वामपंथी किताबें हटाने से लेकर Book Fair की जगह बदलने तक- कैसे त्रिपुरा में Communism का सफाया हो रहा है

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किताबें मनुष्य की सबसे अच्छी दोस्त होती हैं। किसी व्यक्ति के जीवन में उसके द्वारा पढ़ी गई किताबों का असर उसके व्यक्तित्व पर दीर्घकालिक होता है। अगर एक बच्चा बचपन से ही राष्ट्रप्रेम और ऐतिहासिक योद्धाओं की किताबें पढ़ता है तो उससे उसकी सोच और व्यक्तित्व दोनों में राष्ट्रप्रेम समाहित हो जाता है। परंतु उसे बचपन से ही माओ और लेनिन के बारे में पढ़ाया जाएगा तो उसका परिणाम क्या होगा? त्रिपुरा में वर्ष 2018 तक पिछले 25 वर्षों से यही हो रहा था।

कारण था लेफ्ट फ्रंट की सरकार। यहां कम्युनिस्टों ने राज्य की शिक्षा प्रणाली पर अपनी ideology  थोप दी थी। इससे भी बढ़कर त्रिपुरा के book fair में लोगों और युवाओं का ब्रेनवाश किया जाता था। अब वर्ष 2018 के बाद से ही इस दिशा में काफी बदलाव देखने को मिल रहे हैं। जबसे राज्य में बिपलब देव के नेतृत्व में BJP ने त्रिपुरा की कमान संभाली है तब से किताबों के जरिये युवाओं के होने वाले ब्रेनवॉश को रोकने पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है।

विपलब देव ने एक मिसाल कायम करते हुए कम्युनिस्टों के विषैले प्रोपोगेंडे को तहस-नहस करने का हरसंभव प्रयास किया है। एक नए फैसले में विपलब देव ने Agartala Book Fair के जरिये फैलाए जाने वाले प्रोपोगेंडे को रोकने के लिए इसे एक नए स्थान पर आयोजित करवाने का निर्णय लिया है।

पहले यह book fair अगरतला के Umakanta Academy or Children’s Park में आयोजित किया जाता था लेकिन अब यह अगरतला से 5 किलोमीटर दूर Hapania International Fair Ground लगा हुआ है। मुख्यमंत्री विपलबदेव ने इस book fair का शुभारंभ करते हुए 26 फरवरी को कहा कि नए जगह पर Book Fair का लगना लोगों के नए mindset की ओर इशारा करता है। उन्होंने कहा-

यह पुस्तक मेला मॉडल राज्य के लिए एक नया उदाहरण है। मेले का आयोजन पहली बार अगरतला शहर के बाहर किया गया, जो इसे अन्य छोटे शहरों के लोगों को अपनी ओर आकर्षित करेगा।”

हालांकि इस Book Fair के आयोजन स्थल के बदले जाने के विरोध में Tripura Publisher’s Guild भाग नहीं ले रही है। इस ओर इशारा करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि- कुछ लोगों ने पुस्तक मेले के बारे में दूसरे लोगों को निराश करने की कोशिश की लेकिन त्रिपुरा के लोग निराश नहीं हुए।

बता दें कि अपने विषैले एजेंडे के लिए मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी ने वर्ष 1980-81 में अगरतला book Fair शुरू किया था। त्रिपुरा की Agartala Book Fair पूर्वोतर राज्यों में लगने वाली सबसे बड़ी और सबसे पुरानी book fair में से एक है। अब तक इस book fair के 38 संस्करण आयोजित किए जा चुके हैं। इस book fair के जरिए SFI जैसे संगठन भारत विरोधी किताबों का भी प्रचार-प्रसार करते थे। पिछले वर्ष SFI के book stall पर भारत विरोधी किताबें बेचने का आरोप भी लगा था। तब कई छात्रों ने SFI के Book Stall के खिलाफ प्रदर्शन भी किया था।

बता दें कि त्रिपुरा में लेफ्ट फ्रंट की सरकार 1978 से 1988 के दौरान थी। इसके बाद फिर 1993 से लेकर 2018 तक शासन में रही। यानि कुल मिला कर 35 वर्ष। इसी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी ने युवाओं का किस तरह से ब्रेनवाश किया होगा।

मुख्यमंत्री विपलबदेव शुरू से ही लेफ्ट फ्रंट द्वारा प्रायोजित शिक्षा और किताबों के जरिये किए गए ब्रेनवाश की बात करते रहें हैं। नीति आयोग की एक बैठक में उन्होंने कहा था-

कम्युनिस्ट चाहते थे कि राज्य के लोग माओत्से तुंग का अध्ययन करें और हमारे हिंदू राजाओं को भूल जाएं।” उन्होंने आगे कहा था, “कम्युनिस्टो की सरकार द्वारा संचालित स्कूलों के पाठ्यक्रमों से महात्मा गांधी को हटा दिया। मैं इन सभी स्कूलों में NCERT पाठ्यक्रम लागू करने जा रहा हूँ जिसमें त्रिपुरा के इतिहासिक अध्याय भी शामिल होंगे।”

इसी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि वे कम्युनिस्टों द्वारा किए गए नुकसान को ठीक करने की कोशिश कर रहें हैं। अब उन्होंने Agartala Book Fair को राज्य के अन्य शहरों से जोड़कर एक नए कल की शुरुआत की है, जिससे कम्युनिस्टों के विषैले प्रोपोगेंडे पर थोड़ी लगाम लगाने में मदद तो अवश्य ही मिलेगी।

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