UP में मस्जिदों के लाउडस्पीकर अब सरकारी योजनाओं का प्रचार करेंगे!

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योगी सरकार आराम करने की मूड में तो बिलकुल नहीं दिखाई दे रही है। हाल ही में एक नए आदेश के अनुसार अब पश्चिमी उत्तर प्रदेश के जिन भी मस्जिदों में लाउडस्पीकर लगाए जाएंगे, वहां से सरकारी विज्ञापन भी प्रसारित करने पड़ेंगे। उत्तर प्रदेश ऊर्जा निगम ने निर्णय लिया है कि उत्तर प्रदेश के मस्जिदों में लगी लाउडस्पीकर्स का उपयोग अब किसानों के लिए सरकारी स्कीमों के विज्ञापन को प्रसारित करने हेतु किया जाएगा।

हाल ही में उत्तर प्रदेश सरकार ने यूपी किसान आसान किश्त योजना लागू की है, जिसके अंतर्गत किसानों को आसान किश्तों में ट्यूब वेल हेतु संबंधी बिल चुकाने में आसानी होगी। चूंकि ऊर्जा निगम ज़्यादा से ज़्यादा किसानों को इस योजना के अंतर्गत पंजीकृत कराना चाहती है, इसीलिए उन्होंने इसके प्रचार प्रसार हेतु इस नायाब योजना को अपनाया है। पश्चिमाञ्चल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड के अफसरों के अनुसार इस योजना का प्रयोग सर्वप्रथम पश्चिमी उत्तर प्रदेश के 14 जिलों में किया है, जिनमें गाज़ियाबाद, बुलंदशहर, गौतम बुद्ध नगर या नोएडा, सहारनपुर, मुजफ्फरनगर, शामली, मुरादाबाद, संभाल, अमरोहा, रामपुर और बिजनौर शामिल है।

PVVNL के मैनेजिंग डाइरेक्टर अरविंद मल्लापा बंगारी ने कहा, “ये अच्छी बात है कि जिन लाउडस्पीकर्स के कारण पहले क्षेत्र में अशांति होती थी, उसका अब सदुपयोग किया जाएगा। मुझे लगता है कि इन लाउडस्पीकर्स के जरिए घोषणाएँ कर किसानों तक तुरंत मदद पहुंचाई जा सकती हैं और इस स्कीम के लिए अधिक से अधिक रेजिस्ट्रेशन संभव हो सकेगा”।

मस्जिदों में स्थित लाउडस्पीकर्स के कारण कई लोगों को राज्य में अक्सर समस्याएँ झेलनी पड़ी हैं। कई बार लाउडस्पीकर्स से सांप्रदायिक हिंसा भड़काने के लिए लोगों को उकसाया भी जाता है, जिसका उपयोग अभी हाल ही में सीएए के विरोध के नाम पर भी किया गया था। परंतु यूपी सरकार धार्मिक रीतियों के नाम पर अराजकतावादियों पर नरमी बरतने के मूड में बिलकुल भी नहीं है।

हाल ही में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने लाउडस्पीकर्स मस्जिदों में लगाने की याचिका को खारिज करते हुए कहा “यह बुनियादी मूल्य है कि हाईकोर्ट को सामाजिक संतुलन बनाए रखने के लिए उचित ढंग से अपने विशेष न्यायिक क्षेत्राधिकार का उपयोग करना चाहिए। मौजूदा मामले में यह साफ है कि लाउडस्पीकर इस्तेमाल करने की इजाज़त देने की जरूरत नहीं है। इससे सामाजिक असंतुलन पैदा हो सकता है”।

इसके अलावा उत्तर प्रदेश पुलिस ने खुलेआम नमाज़ पढ़ने और सार्वजनिक स्थलों का प्रयोग अपनी रीतियों के लिए करने पर रोक भी लगाई है। उदाहरण के लिए पिछले वर्ष नोएडा में सार्वजनिक स्थलों पर नमाज़ पढ़ने पर रोक लगाई थी।

नोटिस में कहा गया था, “नोएडा के सेक्टर-58 स्थित अथॉरिटी के पार्क में प्रशासन की ओर से किसी भी प्रकार की धार्मिक गतिविधि (जिसमें शुक्रवार को पढ़े जाने वाली नमाज शामिल है) की अनुमति नहीं है। अक्सर देखने में आया है कि आपकी कंपनी के मुस्लिम कर्मचारी पार्क में इकट्ठे होकर नमाज पढ़ने के लिए आते हैं। उन्हें एसएचओ की ओर से मना किया जा चुका है। उनके द्वारा दिए गए नगर मजिस्ट्रेट महोदय के प्रार्थना पत्र पर किसी भी प्रकार की कोई अनुमति नहीं दी गई है।”

इसके अलावा ये भी कहा गया था कि “आपसे यह उम्मीद की जाती है कि, आप अपने स्तर पर अपने मुस्लिम कर्मचारियों को अवगत कराएं कि वे नमाज पढ़ने के लिए पार्क में न जाएं। यदि आपकी कंपनी के कर्मचारी पार्क में आते हैं तो यह समझा जाएगा कि आपने उनको इसकी जानकारी नहीं दी है। इसके लिए कंपनी की जिम्मेदारी होगी।”

योगी सरकार ने एक बार फिर सिद्ध कर दिया है कि उनके लिए स्वस्थ कानून व्यवस्था सर्वोपरि है, और इसके लिए वे हर प्रकार से इसे दुरुस्त करने का प्रयास करते रहेंगे। ऐसे में मस्जिदों में लगने वाले लाउडस्पीकर्स का ऐसा अनोखा उपयोग न केवल ज़रूरतमंद लोगों के लिए आवश्यक जानकारी पहुंचाएगा, अपितु अराजकता फैलाने वालों पर भी यूपी सरकार की नज़र बनी रहेगी।

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