प्रवर्तन निदेशालय के हालिया कार्रवाई ने राजनीतिक खेमे में हलचल मचा दी है। मीडिया के सूत्रों की माने तो ईडी ने इस बात की पुष्टि की है कि कैसे पीएफ़आई ने शाहीन बाग में हो रहे कट्टरपंथी प्रदर्शनों में निवेश किया है और कांग्रेस एवं आम आदमी पार्टी ने भी पीएफ़आई के इस अभियान में वित्तीय रूप से पूरा पूरा सहयोग किया है।
टाइम्स नाउ द्वारा प्राप्त इस रिपोर्ट के कुछ अंशों के अनुसार, “ईडी ने एक पीएफ़आई के एक उग्रवादी को हिरासत में लिया था, और पूछताछ के दौरान ये सामने आया कि कैसे सीएए के विरोध में शाहीन बाग में हो रहे विरोध प्रदर्शन पीएफ़आई द्वारा प्रायोजित थे और कैसे कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के नेता पीएफ़आई प्रमुख के संपर्क में इसी परिप्रेक्ष्य में बने हुए थे”।
जांच कर रही एजेंसियों के अनुसार कांग्रेस और आम आदमी पार्टी द्वारा इन प्रदर्शनों को सुचारू रूप से चलाने के लिए काफी पैसे मुहैया कराये गए थे। इस संबंध में सीलबंद लिफाफे में इस रिपोर्ट की एक कॉपी गृह मंत्रालय को सौंपी गयी है। अब कल्पना कीजिये कि जब दिल्ली में ये हाल है, तो पीएफ़आई यदि अपने इरादों में पूर्णतया सफल होती, तो देश का क्या होता?
हालांकि, पीएफ़आई द्वारा आतंकवाद और अराजकता को बढ़ावा देने की यह रीति कोई नयी बात नहीं है। इससे पहले भी सीएए के विरोध के नाम पर पीएफ़आई का असली चेहरा कई मामलों से उजागर हुआ है। उत्तर प्रदेश पुलिस ने कड़ी कार्रवाई करते हुए 4 दिन में 108 से ज़्यादा उग्रवादियों को हिरासत में लिया है।
दिसंबर के अंत में उत्तर प्रदेश राजधानी लखनऊ में हुई हिंसा के ‘मास्टरमाइंड’ समेत दो लोगों को सोमवार को गिरफ्तार किया गया। ये दोनों नदीम और उसके सहयोगी अशफाक हैं। आरोप है कि पीएफआई ने ही विरोध प्रदर्शन कर रहे लोगों को उकसाया जिसके बाद भड़की हिंसा में कई वाहनों को आग लगा दी गई और जमकर तोड़फोड़ हुई।
बता दें कि PFI प्रतिबंधित संगठन स्टूडेंट्स इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया (सिमी) का ही दूसरा रूप है, जिसकी पुष्टि केरल सरकार ने अपने एक हलफनामे में भी की थी। पॉपुलर फ्रंट ऑफ़ इंडिया या पीएफआई एक चरमपंथी इस्लामिक संगठन है जो खुद को पिछड़ों और अल्पसंख्यकों के हक में आवाज उठाने वाला संगठन बताता है। बताया ये भी जाता है कि संगठन की स्थापना 2006 में नेशनल डेवलपमेंट फ्रंट (NDF)के उत्तराधिकारी के रूप में हुई। संगठन की जड़े केरल के कालीकट से हुई और इसका मुख्यालय दिल्ली के शाहीन बाग में स्थित है।
इतना ही नहीं, पीएफ़आई और काँग्रेस का कनैक्शन भी काफी पुराना है। पीएफ़आई के एक इवैंट में पूर्व उपराष्ट्रपति मुहम्मद हामिद अंसारी ने बढ़चढ़कर हिस्सा लिया। इतना ही नहीं, हाल ही में जब छत्तीसगढ़ की कांग्रेस सरकार ने NIA एक्ट को असंवैधानिक करार देने के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की, तो इसके लिए PFI जैसे कट्टरवादी संगठन ने उसकी पीठ भी थपथपाई।
छत्तीसगढ़ की कांग्रेस सरकार ने अनुच्छेद 131 के तहत सुप्रीम कोर्ट से NIA एक्ट को असंवैधानिक करार देने की याचिका की थी। इसके बाद उग्रवादी संगठन PFI ने NIA अधिनियम के खिलाफ उच्चतम न्यायालय के समक्ष छत्तीसगढ़ सरकार की याचिका का स्वागत किया। अपने ट्विटर हैंडल से ट्वीट करते हुए PFI ने लिखा, छत्तीसगढ़ सरकार का यह कदम स्वागत योग्य है। इसी को कहते हैं चोर चोर मौसेरे भाई।
अभी ईडी द्वारा जारी इन्वेस्टीगेशन में काँग्रेस और आम आदमी पार्टी के और कितने कच्चे चिट्ठे खुलेंगे, यह तो आने वाला समय ही बताएगा। परंतु इतना तो स्पष्ट है कि धीरे धीरे ही सही, पर आतंकियों को शरण देने वाले इन अवसरवादियों का घिनौना चेहरा अब जनता के समक्ष उजागर हो रहा है।