‘इसमें तेरा घाटा मेरा कुछ नहीं जाता’, Jamia Millia Islamia ने प्लेसमेंट प्रक्रिया से Republic TV का “boycott” करने का लिया फैसला

रिपब्लिक टीवी

PC: ScoopWhoop

भारत के बड़े Mass communication कॉलेजों में से एक जामिया मिलिया इस्लामिया के Mass Communication Research Centre ने इस बार अपने प्लेसमेंट प्रक्रिया में रिपब्लिक टीवी का बहिष्कार करने का निर्णय लिया है। इसके पीछे उनका कारण है कि  जब जामिया के पास हुए उपद्रव में एक विद्यार्थी को गोली मार दी गई थी, और रिपब्लिक ने उसे गलत तरह से दिखाया था।

प्लेसमेंट संयोजकों में से एक सदफ ज़रीन के अनुसार, “हमने शुरुआत में रिपब्लिक टीवी को अपने कॉलेज में प्लेसमेंट प्रक्रिया के लिए बुलाया था। हमने उनको मेल भेजा था, और उन्होंने हमें वापिस कॉल बैक भी किया। परंतु गुरुवार की घटना के बाद हमने एकमत होकर यह निर्णय लिया कि चैनल को हम अपने प्लेसमेंट प्रोग्राम में नहीं बुलाएँगे”।

बता दें कि जामिया मिलिया इस्लामिया का Mass Communication Research Centre शिक्षा के लिहाज से इस देश के सर्वोच्च संस्थानों में से एक है। यहाँ Mass Communication, convergent journalism, डेव्लपमेंट कम्युनिकेशन, visual effects and animation में परास्नातक के साथ साथ ब्रॉडकास्ट प्राद्यौगिकी, स्टिल फोटोग्राफी, visual कम्युनिकेशन और एक्टिंग में एक वर्ष का डिप्लोमा पीजी कोर्स होता है। ये संस्थान देश में उन कुछ चुनिन्दा संस्थानों में से है जो मास कम्युनिकेशन के विभिन्न क्षेत्रों में पीएचडी की डिग्री प्रदान कराता है।

देशभर के किसी भी विश्वविद्यालय में जामिया के पास मास कम्युनिकेशन की दृष्टि से सबसे ज़्यादा सीटें उपलब्ध हैं। परंतु प्लेसमेंट सेल की  जिद्द के कारण इस संस्थान के विद्यार्थियों को देश के सबसे ज़्यादा देखे जाने वाले चैनल रिपब्लिक टीवी के लिए काम करने का अवसर नहीं मिल सकेगा।

रिपब्लिक टीवी की स्थापना मई 2017 में अर्नब गोस्वामी और राजीव चन्द्रशेखर द्वारा की गयी थी। बोर्ड ऑफ डाइरेक्टर्स में शामिल राजीव को 2018 में रिपब्लिक छोड़ना पड़ा क्योंकि उन्होंने भारतीय जनता पार्टी की सदस्यता ग्रहण कर ली थी। अंग्रेज़ी और हिन्दी, दोनों में ही रिपब्लिक टीवी सबसे ज़्यादा देखे जाने वाला न्यूज़ चैनल है, और इसीलिए वे बड़ी संख्या में मीडिया ग्रेजुएट को नियुक्त करते हैं।

अब न्यूज़ मीडिया एक छोटा उद्योग, पर आवेदक अनगिनत। ऐसे में यदि जामिया के विद्यार्थी रिपब्लिक का बहिष्कार करते हैं, तो इसमें रिपब्लिक का कम, और जामिया का ज़्यादा नुकसान होगा, क्योंकि रिपब्लिक को अन्य कॉलेज से लोगों को नियुक्त करने में ज़्यादा समय नहीं लगेगा।

परंतु जामिया के प्लेसमेंट सेल ने इसलिए रिपब्लिक टीवी का बहिष्कार करने का निर्णय लिया, क्योंकि रिपब्लिक टीवी उनके विचारों के अनुकूल नहीं  है। एक अन्य प्लेसमेंट संयोजक ऋषभ जैन के अनुसार, “हम जर्नलिज़्म के विद्यार्थी हैं और हम रिपब्लिक टीवी के रिपोर्टिंग का शुरू से विरोध करते हैं। जेएनयू और जामिया के विद्यार्थियों को जिस तरह से टार्गेट करते हैं, वो अपने आप में शर्मनाक है। 13 और 15 दिसंबर की घटनाओं के बाद उन्होने जामिया के विरुद्ध प्रोपगैंडा चलाया है”।

पर जामिया में ऐसे कई विद्यार्थी होंगे जो अर्नब गोस्वामी की विचारधारा से सहमत होंगे, परंतु वे अपनी बात खुलकर कह नहीं पाते, क्योंकि अधिकतर विद्यार्थी बिना सोचे समझे अर्नब की पत्रकारिता का विरोध करते हैं। यदि प्लेसमेंट सेल एक सीक्रेट वोट का आयोजन  कराता, तो उन्हे भी पता चल जाता कि कितने लोग अर्नब के पक्ष में वोट करते। परंतु जामिया के प्लेसमेंट सेल की हठधर्मिता और वहाँ के उपद्रवी छात्रों के कारण अब उन विद्यार्थियों को भी रिपब्लिक टीवी के साथ काम करने का मौका भी नहीं मिलेगा, जो रिपब्लिक के साथ वास्तव में जुड़ना चाहते थे।

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