अरविंद केजरीवाल चुनाव से पहले ही ओपिनियन पोल दे दिया है, उन्हें मोदी लहर की उम्मीद है

अरविंद केजरीवाल

ऐसा लगता है कि अरविंद केजरीवाल ने चुनाव से पहले हार मान ली है। उनके बयानों और करतूतों को देखकर तो यही लगता है। एक के बाद एक हिंदुओं को लुभाने वाले बयान और फिर सार्वजनिक इंटरव्यू में हनुमान चालीसा पढ़ने से और अपने चुनावी घोषणा पत्र में दिल्ली के स्कूलों में देशभक्ति पाठ्यक्रम शुरू करने के ऐलान से तो यही पता चलता है। कुछ दिनों पहले तक अपने विकास कार्यों का प्रचार प्रसार कर जनता के बीच पहुंचने वाले अरविंद केजरीवाल अब हिंदुओं से दुहाई मांगने लगे हैं और देशभक्ति की बात करने लगे हैं। ये  वही केजरीवाल हैं जिन्होंने सेना द्वारा की गयी कार्रवाई के सबूत मांगे थे, अब स्वयं देशभक्ति का पाठ पढ़ने की बात करने लगे हैं।

ऐसा लगता है कि कल तक अपनी सरकार द्वारा किये गये कामों का राग अलापने वाले केजरीवाल को अपने किए कार्यों पर भरोसा नहीं है और वे अब पहले ही हार मान चुके हैं। जनता के बीच जैसे-जैसे उनके भ्रष्टाचार की पोल खुल रही वैसे-वैसे केजरीवाल की परेशानी बढ़ती जा रही है और वे हनुमान चालीसा और गीता का पाठ करने लगे हैं। यही नहीं आजकल अब अपनी खास टोपी में भी नजर नहीं आते हैं।

एक के बाद एक अपने झूठे दावों की पोल खुलते देख केजरीवाल के रुख में ये बदलाव लाजमी भी है। पहले उनके स्कूलों के दावे झूठे निकले और फिर कक्षा IX और XI से फेल छात्रों की अधिक dropping out rate भी जनता के समक्ष आ गयी। उसके बाद केजरीवाल द्वारा दिया जा रहा गंदा पानी और फिर Bureau of Indian Standards (BIS) की दिल्ली के खराब पानी पर report ने केजरीवाल की पोल खोल कर रख दी है। यही नहीं अरविंद केजरीवाल के कई पूर्व MLAs ने टिकट बँटवारे में रुपये लेकर टिकट बांटने के आरोप भी लगाए थे। द्वारका विधान सभा से AAP के पूर्व नेता आदर्श शास्त्री का ही उदाहरण देख लीजिये। कांग्रेस नेता महाबल मिश्रा के बेटे विनय मिश्रा को टिकट देने के लिए मौजूदा MLA और पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री के पोते आदर्श शास्त्री को ही टिकट नहीं दिया।

दिल्ली की जनता ने यह सब कुछ अपनी आंखो से देखा और अरविंद केजरीवाल के सभी भ्रष्टाचार को उन्होंने 5 वर्षों  तक सहा है। केजरीवाल यह जानते हैं कि अब उनकी पोल खुल चुकी है। इसलिए अब वह हिन्दू कार्ड खेल रहें हैं। CAA के पारित होने के बाद दिल्ली में जो भी हिंसा हुई उसमें AAP के नेताओं का पकड़ा जाना भी जनता ने देखा और उप मुख्यमंत्री मनीष सीसोदिया का दिल्ली पुलिस को बदनाम करने के लिए जामिया नगर में बस जलाने का झूठा आरोप लगाते हुए देखा। अब शाहीन बाग के प्रदर्शनों की वजह से लोगों की बढ़ती परेशानी भी केजरीवाल के खिलाफ माहौल बना चुकी है।

इन सभी वजहों को देखते हुए अरविंद केजरीवाल अब बैकफूट पर नजर आ रहे हैं और इसी वजह से अब उन्होंने सार्वजनिक मंचों से हनुमान चालीसा पढ़ना शुरू कर दिया है और अब स्कूलों में देशभक्ति पढ़ाने की बात करने लगे हैं। केजरीवाल के हालिया हावभाव को देखकर यह अंदाजा लगाया जा सकता है कि उन्होंने अपनी हार स्वीकार कर ली है। हनुमान चालीसा ही नहीं अब तो केजरीवाल शाहीन बाग के प्रदर्शन को हटाने की भी बात करने लगे हैं। अब hypocrisy देखिये कि एक तरफ जहां उनके दायें हाथ माने जाने वाले मनीष सीसोदिया ने शाहीन बाग के लिए कहा था कि वे शाहीन बाग के प्रदर्शनकारियों के साथ हैं वहीं, केजरीवाल यह कह रहें हैं कि अगर पावर उनके हाथ में होती तो वे दो घंटे में रोड क्लियर करवा देते। विधान सभा चुनाव में भाजपा की मजबूत होती पकड़ को देख केजरीवाल पूरी तरह से defensive मोड में आ चुके हैं और उन्हें पता है अगर दिल्ली की जनता जो अधिकतर सिख और हिन्दू समुदाय से आते हैं, उनके हाथ से निकल जाएंगे और उन्हें मुंह की खानी पड़ेगी। दिल्ली में केवल 13 प्रतिशत ही मुस्लिम वोट बैंक है और वह भी 5 से 6 सीटों पर 40 प्रतिशत के साथ।

अरविंद केजरीवाल को यह समीकरण पता है और इस वजह से अब वे हनुमान चालीसा पढ़ने लगे हैं और देशभक्ति की बात करने लगे हैं। वहीं वे देख रहें है कि दिल्ली के इस विधान सभा चुनाव में BJP ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी है। PM मोदी से लेकर योगी और जमीनी स्तर पर अमित शाह ने चुनाव के लिए जी-जान लगा दी है। कुछ राजनीतिक विश्लेषकों का तो मानना है कि अमित शाह और पीएम मोदी के चुनाव प्रचार से राजनीतिक समीकरण में बदलाव नजर आने लगे हैं। मतलब सीधे शब्दों में कहें तो अरविंद केजरीवाल का यह रुख उनकी हार को स्वीकार करने को दिखाता है। परंतु अब वो  दिल्ली की जनता के सामने एक्सपोज हो चुके केजरीवाल को हनुमान चालीसा पढ़ने से भी कुछ नहीं होने वाला है।

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