लिबरल्स ने पहले सोचा कि शाहरुख एक “हिंदू आतंकवादी” है, फिर इस घटनाक्रम ने लिया नया ट्विस्ट

दिल्ली

PC: NDTV

अपने ही पैर पर धूम धड़ाके के साथ कैसे कुल्हाड़ी मारी जाती है, ये कोई लिबरल मीडिया से सीखे। जैसे ही सीएए विरोधी दंगाइयों ने हिंसा भड़काते हुए जाफराबाद, मौजपुर और पूर्वोत्तर दिल्ली के अन्य हिस्सों में उत्पात मचाया, लिबरल्स ने तुरंत मोर्चा संभालते हुए हिन्दू आतंकवाद का नारा बुलंद करने का प्रयास किया। जैसे ही दंगाइयों की तस्वीरें सार्वजनिक हुईं, वामपंथी गिरोह ने आव न ताव, हिन्दू आतंकवाद सोशल मीडिया पर चिल्लाना शुरू कर दिया। परंतु जैसे ही प्रमुख आरोपी की पहचान सामने आई, सबने एक बार फिर स्वभाव अनुसार चुप्पी साध ली।

वामपंथी गिरोह ने इस पूरे प्रकरण का ठीकरा भाजपा के सर फोड़ना शुरू किया। जब दिल्ली की ही एक घटना में एक दंगाई द्वारा पिस्तौल चलाने की वीडियो सामने आई, तो वामपंथियों ने तुरंत सारा दोष भगवा आतंकवाद पर मढ़ने का प्रयास किया। कुछ ने यहाँ तक कह दिया की दंगाई भगवा झंडे लहरा रहे थे। शाहीन बाग के उपद्रवियों का प्रतिनिधित्व करने वाला यह ट्विटर हैंडल ये अफवाह फैला रहा था कि कैसे भगवा आतंकवाद उपद्रव मचा रहा है।

अब बात सनातन धर्म को बदनाम करने की हो, और राणा अय्यूब अपना ज्ञान न दे, ऐसा हो सकता है क्या? तुरंत एक ट्वीट करते हुए उन्होंने कहा, ‘इस लोकतन्त्र में कौन सुरक्षित रह सकता है?” –

अब यह और बात है कि वो वस्तु वास्तव में पुलिस और निर्दोष नागरिकों पर फेंके जाने वाले पत्थरों को संभालने के लिए लाये गए नारंगी टोकरी थे।

https://twitter.com/shubh19822/status/1231949540179079169?s=20

 

 

इतना ही नहीं, कांग्रेस ने भी निकृष्टता की सभी हदें पार करते हुए इस प्रकरण में अपना राजनीतिक हित साधने का प्रयास किया। हालांकि, जिस तरह से काँग्रेस ने राजनीतिक रोटियां सेंकने का प्रयास किया है, उससे किसी को कोई हैरानी भी नहीं होनी चाहिए –

 

परंतु पुलिस की जांच पड़ताल में पिस्तौल से गोलियां चलाने वाले की पहचान जैसे ही उजागर हुई, वामपंथियों की सिट्टी पिट्टी गुम हो गयी। प्रमुख आरोपी मोहम्मद शाहरुख था, जिसे हाल ही में दिल्ली पुलिस ने हिरासत में ले लिया।

जैसे ही ये बात सामने आई, सोशल मीडिया पर कई यूज़र्स ने अपना आक्रोश जताते हुए उपद्रवियों और उन्हे बचाने की कोशिश करने वालों को जमकर लताड़ा। उधर सीएए समर्थकों ने कई घायल पुलिसकर्मियों को अस्पताल ले जाने में सहायता भी की –

https://twitter.com/Satyanewshi/status/1232158494767419392?s=20

 

 

 

सीएए विरोध के नाम पर जिस तरह से दंगाइयों को हिंसा फैलाने के लिए भड़काया जा रहा है, और दिल्ली को जंग के मैदान में परिवर्तित किया जा रहा है, उससे साफ है कि अपना राजनीतिक हित साधने के लिए कुछ लोग निर्दोषों की बलि चढ़ाने तक को तैयार हैं। परंतु कुछ निहायती बेशर्म लोग इसमें भी प्रोपगैंडा चलाना चाहते हैं, जिसके कारण वे सारा दोष भाजपा नेता कपिल मिश्रा पर डाल रहे हैं।

कपिल मिश्रा को बलि का बकरा बनाने की शुरुआत बरखा दत्त ने की थी। बरखा ने ट्वीट कर कहा था, “दिल्ली पुलिस का हैड कांस्टेबल रतन लाल हिंसक प्रदर्शनों के कारण मारा जाता है। ये काफी दर्दनाक है। परंतु ये कपिल मिश्रा के अल्टिमेटम के ठीक एक दिन बाद हुआ, जब उसने कहा कि सभी प्रदर्शनों को हटावाओ वरना….. जो भी जिम्मेदार है उसे तुरंत गिरफ्तार करो”।

इसमें कोई दो राय नहीं है कि इस हिंसा के पीछे वास्तव में कौन है। वामपंथियों के समूह ने इस मामले को दबाने और दिल्ली पुलिस के हैड कांस्टेबल की हत्या पर देश को भ्रमित करने का एक नाकाम प्रयास किया है। वे सारा दोष कपिल मिश्रा पर मढ़ना चाहते थे, ताकि मुहम्मद शाहरुख और बाकी दंगाइयों पर आंच न आए। पर मुहम्मद शाहरुख हिरासत में लिया जा चुका है, और अब अमित शाह ने भी मामले की कमान अपने हाथ में ले ली है। ऐसे में अब सरकार को सीएए विरोध के नाम पर गुंडई और हिंसा करने वालों और उन्हें समर्थन देने वालों को बिलकुल भी नहीं छोड़ना चाहिए।

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