठ फिल्म और सर्वश्रेष्ठ निर्देशक समेत 13 पुरस्कार दिए गए, और ‘उरी – द सर्जिकल स्ट्राइक’, ‘सुपर 30’, ‘छिछोरे’, ‘कबीर सिंह’, ‘सेक्शन 375’, ‘बाला’ समेत कई अच्छी फिल्मों को नकार दिया गया, उससे हजारों सिनेमा प्रशंसकों और बॉलीवुड प्रेमियों का खून खौल उठा है, और उन्होंने सोशल मीडिया पर अपना आक्रोश जमकर व्यक्त किया।

ऑस्कर से रिजेक्ट होकर आने वाली फिल्म ‘गली बॉय’ पर जिस तरह फिल्मफेयर ने प्यार लुटाया, और वास्तविक योग्यता वाली फिल्मों को नकारा, उससे आक्रोशित होकर सोशल मीडिया यूजर्स ने जमकर फिल्मफेयर वालों को ट्रोल किया। कई लोगों ने एमेज़ॉन और गली बॉय के निर्माताओं के बीच के संबंध पर प्रकाश डालते हुए फिल्मफेयर के स्पॉन्सर्स को भी आड़े हाथों लिया, जिसके बारे में यूट्यूब चैनल और फिल्म एनालिस्ट बॉलीवुडवाला ने भी अच्छा विश्लेषण किया है। फिल्मफेयर अवार्ड्स द्वारा किए गए पक्षपात के विरोध में सोशल मीडिया ने एक सुर में फिल्मफेयर को बॉयकॉट करने की मांग की है।

उदाहरण के तौर पर एक ट्विटर यूजर लोकेश मंगला ने दो फोटो शेयर करते हुए कहा, “शर्म आनी चाहिए फिल्मफेयर वालों को, जिन्हें ‘तेरी मिट्टी’ जैसे सॉन्ग के बजाए ‘अपना टाइम आएगा’ जैसे ऊट-पटांग गीत पसंद आए हैं” –

लोकेश का इशारा फिल्मफेयर द्वारा सर्वश्रेष्ठ गीत के पुरस्कार को लेकर किए गए पक्षपात पर था। केसरी के ‘तेरी मिट्टी’, कबीर सिंह के ‘बेख्याली’ और ‘तुझे कितना चाहने लगे हम’ जैसी मधुर गीतों को नकार कर गली बॉय के रैप सॉन्ग ‘अपना टाइम आयेगा’ के गीतकारों को फिल्मफेयर पुरस्कार दिया गया।

इससे विक्षुब्ध होकर ‘तेरी मिट्टी’ के गीतकार मनोज मुंतशिर ने घोषणा की कि अब वे कोई और अवार्ड शो में हिस्सा नहीं लेंगे। उनके ट्वीट के अनुसार,

“प्रिय अवार्ड्स, मैं पूरे जीवन प्रयास करूँ न, फिर भी मैं इससे बेहतर लाइन नहीं लिख पाऊँगा, “तू कहती थी तेरा चाँद हूँ मैं और चाँद हमेशा रहता है”। उन शब्दों को सम्मान नहीं दिया जिसने कई भारतीयों को रुला दिया और अपनी मातृभूमि के लिए मर मिटने को विवश कर दिया। अगर तुम्हारी परवाह करता रहा तो शायद ये मेरी कला का अपमान होगा। इसलिए आज मैं तुमसे अंतिम विदा लेता हूँ। मरते दम तक मैं कोई और अवार्ड शो नहीं अटेण्ड करूंगा। अलविदा” –

मनोज की बातों के समर्थन में गायिका नेहा भसीन भी सामने आईं, और उन्होंने ट्वीट्स की झड़ी लगाते हुए घोषणा की कि मनोज मुंतशिर की भांति यह समारोह उनका अंतिम समारोह होगा। नेहा के ट्वीट के अनुसार-

“हम म्यूजिक इंडस्ट्री वाले आपकी फिल्मों में उतना ही योगदान देते हैं जितना अभिनेता और अभिनेत्री देते हैं। हम ऐसा भेदभाव नहीं स्वीकार कर सकते। मैं भी फिल्मफेयर को बॉयकॉट करूंगी। मनोज मुंतशिर को धन्यवाद कि उन्होंने इस बात को सबके समक्ष उजागर किया”।

https://twitter.com/nehabhasin4u/status/1229064335256764419

नेहा भसीन ने फिल्मफेयर पर बिल्कुल सही टिप्पणी की है, क्योंकि ‘गली बॉय’ और ‘आर्टिक्ल 15’ जैसी फिल्मों पर प्यार लुटाने के चक्कर में 2019 की बेहतरीन हिन्दी फिल्मों को सिरे से नकार दिया गया। ‘उरी’ और ‘द ताशकन्द फाइल्स’ की तो बात छोड़िए, ‘छिछोरे’, ‘सुपर 30’, ‘केसरी’ और ‘बाटला हाऊस’ जैसी फिल्मों को एक पुरस्कार तक नहीं मिला।

परंतु बात यहीं पर नहीं रुकी। #BoycottFilmfare ने सलमान खान के एक पुराने वीडियो को फिर से वायरल कर दिया। इस वीडियो में सलमान खान कहते हुए दिखाई दे रहे हैं-

“मैं फिल्मफेयर या ऐसे किसी अवार्ड को पिक अप करने नहीं जाऊंगा। ऐसे तीन से चार अवार्ड्स के आवेदनों को भी मैंने ठुकरा दिया था। नेशनल अवार्ड काफी सम्मान की बात है, अगर वो मुझे मिलता है तो मैं अवश्य उसे प्राप्त करने जाऊंगा। मैं उस मैगज़ीन के पास नहीं जाऊंगा, जो हमारे ही रहमोकरम पर पलता है। हमारे ही इंटरव्यू से चलने वाला मैगज़ीन आपको बुलाए और कहे कि परफ़ॉर्मेंस देने पर ये अवार्ड मिलेगा। क्या हम पागल हैं कि सूट-बूट पहनकर हम बैठे ऐसे अवार्ड लेने के लिए। ऐसे कल को मेरा ड्राइवर, मेरा नौकर और अन्य लोग आकर कह दें कि बाबा, आज हम आपको अवार्ड देंगे। मैं इसे भी स्वीकार कर लूँ? यह काफी बचकाना है”

आज गली बॉय के प्रति फिल्मफेयर अवार्ड्स की दिलचस्पी को देखकर हमें समझ आता है कि जाने अंजाने में सलमान खान जैसे व्यक्ति ने कैसा सटीक विश्लेषण किया है।

अब फिल्मफेयर अवार्ड जीतना या न जीतना जीवन मरण का प्रश्न नहीं है, परंतु जनता की पसंद का जिस तरह से ये अवार्ड शो उपहास उड़ाते फिरते हैं, उससे ये स्पष्ट होता है कि ये अवार्ड शो वास्तव में कला और प्रतिभा के प्रति कितना सम्मान दिखाते हैं। जिस तरह से सोशल मीडिया ने फिल्मफेयर को तबीयत से धोया है, उससे यह सिद्ध होता है कि अब आप किसी भी घटिया वस्तु को सम्मानित कर जनता को बेवकूफ़ नहीं बना सकते।

अब देखना यह होगा कि आने वाले समय में फिल्मफेयर जैसे अवार्ड शो अपनी परम्पराओं का अनुसरण करते हुए योग्यता को फिर से उसका उचित सम्मान देते हैं या बस ‘जिसकी लाठी उसकी भैंस’ कहावत को चरितार्थ करते फिरते हैं।

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