भारत के खिलाफ प्रोपोगेंडा फैलाने में सबसे आगे रहने वाले BBC की शॉर्टवेव पर प्रसारित होने वाली हिंदी रेडियो प्रसारण सेवा आखिरकार 31 जनवरी से बंद हो गई। पूरे दिन इस पर हिंदी कार्यक्रम आते रहे और इसका आखिरी प्रसारण शाम साढ़े सात बजे हुआ। पिछले कुछ वर्षों में बीबीसी हिंदी की रेडियो प्रसारण के दर्शको में भारी गिरावट आई हैं, और 2011 में 1.1 करोड़ से पिछले वर्ष यह संख्या 40 लाख हो गया था।
बीबीसी के श्रोता बड़ी संख्या में शॉर्टवेव रेडियो से डिजिटल और टीवी की ओर चले गए। रेडियो श्रोताओं की लगातार गिरती संख्या को देखते हुए बीबीसी ने हिंदी में शॉर्टवेव रेडियो प्रसारण बंद करने का फैसला किया है। बहाना कुछ भी दिया जाए लेकिन एक बात स्पष्ट है कि लोगों को BBC की तकनीकी कमी, समाचार प्रस्तुति का उबाऊ तरीका इस टीवी और इंटरनेट के युग में दर्शकों को नहीं पसंद आ रहा था।
बीबीसी ने लागत खर्चों को घटाने के प्रयासों के तहत अगले तीन साल में पांच सेवाओं को बंद करने की योजना की पुष्टि की है। कंपनी कुल मिलाकर 32 भाषाओं में प्रसारण करती है। कंपनी ने कहा है कि कटौती कदमों के तहत तीन साल में 650 कर्मचारियों को हटाया जाएगा। बीबीसी की वेबसाइट पर उपलब्ध सूचना के अनुसार बीबीसी वर्ल्ड सर्विस जिन छह और सेवाओं का रेडियो प्रसारण बंद करेगी उनमें हिंदी, इंडोनेशियाई, किर्गिज और नेपाली भी है।
BBC अपने भारत विरोधी प्रोपोगेंडे के लिए जाना जाता है। पिछले वर्ष मोदी सरकार के कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने के बाद हिंसा को ध्यान में रखते हुए सभी कम्युनिकेशन और फोन सेवा को बंद कर दिया था। इसके बाद BBC ने प्रोपोगेंडा जारी रखने के लिए अपने प्रसारण का समय बढ़ा दिया था। यही नहीं इस मीडिया हाउस ने कई फेक न्यूज़ भी फैलाई थी। बीबीसी ने एक वीडियो को अपने ट्विटर हैंडल पर पोस्ट कर यह दावा किया था कि कश्मीर में विरोध प्रदर्शन कर रहे लोगों पर पुलिस ने आँसू गैस के गोले दागे। साथ ही वीडियो में यह भी दावा किया गया था कि भारत सरकार ऐसे किसी भी प्रदर्शन के ना होने का दावा कर रही है जबकि BBC के रिपोर्टर्स ने ऐसे प्रदर्शनों को होते देखा है। यही नहीं भारत को बदनाम करने के लिए एक लंबा चौड़ा लेख लिखा था जिसमें उसने मर्यादा की सारी सीमाएं लांघते हुए भगवान राम के सहारे भारत को एक मुस्लिम विरोधी राष्ट्र घोषित करने की कोशिश की थी।
BBC को शुरू से ही हिंदुओं और हिंदुस्तान से परेशानी रही है। बीबीसी को भारतीयों के राष्ट्रवाद से परेशानी होती है। बीबीसी को भारत में दक्षिणपंथी सरकार से परेशानी है। बीबीसी को पीएम मोदी से परेशानी है और अब BBC को ‘भगवान राम’ से भी परेशानी होने लगी है। बीबीसी की इन सभी परेशानियों के केंद्र में विश्व में बढ़ता भारत का वर्चस्व है। वास्तव में बीबीसी के लिए इस बात को पचा पाना मुश्किल है कि जिस देश पर अंग्रेजों ने 200 साल तक राज किया और जिस देश को लूटकर लगातार अपने खजाने भरे, आज वो देश हर क्षेत्र में उनसे आगे कैसे निकल सकता है?
अब BBC को ही अपना हिन्दी रेडियो का प्रसारण बंद करना पड़ रहा है। बता दें कि वर्ष 2011 में भी हिंदी रेडियो सेवा को बंद करने का प्रयास किया था, लेकिन, वामपंथी लेखक और पत्रकारों जैसे विक्रम सेठ और अरुंधति रॉय ने कई लेख लिखा और प्रकाशित किया। इसके साथ ही तर्क दिया कि ग्रामीण भारत में लाखों गरीब लोगों को इससे लाभ हुआ है। इसके बाद इस संगठन ने अपने निर्णय को वापस ले लिया। हालांकि, इस बार, संगठन ने अपने नुकसान को देखते हुए अरुंधति रॉय की बात नहीं मानी और इस सेवा को बंद कर दिया।