पंजाब में अपने ही बने पराए, अमरिंदर सरकार के खिलाफ कांग्रेसी विधायकों ने खोला मोर्चा

कांग्रेस

(PC: DNA India)

कांग्रेस में अंतर्कलह एक बार फिर सुर्खियों में से है, और इस बार इस बीमारी का ट्रांसफर पंजाब में हुआ है। भारतीय हॉकी टीम के पूर्व कप्तान और कांग्रेस के विधायक परगट सिंह समेत कई कांग्रेस विधायक पंजाब के मुख्यमंत्री, कैप्टन अमरिंदर सिंह [सेवानिर्वृत्त] के विरुद्ध बगावती तेवर दिखा रहे हैं। आज शुरू होने वाले पंजाब विधानसभा के बजट सत्र से पहले एक लेटर वायरल हुआ, जिसमें परगट सिंह ने मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह पर भ्रष्टाचारियों को बचाने का आरोप लगाया है।

पूर्व ओलंपियन ने सीएम से बुधवार को मुलाक़ात की और बताया की पंजाब की जनता में सरकार को लेकर बहुत खराब छवि बनी हुई है। कांग्रेस पार्टी ने भ्रष्टाचार और ड्रग्स व्यापार की समस्या को जड़ से उखाड़ फेंकने का वादा किया था, परंतु वो दोनों वादे निभाने में पूर्णतया असफल रही है। वायरल हुए पत्र में दावा किया गया है कि भ्रष्टाचार से संबन्धित बड़े बड़े केस या तो बंद किए जा रहे हैं, या फिर उन्हें उजागर करने वाले लोगों को दबाने का प्रयास किया जा रहा है।

कैप्टन के कैबिनेट सहयोगियों ने भी मंगलवार को अपने सरकार के अधिकारियों की कार्यप्रणाली को लेकर नाराजगी ज़ाहिर की थी। प्री-बजट सत्र में कैबिनेट बैठक के दौरान कुछ मंत्रियों ने पंजाब के मुख्य सचिव करण अवतार सिंह और महाधिवक्ता अतुल नंदा के कामकाज पर आपत्ति जताई। पंजाब की बागडोर संभालने के बाद दोनों अधिकारियों को खुद अमरिंदर ने चुना था। वरिष्ठ मंत्री सुखजिंदर रंधावा के अनुसार चुने गए विधायकों के साथ सिविल सेवकों ने “भेदभाव किया है”, और कहा कि एजी का कार्यालय भी प्रमुख मामलों में राज्य सरकार की रक्षा करने में विफल रहा है।

इससे पहले भी कांग्रेस के कई वरिष्ठ नेता भी कैप्टन अमरिंदर के विरुद्ध बगावती तेवर जगजाहिर कर चुके हैं। नवजोत सिंह सिद्धू, सुरजीत धीमान, रणदीप सिंह और राजा वारिंग जैसे कांग्रेस के दिग्गज नेताओं ने भी अपनी सरकार के कामकाज के खिलाफ बात की थी। परगट को नवजोत सिंह सिद्धू का करीबी दोस्त भी माना जाता है। कैबिनेट स्तर के मंत्री होने के बाद भी सिद्धू सरकार के कामकाज और खासकर कैप्टन के खिलाफ बेहद मुखर थे,  हालांकि दो बार के सीएम द्वारा उन्हें मंत्रिमंडल से बाहर किए जाने के बाद उन्हें इसके लिए कीमत चुकानी पड़ी थी।

कांग्रेस की अंतर्कलह 2019 के लोकसभा चुनाव के बाद से विभिन्न राज्यों में साफ दिखने लगी है। मुख्यमंत्री कमल नाथ और पार्टी नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया मध्य प्रदेश में जहां एक दूसरे को चुनौती देते दिखाई दिये, तो वहीं राजस्थान में सचिन पायलट अपने मुख्यमंत्री की आलोचना करने से ज़रा भी नहीं हिचकिचाये। इतना ही नहीं, जब कांग्रेस नेता मिलिंद देवड़ा ने अरविंद केजरीवाल के ‘वित्तीय कौशल’ के बारे में बात की, तो कांग्रेस नेता अजय माकन भड़क गए और उन्होने मिलिंद को पार्टी छोड़ने का सुझाव भी दिया –

कांग्रेस पार्टी में मानो कुशल नेतृत्व का अकाल पड़ गया है, और सोनिया गांधी और राहुल गांधी को मानो पार्टी से कोई लेना देना नहीं है। पार्टी के उच्च नेताओं में तनातनी से उसका भविष्य भी उज्जवल नहीं नज़र आ रहा। इसी कारण कांग्रेस लगातार दूसरी बार दिल्ली में खाता खोलने में नाकाम रही, और उसका वोट प्रतिशत बाद से बदतर हो गया।

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