जामिया की Edited Video पर मातम मनाने वालों, नया वीडियो आने पर बोलती क्यों बंद है?

जामिया

जामिया मिलिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी एक बार फिर चर्चा में है। इस बार भी पढ़ाई या कोई उपलब्धि नहीं हिंसा को लेकर ही चर्चा में है। दरअसल, जामिया यूनिवर्सिटी में CAA के खिलाफ हुई हिंसा और पुलिस की कार्रवाई का वीडियो करीब 60 दिन बाद सामने आ गई है। वीडियो को लेकर पूरा वाम गिरोह दिल्ली पुलिस और गृहमंत्रालय पर सवाल कर रहा है लेकिन सच्चाई की तह में कोई नहीं जाना चाहता। वाम गिरोह केवल अपनी प्रोपेगेंडा के अनुसार कुछ चुनिंदे वीडियोज को ही शेयर कर रहे हैं जिनसे वो सरकार व पुलिस पर एकतरफा सवाल उठा सकें।

जामिया में दंगाई छात्रों के खिलाफ पुलिस के कार्रवाई की वीडियोज सामने आते ही लिबरल गिरोह की चहेती माने जानी वाली राणा अय्यूब ने ट्वीट कर अपना दुख जाहिर करते हुए ट्वीट  कर कहा,

‘मुझे याद नहीं कि पिछली बार मैं अपने देश से इतना निराश कब हुई थी। जामिया में असहाय छात्रों पर हमला करने वाले पुलिस के दृश्य, कैसे असहाय छात्र पुलिस से बचने के लिए भाग रहे हैं। मेरे हिसाब से भारत अब बिल्कुल नहीं बचा है और हम इसे बचा भी नहीं सकते’।

इसी तरह लिबरल गिरोह की आरजे साएमा जो हिंदू विरोधी खबरें प्रसारित करती रहती हैं। उन्होंने ट्वीट कर दिल्ली पुलिस पर तंज कसा- “वो आए और उन्होंने कहा- तुम्हारे साथ, तुम्हारे लिए, हमेशा। और चले गए। 15 दिसंबर की शाम उन्होंने जामिया के छात्रों पर गुलाब बरसाए (जैसा कि आप देख सकते हैं)”

बेरोजगार पत्रकार और लिबरलों के राजा अजीत अंजुम कैसे चुप रह सकते थे। उन्होंने भी इस वीडियो पर मातम मनाते हुए और पुलिस को सांप्रदायिक कहते हुए ट्वीट कर कहा- ”ये वही दिल्ली पुलिस है जो तमंचा लेकर शाहीनबाग पहुंचे लड़कों के आगे-पीछे हाथ बांधे खड़ी थी। जामिया में घुसकर ऐसे लाठियां बरसा रही है जैसे किसी ने ‘निर्देश’ दिया हो तो कि जो मिले उसे कूट देना। लानत है इस पुलिस पर जो ‘साम्प्रदयिक’ हो चुकी है।”

ठीक इसी तरह एबीपी न्यूज के एंकर व पत्रकार सुमित अवस्थी ने भी इस वीडियो पर अपनी व्यथा बताते हुए ट्वीट कर लिखा- ”जामिया विश्वविद्यालय की छात्रों की कॉर्डिनेशन कमेटी ओर से जारी ये सीसीटीवी की तस्वीरें वाकई में विचलित करने वाली हैं! लाइब्रेरी में मौजूद छात्रों को बिना बताए हुए अपना चेहरा छुपाये पुलिसिया वर्दीधारी ‘बेमतलब’ निशाना बनाते दिख रहे हैं! दावा किया गया है कि ये 15 दिसंबर का वीडियो है”।

हालांकि, सच्चाई वाम गिरोहों से कोसो दूर है। कई ऐसे वीडियो आए हैं जिन्हें देखकर स्पष्ट हो जाता है कि जामिया में पुलिस की कार्रवाई बिल्कुल जायज थी। उन्हें ऐसे दंगाई छात्रों के खिलाफ इसी तरह से पेश आना चाहिए था। पुलिस को विलेन कहने से पहले इन वीडियो को भी देखना चाहिए जिसमें साफ होता है कि ये छात्र हिंसा, पत्थरबाजी करके लाइब्रेरी में छिपने आ रहे थे।

भाजपा आईटी सेल के चीफ अमित मालवीया ने एक वीडियो शेयर की है। इस वीडियो में साफ देखा जा सकता है कि पुलिस के आने से पहले ही कुछ छात्र हाथ में किताब लेकर भागने लगे थे। दरअसल, ये वही छात्र थे जो मुंह ढंककर पत्थरबाजी करके आए थे। लाइब्रेरी में भी इन्होंने मुंह पर रूमाल बांध रखा था।

सच कहें तो जामिया हिंसा की 60 दिन बाद वीडियो शेयर करना वाम गिरोहों का एक प्रोपेगेंडा है। ये वीडियो पहले शेयर नहीं क्यों शेयर नहीं किये गये थे? और वीडियो शेयर किया भी गया तो इसे काट-छांट कर क्यों किया गया। अन्य वीडियो के सामने आने से साफ पता चलता है दंगाईयों ने पहले हिंसा की, फिर जब दिल्ली पुलिस ने खदेड़ा तो आकर लाइब्रेरी में छिपकर पढ़ने का ढोंक करने लगे।

कुल मिलाकर सरकार को चाहिए कि इन वीडियो पर जांच करे, इन्हें फॉरेंसिक टीम के हवाले करे ताकि सच्चाई का पता लगाया जा सके और पुलिस के खिलाफ फर्जी बयानबाजी को रोका जा सके।

 

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