अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के भारत दौरे के दौरान उनके भव्य स्वागत को देखकर एक तरफ जहां दुनियाभर के लिबरल काफी आहत हुए हैं, तो वहीं अब कनाडा की दक्षिणपंथी मीडिया ने भारत में कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो के फीके स्वागत की ट्रम्प के भव्य स्वागत से तुलना कर अपने प्रधानमंत्री पर हमला बोलना शुरू कर दिया है। कनाडा के सबसे बड़े दक्षिणपंथी न्यूज़ पोर्टल rebel news ने अपने प्रधानमंत्री पर हमला बोलते हुए कहा कि अमेरिकी राष्ट्रपति ने अपने भारत दौरे पर शेरवानी और अन्य कोई भारतीय परिधान नहीं पहना, और ना ही उन्होंने कोई भांगड़ा नाच किया, फिर भी उन्हें भारत में भव्य स्वागत देखने को मिला। इसी के साथ कनाडा की मीडिया ने कहा कि जस्टिन ट्रूडो ने दुनियाभर में कनाडा को हंसी का पात्र बना दिया है और भारत जैसे देश उसे कोई भाव नहीं देते हैं।
Rebel News पर दैनिक शो करने वाले Ezra Levant ने ट्रम्प के भारत दौरे की कवरेज करने के दौरान अमेरिकी राष्ट्रपति के भारत दौरे और ट्रूडो के भारत दौरे की आपस में तुलना की, और कहा कि दोनों नेताओं ने भारतीय जनता को बिलकुल विपरीत संदेश दिया। Levant ने अपने शो में कहा “एक तरफ ट्रम्प ने अमेरिका को भारत का वफादार दोस्त बताकर भारतीयों का दिल जीतने की कोशिश की, तो वहीं ट्रूडो ने एक भारतीय मंत्री को जान से मारने की साजिश रचने वाले आतंकवादी को अपने एक कार्यक्रम में बुलाकर विवाद खड़ा कर दिया। इसके बाद माफी मांगने की बजाय ट्रूडो ने वापस कनाडा आकर इसके लिए भारत सरकार को ही जिम्मेदार ठहरा दिया”।
आगे Ezra Levant यह भी बताते हैं कि ट्रूडो ने अपने भारत दौरे के दौरान शेरवानी और अन्य भारत के परिधान पहने जिसमें वे बेहद बकवास लग रहे थे, मानो भारत को उनसे सिर्फ यही उम्मीद थी। Levant के अनुसार “भारत के पीएम मोदी और कनाडा के पूर्व PM स्टीफन हार्पर बेहद अच्छे दोस्त हैं और उनके PM रहने के दौरान कभी हार्पर ने ऐसे परिधान पहनकर भारत को लुभाने की कोशिश नहीं की, लेकिन फिर भी उन्हें भारत में सम्मान दिया जाता है”।
बता दें कि पिछले वर्ष फरवरी में कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो आठ दिवसीय दौरे पर भारत आये थे। उस वक्त मीडिया ने इस बात को प्रकाशित किया था कि भारत में कनाडा के प्रधानमंत्री का गर्मजोशी के साथ स्वागत नहीं हुआ, और उनको भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पूरी तरह नकार दिया। ऐसा इसलिए क्योंकि भारत अक्सर कनाडा सरकार पर खालिस्तानियों को पनाह देने और उन्हें भारत विरोधी बयान देने के लिए मंच प्रदान करने के आरोप लगाता रहा है। कनाडा के पीएम की भारत की यह यात्रा पूरी तरह विफल साबित हुई थी और इस यात्रा के तुरंत बाद भारत ने कनाडा से आयात होने वाले चनों पर इम्पोर्ट ड्यूटी को बढ़ा दिया था। इसके बाद कनाडा की विपक्षी पार्टियों ने भारत जैसी भावी आर्थिक महाशक्ति के साथ रिश्ते ख़राब करने के लिए ट्रूडो को अपने निशाने पर लिया था।
जस्टिन ट्रूडो को केवल उनकी विदेश नीति के लिए ही नहीं, बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर उनकी नीतियों के लिए भी आलोचना का सामना करना पड़ा है। दरअसल, ट्रूडो पर धार्मिक उग्रवाद का पक्ष लेने का आरोप लगता रहा है। वो बार-बार धार्मिक अतिवाद के प्रचारकों पर कार्रवाई करने में विफल रहे हैं। जस्टिन खुद को कनाडाई राजनीति का नया चेहरा कहते हैं जो आतंकवाद के खिलाफ कोई कार्रवाई करने से हिचकिचाते हैं। ट्रूडो ने एक बार कहा था– “ISIS से जो लोग कनाडा लौट रहे हैं उन्हें इस्लामिक आतंकवादी का टैग न दें। उन्हें ISIS सेनानियों के रूप में संबोधित किया जाना चाहिए”। दरअसल, जस्टिन ट्रूडो अपने तर्क से इस बात की ओर इशारा करना चाहते थे कि आईएसआईएस अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एक मान्यता प्राप्त राज्य है, कम से कम कनाडाई राज्य द्वारा मान्यता प्राप्त है और इसीलिए ISIS भर्तियों के साथ सैनिकों की तरह व्यवहार किया जाए न कि आतंकवादियों की तरह। ये कहने की जरूरत नहीं है कि राष्ट्रीय सुरक्षा के प्रति उनके इस निराशाजनक दृष्टिकोण ने उन्हें कनाडा की राजनीति में नफरत फैलाने वाले के तौर पर चित्रित किया है।
दूसरी ओर ट्रम्प और मोदी जैसे नेता आतंकवाद के खिलाफ खुलकर बोलते हैं। भारत दौरे के दौरान ट्रम्प ने दो बार कट्टरपंथी इस्लामिक आतंकवाद का उल्लेख किया, जिसे भारतीयों ने उत्साह के साथ स्वीकार भी किया। यही कारण है कि ट्रम्प के दौरे के दौरान तो भारत सरकार और भारत के लोगों ने उनके लिए पलके बिछा दी, लेकिन ट्रूडो के एक हफ्ते के दौरे के दौरान भारतीयों ने उनकी सुध तक नहीं ली। इसी बात को लेकर अब कनाडाई मीडिया में भी ट्रूडो को लेकर गुस्सा है।