“39, 81 से बड़ा है”, BJP को बदनाम करने के लिए NDTV ने logic का मर्डर ही कर डाला

मतलब कुछ भी?

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NDTV  भारत में फेक न्यूज़ फैलाने और तथ्यों को भ्रामक रूप से पेश करने के लिए बदनाम है। अब उसने फिर एक बार ऐसा ही किया है। दरअसल, NDTV ने कल एक बार ग्राफ़ पेश किया जिसके जरिये उसने यह बताने की कोशिश की कि लोकसभा में किस पार्टी के कितने प्रतिशत सांसद दागी हैं, यानि कितनों पर आपराधिक मुकदमे दर्ज हैं। 

हालांकि, इस ग्राफ़ में डेटा के representation के दौरान NDTV ने सभी लोजिक्स का बेरहमी से मर्डर कर दिया।

NDTV ने अपने ग्राफ़ में BJP के 39 प्रतिशत दागी सांसदों को JDU के 81 प्रतिशत और कांग्रेस 57 प्रतिशत दागी सांसदों से कहीं ज़्यादा बड़ा करके दिखाया, जबकि प्रतिशत के हिसाब से JDU का बार सबसे ऊंचा होना चाहिए था। इस हिसाब से NDTV ने 39 को 81 और 57 से बड़ा करके दिखाया।

ग्राफ़ में NDTV ने Bar को सांसदों की संख्या से हिसाब से सेट किया था, जबकि उनके ऊपर प्रतिशत के हिसाब से संख्या को लिखा हुआ था। इस हिसाब से संसद में सांसदों की ज़्यादा संख्या होने के कारण कम प्रतिशत होने के बाजूद BJP का बार सबसे ऊंचा हो गया, जबकि JDU के 81 प्रतिशत दागी सांसद होने के बावजूद भी उसका बार सबसे कम ऊंचा था, क्योंकि लोकसभा में JDU के सांसदों की संख्या BJP के मुक़ाबले बेहद कम है।

NDTV के इस भ्रामक बार ग्राफ़ के जारी होने के बाद सोशल मीडिया पर लोगों ने चैनल को जमकर लताड़ लगाई। लोगों ने चैनल को इस भ्रामक ग्राफ़ पर स्पष्टीकरण देने को कहा जिसके बाद चैनल को माफी मांगनी पड़ी, और उसके बाद चैनल ने एक दूसरे ग्राफ़ को जारी किया, जो कि असल में ग्राफ़ था ही नहीं। उस फोटो में NDTV ने साधारण रूप से दागी सांसदों की संख्या और उनके प्रतिशत को पार्टी के मुताबिक सेट करके दिखाया, लेकिन कांग्रेस के ‘बार’ को BJP से बड़ा दिखाने की हिम्मत NDTV की इस बार भी नहीं हुई।

इस बात में कोई शक नहीं है कि इस वक्त सबसे ज़्यादा दागी सांसद BJP से ही हैं, लेकिन लोकसभा में BJP के पास कुल 303 सांसद हैं, जिसके कारण अन्य पार्टियों से कम प्रतिशत में दागी सांसद होने के बावजूद भी लिस्ट में BJP ही टॉप करती दिखाई दे रही है।

अब हम वह दिखाएंगे, जिसे दिखाने की NDTV में हिम्मत नहीं है। देखिये NDTV को असल में यह ग्राफ जारी करना चाहिए था।

कांग्रेस को बुरी छवि में दिखाने से बचने के लिए और भाजपा को बदनाम करने के लिए ही NDTV ने इस सही ग्राफ़ को नहीं दिखाया। हालांकि, इस चैनल से और उम्मीद भी क्या ही की जा सकती है। रेलवे मंत्रालय द्वारा गरीब रथ एक्स्प्रेस को बंद करने की झूठी खबर फैलाना हो, या फिर UP के मंत्री को दलितों के घर में मच्छर काटने से परेशान होने की झूठी न्यूज़ फैलाना हो, NDTV ने देश में पत्रकारिता के स्तर को गिरने में अहम भूमिका निभाई है। लोगों के दबाव में आकर इस बार बेशक चैनल ने माफी मांग ली हो, लेकिन इससे NDTV के पक्षपाती रवैये का एक बार फिर भंडाफोड़ तो हो ही गया है।

 

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