जो कहते थे केंद्र सरकार ‘हिंदी थोपती’ है उनको चार भाषाओँ में पीएम मोदी ने दिया जवाब

भाषाई विविधता!

मोदी

हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वाराणसी की यात्रा पर आए थे। उन्होंने कई अहम योजनाओं को हरी झंडी दी, और काशी महाकाल एक्सप्रेस का शुभारंभ भी कराया। परंतु जिस काम के लिए उनकी सबसे ज़्यादा चर्चा हो रही है, वो है श्री जगद्गुरु विश्वराध्य गुरुकुल के जन्मशती के अवसर पर उनका भाषण, जिसमें भाषाई विविधता अपने चरमोत्कर्ष पर थी।

पीएम मोदी ने अपने भाषण में हिन्दी के अलावा कन्नड़, मराठी और तेलुगु का भी प्रयोग किया, जिससे न केवल उन्हें अपार समर्थन, अपितु विपक्ष द्वारा ‘हिन्दी थोपने’ के खोखले दावों की भी धज्जियां उड़ाई है। पीएम मोदी ने ‘अनेकता में एकता’ का बेहतरीन उदाहरण दिया है। श्री जगद्गुरु विश्वराध्य गुरुकुल में नरेंद्र मोदी ने कर्नाटक, महाराष्ट्र और तमिलनाडु से आए लोगों और संतों को संबोधित करते हुए तमिल, मराठी, कन्नड़ और हिंदी मेंं अपनी बात रखी। उनके प्रयासों से यह सिद्ध हुआ कि कैसे विपक्ष द्वारा ‘हिन्दी थोपे’ जाने के दावे एकदम निरर्थक और बेबुनियाद हैं।

पिछले वर्ष ‘हाऊडी मोदी’ समारोह में भी पीएम मोदी ने इसी प्रकार से यूएसए में रह रहे भारतीय समुदाय का अभिवादन किया था। उन्होंने ‘हाउडी मोदी’ का जवावब ‘सब बढ़िया है’ में दिया, और वो भी एक नहीं, कई भाषाओं में, जिससे वहाँ उपस्थित भारतीय समुदाय एक बार फिर उनका प्रशंसक बन गया।

परंतु हिन्दी भाषा पर विवाद क्यों उत्पन्न हुआ? यूं तो इसका इतिहास काफी लंबा और विविध है, परंतु पिछले वर्ष केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने हिन्दी भाषा के जरिये भारत को एक सूत्र में पिरोने की बात की थी। अपने ट्वीट में उन्होने कहा था, “भारत के लिए यह आवश्यक है कि एक भाषा पूरे देश को वैश्विक पहचान दे सके”। परंतु उन्होंने यह भी लिखा था कि भारत अनेक भाषाओं का देश है और हर भाषा का अपना महत्व है।

परंतु उनके बयान को मीडिया ने एक घटिया ट्विस्ट देते हुए ये जताने का प्रयास किया कि केंद्र सरकार हिन्दी भाषा को पूरे देश पर थोपने जा रही है। सरकार की नीयत के बारे में कई अफवाहें फैलाई गईं, जिससे यह संदेश जा सके कि यह सरकार कितनी तानाशाही है। परंतु पीएम मोदी ने इन अफवाहों पर विराम लगाते हुए वाराणसी में अप्रतिम भाषाई विविधता दिखाई

उदाहरण के लिए ‘हाऊडी मोदी’ सम्मेलन में पीएम मोदी ने इस प्रश्न का उत्तर ‘सब कुछ अच्छा है’ के तौर पर दिया वो भी 8 अलग अलग भाषाओं में। अब पीएम मोदी ने वाराणसी के जगद्गुरु विश्वराध्य गुरुकुल में चार प्रकार के भाषाओं में जिस तरह अपना भाषण दिया, वो अपने आप में स्वागत योग्य है।

पीएम मोदी जिस तरह से सभी भारतीय भाषाओं का सम्मान करते हैं, उससे स्पष्ट होता है कि जो भी उनके बारे में फालतू की अफवाहें फैला रहे हैं, उन्हें एक बार अपना आत्मवलोकन अवश्य करना चाहिए। पीएम मोदी स्वयं इन अफवाह फैलाने वालों को उनकी जगह दिखाने में कोई कसर नहीं छोड़ते, और इसके साथ ही साथ उन्होंने वाराणसी में चार भाषाओं में भाषण देकर सिद्ध कर दिया कि उनके लिए हिन्दी इंपोजीशन जैसे खोखले आरोप कोई मायने नहीं रखते, और ऐसे अफवाह उड़ाने वालों के बारे में वे आगे भी ऐसे ही तबीयत से धुलाई करते रहेंगे।

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