हाल ही में एक अहम निर्णय में शिवसेना के कई नेता और पूर्व विधायक महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना में शामिल होते दिखाई दिए। पूर्व शिवसेना विधायक हर्षवर्धन जाधव और दिवंगत भाजपा नेता प्रमोद महाजन के भाई प्रकाश महाजन ने एक बार फिर महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना में वापसी की है। दोनों ने दादर में स्थित राज ठाकरे के निवास पर एमएनएस में पुनः सदस्यता ग्रहण की है।
इससे एक बात तो स्पष्ट होती है, कि राज ठाकरे ने ना सिर्फ अपनी पार्टी में एक नई जान फूंक दी है, बल्कि सत्ता के लालच में उद्धव ठाकरे द्वारा त्यागे गए हिन्दुत्व के विरासत पर अधिकार जमाने के लिए वह पूरी तरह तैयार हैं। आज के ही दिन यानि 9 फरवरी को राज ठाकरे ने सीएए के समर्थन और अवैध घुसपैठियों को दी जा रही राजनैतिक शह के विरुद्ध मुंबई में मोर्चा निकालेंगे। शिवसेना के एक नेता के अनुसार राज ठाकरे अपने चाचा और शिवसेना के संस्थापक बालासाहेब केशव ठाकरे के नक्शे कदम पर चल रहे हैं, जिससे स्पष्ट होता है कि अब शिवसेना के नेताओं को भी राज ठाकरे में हिन्दुत्व के विचारधारा को आगे बढ़ाने की उम्मीद दिख रही है।
बता दें कि 2019 के महाराष्ट्र विधान सभा चुनाव में भाजपा और शिवसेना ने आवश्यक बहुमत हासिल करते हुए एक बार फिर सत्ता में जगह बनाई। परंतु सत्ता के लालच में उद्धव ठाकरे ने न केवल भाजपा का साथ छोड़ा, अपितु सत्ता की लालसा में उसने हिन्दुत्व की विचारधारा को भी किनारे रख दिया, जिसके आधार पर शिवसेना ने कई वर्षों तक महाराष्ट्र की जनता के हृदय में अपना स्थान बनाए रखा था।
परंतु यह समय राज ठाकरे के लिए मानों किसी सुनहरे अवसर से कम नहीं था।उन्होंने अपने तेवर बदलते हुए अपनी पार्टी का उद्देश्य और रंग रूप दोनों ही बदल दिये। 23 जनवरी को बालासाहेब ठाकरे के जन्मदिन की वर्षगांठ पर राज ठाकरे ने महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के नए रूप से सभी को परिचित कराया। प्रचार प्रसार के दौरान ही स्पष्ट हो चुका था कि राज ठाकरे अपने चाचा बाल ठाकरे के हिन्दुत्व की विरासत को संभालने के लिए पूरी तरह तैयार हैं। महा अधिवेशन के लिए जारी किए गए एक पोस्टर में मराठी मानुष के बाद हिन्दुत्व का ही रंग नजर आ रहा था। पूरा पोस्टर भगवे रंग से रंगा था और लिखा था “महाराष्ट्र धर्म के बारे में सोचो, हिन्दू स्वराज्य का निर्धारण करो।”
इतना ही नहीं, एमएनएस के महाअधिवेशन में राज ठाकरे ने हिन्दुत्व के प्रति अपनी निष्ठा को सिद्ध करने के लिए कई क्रांतिकारी निर्णय लिए। एमएनएस का झंडा पूर्णत: भगवामय दिख रहा था और इसके साथ ही पार्टी के प्रतीक चिन्ह के तौर पर मराठा साम्राज्य के संस्थापक छत्रपति शिवाजी महाराज के प्रसिद्ध राजमुद्रा को चुना।
इतना ही नहीं, राज ठाकरे ने सीएए के समर्थन में अपनी बात आगे रखते हुए कहा, “यदि हिन्दुत्व पर कोई हमला होगा, तो मैं उसकी रक्षा में अपना सर्वस्व अर्पण कर दूँगा। हाँ, मैंने मोदी की आलोचना की है, पर जब वे सही थे, तो मैंने उनका समर्थन भी किया है। मैं उन लोगों का पक्ष कभी नहीं लूँगा जो सत्ता में बने रहने के लिए अपना रंग बदल दें”।
बांग्लादेशी घुसपैठियों पर जब उनकी राय पूछी गयी, तब उन्होंने बताया, “पाकिस्तान, बांग्लादेश से आए मुस्लिम घुसपैठियों को देश से बाहर करने के लिए केंद्र सरकार का समर्थन करेंगे। उन्होंने कहा कि इस देश में आए हुए बांग्लादेशी और पाकिस्तानी मुसलमानों को निकालने की जरूरत है। गृहमंत्री से मांग करेंगे, हम बम पर बैठे हैं।
हम बांग्लादेशी और पाकिस्तानी मुसलमानों को देश से बाहर निकालने के लिए 9 फरवरी को मोर्चा निकालेंगे। आज नागरिकता कानून पर जो चल रहा है, ठीक है, बहस हो सकती है। पर कौन, कैसा है? यह पुलिस सब जानती है। ये जो CAA, NRC के खिलाफ मुसलमान रोज मोर्चा निकाल रहे हैं, मुझे बताया गया कि 370 और राम मंदिर का गुस्सा CAA, NRC के बहाने निकाल रहे हैं”।
सच कहें तो राज ठाकरे ने अब उद्धव ठाकरे द्वारा हिन्दुत्व की विरासत पर एकमुश्त दावे को चुनौती देकर महाराष्ट्र की राजनीति को एक नया आयाम दे दिया है। उद्धव ने कांग्रेस और एनसीपी के साथ शिवसेना की सरकार बना कर हिन्दुत्व की विचारधारा को जो नुकसान पहुंचाया, उसकी क्षतिपूर्ति करने में राज ठाकरे कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं और अब शिवसेना के कई नेता भी इस बात को स्वीकार रहे हैं कि बालासाहेब ठाकरे के हिन्दुत्व को यदि कोई सही से संभाल सकता है, तो वो राज ठाकरे ही हैं।