गुलशन कुमार की रहस्यमयी हत्या मामले में अब महेश भट्ट का एंगल, राकेश मारिया का नया खुलासा

गुलशन कुमार हत्या

गुलशन कुमार की हत्या से जुड़े कुछ रहस्य

मुंबई पुलिस के ‘सुपर कॉप’ कहे जाने वाले राकेश मारिया एक बार फिर सुर्खियों में है। इस बार उन्होने अपनी पुस्तक ‘लेट मी से इट नाउ’ में प्रसिद्ध फ़िल्म निर्माता एवं टी सिरीज़ के मालिक गुलशन कुमार की हत्या से जुड़े कुछ रहस्यों से पर्दा हटाने का प्रयास किया है। 

टाइम्स ऑफ इंडिया और द पायनियर की रिपोर्ट्स के अनुसार राकेश मारिया ने अपनी किताब में लिखा है कि उन्हें गुलशन कुमार को मारने की अबु सलेम की साजिश की जानकारी पहले मिल गई थी। उन्होंने दावा किया गुलशन कुमार की हत्या की साजिश के बारे में खबरी ने उन्हें जानकारी दी थी। जब उन्होंने खबरी से पूछा कि इसके पीछे कौन है तो जवाब मिला- अबू सलेम। 

तत्कालीन डीसीपी राकेश मारिया के अनुसार 22 अप्रैल 1997 को एक खबरी से कॉल आया और उसने गुलशन कुमार की हत्या की साजिश की जानकारी दी। खबरी ने यह भी बताया कि गैंगस्टर सलेम ने अपने शूटर्स के साथ गुलशन कुमार को शिव मंदिर जाने के दौरान मारने की पूरी योजना भी बना ली है, क्योंकि गुलशन कुमार हर रोज शिव मंदिर जाते थे। 

गुलशन कुमार की हत्या की साजिश

तद्पश्चात मारिया ने निर्दशक महेश भट्ट को कॉल किया और उन्होंने कुमार से पूछकर पुष्टि की कि वह रोज शिव मंदिर जाते हैं। भट्ट ने गुलशन कुमार को साजिश की बात बता दी। मारिया ने भट्ट को कहा कि वह क्राइम ब्रांच को सूचित कर देंगे और कुमार को जब तक सुरक्षा नहीं मिल जाती, तब तक वह [गुलशन कुमार] घर से बाहर नहीं निकलेंगे। इसके बाद क्राइम ब्रांच ने कुमार की सुरक्षा बढ़ा दी, परंतु 12 अगस्त 1997 को अंधेरी में स्थित जीतेश्वर महादेव मंदिर के बाहर गुलशन कुमार हो बंदूकधारियों ने गोलियां बरसाते हुए मौत की नींद सुला दिया। 

अब प्रश्न ये भी उठता है कि यदि मुंबई पुलिस और बॉलीवुड के एक विशेष वर्ग को गुलशन कुमार के संभावित हत्या की जानकारी थी, तो उन्होने गुलशन कुमार को बचाने की दिशा में कोई काम क्यों नहीं किया? ऐसा क्या था कि गुलशन कुमार की हत्या आज भी लगभग एक अबूझ पहेली बनी हुई है? परंतु यह ऐसा इकलौता आरोप नहीं है, जो राकेश मारिया ने अपनी पुस्तक के जरिये भारत के पूर्व प्रशासकों पर लगाया है। 

राकेश मारिया की पुस्तक ने किये कई खुलासे 

अपनी पुस्तक में उन्होने यह भी उजागर किया है कि कैसे यूपीए के नेतृत्व प्रशासन ने पूरी प्रयास किया था कि पकड़े गए कसाब की डिटेल मीडिया में लीक न हो पाए। पुस्तक के अनुसार, “पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई ने 26/11 हमले को हिंदू आतंकवाद का जामा पहनाने की भी कोशिश की थी। 10 हमलावरों को हिंदू साबित करने के लिए उनके साथ हिंदू नाम वाले फर्जी आईकार्ड भेजे गए थे। कसाब के पास भी एक ऐसा ही आईकार्ड मिला था, जिसपर उसका नाम समीर चौधरी लिखा हुआ था”।

पूर्व पुलिस अफसर राकेश मारिया के एक पुस्तक ने जहां काँग्रेस को बगलें झाँकने पर विवश किया है, तो वहीं उन्होने कुछ असहज प्रश्न भी जनता के समक्ष प्रस्तुत किए हैं, जिनका उत्तर देने में आज भी कई लोग हिचकिचातें हैं। अब गुलशन कुमार की हत्या से जुड़े खुलासे कर उन्होंने एक और मुद्दे को हाईलाइट किया है।

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