बजरंग दल! सनातन धर्म प्रेमी जोड़े को पीटने की आज़ादी बिलकुल नहीं देता है

बजरंग दल

PC: Patrika

कल valentine day था, हर वर्ष भांति इस वर्ष भी बजरंग दल द्वारा कई लड़के लड़कियों को दौड़ाने की खबर आई थी। कहीं पार्क तो कहीं सड़क पर बजरंग दल की कई ऐसे करतूतें सामने आई। अहमदाबाद, नागपुर और कई अन्य शहरों से संस्कृति बचाने के नाम पर प्रदर्शन और हुड़दंग मचाए गए।

अब तो पुलवामा हमले का भी नाम इस्तेमाल होने लगा है और कई प्रेमी युगल को पुलवामा के नाम पर प्रताड़ित करने की भी खबर आई। अहमदाबाद से जो वीडियो सामने आई है उसे देख कर कोई भी व्यक्ति डर ही जाएगा।

भारत की संस्कृति और धर्म बचाने के नाम पर जो ये उदण्ड मचाया जा रहा था यह न सिर्फ आधारहीन है बल्कि इससे सनातन धर्म भी बदनाम हो रहा है। भगवान हनुमान के नाम पर बजरंग दल का नाम रखा गया है और भगवान हनुमान एक ब्रह्मचारी हैं। उनके ब्रह्मचर्य का इस तरह से मज़ाक उड़ाया जाएगा यह तो उन्होंने भी नहीं सोचा होगा। हनुमान जी भगवान राम के अनन्य भक्त हैं, वहीं भगवान राम जिनका माता सीता से प्रेम विवाह हुआ था। भगवान राम जब मिथिला गए थे तब बाग में माता सीता को देख कर ही उनके मन में प्रेम के भाव जागे थे। यही नहीं हनुमान जी के जीवन का सबसे बड़ा मकसद भी माता सीता का पता लगाना था। उसके लिए उन्होंने 10 योजन के समुद्र को भी लांघ दिया था। हालांकि, उन्होंने अशोक वाटिका को भी तहस नहस कर दिया था लेकिन माता सीता को भगवान राम की अंगूठी देने के बाद। यानि माता सीता को भगवान राम का संदेश देने के बाद। ऐसे में अगर भगवान हनुमान के नाम पर इस तरह से किसी प्रेमी युगल को प्रताड़ित किया जाएगा तो वे क्या सोचेंगे।

यही नहीं सनातन धर्म ही एक ऐसा धर्म है जिसमें गंधर्व विवाह को मान्यता प्राप्त है। महर्षि मनु के कथनानुसार इस विवाह में लड़का तथा लड़की जब एक-दूसरे को पसंद कर लेते हैं और प्रेम में पड़कर परस्पर संबंध स्थापित कर लेते हैं तब इसे गंधर्व विवाह कहा जाता है। प्राचीन समय में राजा-महाराजा कई बार गंधर्व विवाह करते थे। गंधर्व विवाह का उल्लेख शकुंतला-दुष्यंत की पौराणिक कथा में भी मिलता है। उस कथा में आखेट के लिए गए राजा दुष्यंत की दृष्टि वन में मेनका-विश्वामित्र की पुत्री और कण्व ऋषि के आश्रम में पल रही युवा शकुंतला पर पड़ती है। वे उनके प्रति आकर्षित होते हैं, दोनों के बीच वार्तालाप होता है, निकटता बढ़ती है, जिसकी परिणति शारीरिक संबंध स्थापना में होती है । वे दोनों परस्पर विवाह-सम्बन्ध में बंध जाते हैं, जिसे कण्व ऋषि की स्वीकृति मिलती है। उसी संबंध से राजा भरत का जन्म होता है। गंधर्व विवाह वस्तुतः प्रेम विवाह है, जो वर्तमान काल में युवक-युवतियों के बीच लोकप्रिय है।

इस तरह से अगर बजरंग दल संस्कृति बचाने के नाम पर ऐसी ओछी हरकत करते हैं तो इससे यही पता चलता है कि वे न तो अपनी संस्कृति को जानते है और न ही उन्होंने वेद पुराण पढ़ा है।

धर्म बचाने के नाम पर ये लड़कों और लड़कियों को परेशान कर अपने ही धर्म की बेइज्जती करवाते हैं और फिर जब दूसरे धर्म के लोग उंगली उठाते है तो इन्हें मिर्ची लगती है।

अगर इन्हें धर्म बचाना ही है तो ये रोड पर ही क्यों जाते हैं किसी बड़े होटल या रेस्टोरेन्ट में क्यों नहीं जाते हैं? प्रेमी युगल तो ऐसी जगहों पर ही आते हैं। इससे एक और बात स्पष्ट होती है कि धर्म के इन कथित रक्षकों का काम सिर्फ गरीब परिवार से आए लड़के लड़कियों को परेशान करना होता है और समाचार पत्रों में खबर बनाना है। अगर उन्हें अपने धर्म की रक्षा करने का शौक इतना ही तो उन्हें पहले ग्रन्थों को पढ़ना चाहिए।

बजरंग दल जैसे संगठन को यह समझना चाहिए कि प्रेमी युगल को सड़कों पर दौड़ाने से धर्म की रक्षा नहीं होती है। इन्हें यह समझना चाहिए कि ऐसी हरकतों से देश का नाम ही खराब होता है केवल राष्ट्रीय ही नहीं बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी। भारत और पश्चिम के दक्षिण पंथ में जमीन आसमान का फर्क है और इसका कारण सनातन धर्म ही है जो वास्तविक रूप से उदारवादी है न कि फासिस्ट।

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