अभी हाल ही में यूके में प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन की सरकार में भारतीय मूल के सांसद ऋषि सुनक को वित्त मंत्री बनाया गया है। ब्रिटेन की अर्थव्यवस्था के लिए यह समय बेहद महत्वपूर्ण है, क्योंकि 31 जनवरी को ही यूके ईयू से अलग हुआ है और ब्रिटेन को स्वतंत्र रूप से हर देश के साथ व्यापार करने का एक वित्तीय ढांचा खड़ा करना है। इस अति-महत्वपूर्ण काम के लिए बोरिस जॉनसन ने ऋषि को चुना है। भारतीय मूल के व्यक्ति के वित्त मंत्री बनने के बाद अब यह बात भी की जाने लगी है कि यूके की अर्थव्यवस्था पर लगातार भारतीयों का दबदबा बढ़ता जा रहा है, और अप्रत्यक्ष रूप से भारतीय यूके की इकॉनमी को कंट्रोल कर रहा है।
अगर आप यूके की इकॉनमी में भारतीय मूल के लोगों का योगदान देंगे, तो आपको यह बात और अच्छे से समझ में आएगी। हाल में हुए एक शोध से पता चलता है कि भारतीय प्रवासी लोगों द्वारा चलाई जा रही कंपनियां ब्रिटेन में सालाना 3,684 करोड़ पाउंड (करीब 3.3 लाख करोड़ रुपये) का राजस्व पैदा करती हैं। ये कंपनियां 1,74,000 लोगों को रोजगार प्रदान करती है और 100 करोड़ पाउंड यानी करीब 9,200 करोड़ रुपये का कॉरपोरेशन टैक्स चुकाती हैं। ‘इंडिया इन यूके’ नाम की इस रिपोर्ट में भारतीय प्रवासियों के मालिकाना हक वाली 654 ऐसी कंपनियों के कारोबार का विश्लेषण किया गया है, जिनका टर्नओवर कम से कम एक लाख पाउंड (करीब 92 लाख रुपये) सालाना है।
वहीं इसी रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि यूके में काम कर रही भारतीय कंपनियों की कुल सख्या 842 तक पहुँच गयी है जो कि एक नया रिकॉर्ड है। इन 842 कंपनियों में से 62 कंपनी ऐसी हैं जिनमें पिछले साल राजस्व वृद्धि दर यानि revenue growth rate 10 प्रतिशत या उससे ज़्यादा रहा है, इसके अलावा 8 कंपनियाँ ऐसी हैं जिनका राजस्व 250 मिलियन यूरो से भी ज़्यादा है। बता दें कि इस रिपोर्ट में भारतीय मूल के छोटे कारोबारियों के योगदान को नहीं जोड़ा गया है।
आपको यह भी बता दें कि भारतीय कंपनियों का सबसे बड़ा मार्केट शेयर तकनीक और टेलिकॉम क्षेत्र में है, जो कि लगभग 35 प्रतिशत है, जबकि manufacturing sector में भारतीय कंपनियों का शेयर 16 प्रतिशत है। इसी के साथ भारतीय कंपनियों का स्वास्थ्य और बिजनेस सर्विस में भी अच्छा खासा शेयर है।
भारतीय कंपनियों के बिजनेस में यह बड़ी वृद्धि यूके में brexit के समय में देखने को मिल रही है, जब ब्रिटेन में बिजनेस माहौल में काफी अनिश्चितता का माहौल छाया हुआ था। इसी से आप समझ सकते हैं कि अब brexit के बाद यूके में भारतीय कंपनियों का वर्चस्व और कितना बढ़ सकता है। पिछले दिनों ही यूके के निवेश मामलों के मंत्री Graham Stuart ने कहा था कि कुछ भारतीय कंपनियों ने एक ही साल में 100 प्रतिशत की दर से वृद्धि दर्ज की है।
ब्रिटेन में भारतीय कंपनियों की बढ़ती संख्या से यह स्पष्ट होता है कि भारत यूके में लगातार निवेश को बढ़ा रहा है और यह आने वाले समय में भारत और यूके के रिश्तों को और ज़्यादा मजबूत करने में अहम भूमिका निभा सकता है। brexit के बाद यूके को सबसे ज़्यादा उम्मीद अब भारतीय कंपनियों से ही है। Graham Stuart के मुताबिक EU से अलग होने के बाद यूके में कॉर्पोरेट टैक्स में 2 प्रतिशत की कटौती की जाएगी और इसे 19 प्रतिशत से घटाकर 17 प्रतिशत किया जाएगा, जिससे भारतीय कंपनियों को निवेश करने के लिए और ज़्यादा प्रोत्साहन मिलेगा। अब जब यूके में भारतीय मूल के सूनक को वित्त मंत्री बनाया गया है, तो अब यह कहना अतिशयोक्ति नहीं होगी कि भारतीय ही यूके की अर्थव्यवस्था को कंट्रोल कर रहे हैं।