भूपेश बघेल: विवादों से ये भी अछूते नहीं, लेकिन कमलनाथ और गहलोत से लाख गुना बेहतर

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वर्ष 2018 में कांग्रेस तीन राज्यों में सत्ता में आई थी। वो तीन राज्य थे छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश और राजस्थान। इन तीनों ही राज्यों में कांग्रेस ने लगातार कई हारों का मुंह देखने के बाद जीत का स्वाद चखा था। हालांकि, मध्य प्रदेश और राजस्थान में कांग्रेस की सरकार पिछले 1 साल से विवादों के घेरे में ही रही है। चाहे सार्वजनिक मुद्दों पर काम करने की बात हो, या फिर पार्टी में अंदरूनी कलह की बात हो, मध्य प्रदेश और राजस्थान में कांग्रेस बिलकुल बंटी हुई नज़र आती है, लेकिन छत्तीसगढ़ के CM भूपेश बघेल और उनकी सरकार अभी तक विवादों से दूर ही बनी हुई है, जो दिखाता है कि भूपेश बघेल अपने राज्य में कमलनाथ और अशोक गहलोत से बेहतर सरकार चला रहे हैं।

प्रशासनिक मामलों में अभी तक भूपेश बघेल की सरकार MP और राजस्थान की सरकारों के मुक़ाबले बेहतर प्रदर्शन करती नज़र आई है। उदाहरण के तौर पर हाल ही में छत्तीसगढ़ सरकार ने सभी राशन कार्ड धारकों को आधार कार्ड से लिंक कराने का बीड़ा उठाया और इसके बेहद फलदायी परिणाम देखने को मिले। इस मुहिम के बाद पता चला कि कुल राशन कार्ड धारकों में से लगभग 22 प्रतिशत लाभार्थी फर्जी थे, यानि पंजीकृत 72 लाख लाभार्थियों में से लगभग 16 लाख लाभार्थियों को फर्जी पाया गया। यह सरकार के लिए बड़ी कामयाबी है और इससे स्पष्ट होता है कि राज्य सरकार आधार का सही इस्तेमाल कर रही है, लेकिन इसके साथ ही हमें यह देखना होगा कि कांग्रेस की बाकी सरकारें कैसा काम रही हैं।

मध्य प्रदेश की कमलनाथ सरकार ने तो मानों विवादों को अपने गले में हार की तरह पहन लिया है। कमलनाथ सरकार ने हाल ही में अपने स्वास्थ्य कर्मियों को एक बेतुका आदेश दिया था कि उन्हें कम से कम एक पुरुष की नसबंदी करानी ही होगी, अन्यथा उनकी नौकरी खतरे में पड़ जाएगी।

इसके अलावा MP सरकार अपने कई हिन्दू विरोधी फैसलों के कारण भी विवादों में आ चुकी है। अभी हाल ही राज्य सरकार ने 4000 बुजुर्गो द्वारा की जा रही तीर्थ यात्रा पर रोक लगा दी। अपने इस कदम का बचाव करते हुए राज्य सरकार ने कहा कि वह अपने खर्चे पर रोक लगाना चाहती है। प्रदेश सरकार के संबंधित विभाग द्वारा जारी आदेश में कहा गया, मुख्यमंत्री तीर्थ दर्शन योजना के अंतर्गत चलने वाले पांच तीर्थ दर्शन ट्रेनकार्यक्रम जो कि 15 फरवरी से शुरू होकर 2 मार्च तक चलना था, को अनिवार्य कारणों से रद्द कर दिया गया है।”

यही हाल राजस्थान में भी देखने को मिल रहा है। राज्य की स्वास्थ्य सेवा पूरी तरह चरमाई हुई है और इसका नमूना हमें तब देखने को मिला जब इस वर्ष की शुरुआत में राजस्थान के कोटा के JK लोन अस्पताल में हाइपोथर्मिया से मरने वाले बच्चों की संख्या 100 पार कर गयी। इस पूरे मुद्दे पर असंवेदनशीलता की सारी हदें पार करते हुए सीएम गहलोत ने बयान दे डाला कि ऐसी घटनाएं तो होती ही रहती हैं, जिस पर बड़ा विवाद खड़ा हो गया था।

इन सब चीजों के अलावा मध्य प्रदेश और राजस्थान में हमें कांग्रेस की अंदरूनी कलह भी देखने को मिलती है। मध्य प्रदेश में CM कमलनाथ और ज्योतिरादित्य सिंधिया के बीच खींचतानी देखने को मिलती है, तो वहीं राजस्थान में सचिन पायलट और अशोक गहलोत के बीच विवाद देखने को मिलता है, लेकिन छत्तीसगढ़ में भूपेश बघेल के सामने ऐसा कोई संकट नहीं है।

हालांकि, ऐसा भी नहीं है कि भूपेश बघेल दूध के धुले हों। चाहे उनका नाम फेक सेक्स स्कैंडल में आना हो, या फिर छत्तीसगढ़ सरकार का NIA एक्ट को चुनौती देना हो, जिससे नक्सलियों के खिलाफ लड़ाई कमजोर हो सकती है, उनकी सरकार के भी कुछ कदम विवादों में आ चुके हैं। लेकिन कुल मिलाकर अभी भी वे अपने मध्य प्रदेश और राजस्थान के समकक्षों के मुक़ाबले बेहतर प्रदर्शन करते दिखाई दे रहे हैं।

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