झारखंड में BJP का ट्रम्प कार्ड: इस एक व्यक्ति के आने से झारखंड का सियासी गणित पूरा बदल चुका है

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झारखंड की सत्ता गंवाने के बाद बीजेपी अपने सियासी समीकरण को दुरूस्त करने में जुट गई है। एक तरफ आदिवासी वोटबैंक को खिंचने के लिए आदिवासी नेता बाबू लाल मरांडी को अपना सहयोगी बनाया दूसरी तरफ गैर आदिवासी वोटरों को अपनी ओर खिंचने के लिए दीपक प्रकाश को बीजेपी झारखंड का नया प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त किया है। दीपक प्रकाश की नियुक्ति से भाजपा झारखंड के स्थानीय नेता व कार्यकर्ताओं में भी काफी उत्साह देखने को मिल रहा है।

30 साल से भाजपा से जुड़े हैं दीपक प्रकाश

बता दें कि दीपक प्रकाश भाजपा के काफी पुराने नेता हैं। वे अपने छात्र जीवन से ही भाजपा से जुड़े थे। उन्होंने अपने करियर की शुरूआत भाजपा की स्टूडेंट विंग एबीवीपी से जुड़कर की थी। साल 2000 में जब झारखंड राज्य बिहार से अलग हुआ तो दीपक प्रकाश ने तत्कालीन सीएम बाबूलाल मरांडी के साथ काम किाय। उस समय वे झारखंड स्टेट मिनरल डेवलपमेंट कॉरपोरेशन के चेयरमैन बनाए गए थे।

बाबूलाल मरांडी और दीपक प्रकाश की पुरानी दोस्ती काम आएगी

साल 2006 में बाबूलाल मरांडी ने भाजपा की दामन छोड़ दी थी, उस दौरान दीपक प्रकाश ने भी भाजपा से अपना नाता तोड़ लिया। हालांकि ज्यादा दिन तक दीपक प्रकाश भाजपा से दूर नहीं रह सके। साल 2009 में ही उन्होंने फिर से भाजपा ज्वाइन की तब से ही वे पार्टी के विभिन्न पदों पर कार्यरत हैं। इससे पहले दीपक प्रकाश भाजपा की प्रदेश कमेटी में उपाध्यध व महामंत्री के पद पर सेवा दे चुके हैं।

भाजपा के दीपक प्रकाश और झारखंड विकास मोर्चा के बाबूलाल मरांडी की पुरानी दोस्ती भी झारखंड की सियासत को नई धार दे सकती है। एक तरफ भाजपा ने बाबूलाल मरांडी को नेता प्रतिपक्ष बनाकर आदिवासी मोर्चे को अपने पाले में किया है तो वहीं दीपक प्रकाश जैसे जमीनी नेता को भाजपा प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त करके काडर को भी खुश किया है जो रघुबर दास और अन्य नेताओं की अनबन के वजह से काफी हताश थे।

आदिवासी और गैर आदिवासी वोटबैंक की गणित एकदम फिट

कुल मिलाकर बाबूलाल मरांडी और दीपक प्रकाश की जोड़ी से झारखंड भाजपा की जातीय समीकरण एकदम संतुलित नजर आ रही है। राज्य में रघुबर दास के नेतृत्व में चुनाव हारने के बाद भाजपा ने सबक सीख लिया है। अब भाजपा को पता चल गया है कि जब तक जातीय गणित संतुलित नहीं होगी तब तक झारखंड फतह करना मुश्किल है। दूसरी ओर इन दो नेताओं को फ्रंटफुट पर लाकर पूर्व सीएम रघुबर दास और उनकी टीम को भी किनारे करने का मन बना लिया है। ऐसे में अगला चुनाव यानि विधानसभा चुनाव 2024 दिलचस्प होगा।

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