यहाँ बस टेंट और फर्नीचर है: शाहीन बाग प्रदर्शनकारी एक छोटी सी जीत के लिए वास्तविक लड़ाई हार गये हैं

शाहीन बाग

(PC: Amar Ujala

आज एक तरफ लेफ्ट लिबरल कबाल AAP की जीत पर खुशी मना रहा है तो वहीं दूसरी तरफ शाहीन बाग में होने वाला प्रदर्शन भी खत्म हो चुका है। पिछले दो महीने से शाहीन बाग क्षेत्र को घेर कर केंद्र सरकार के खिलाफ CAA -NRC  मुद्दे को लेकर प्रदर्शन करने वाले लोग आम आदमी पार्टी के चुनाव जीतते ही वापस अपने घर को लौटने लगे हैं।

अमर उजाला की रिपोर्ट के अनुसार मंगलवार की सुबह से ही शाहीन बाग का धटनास्थल खाली पड़ा है। यहां इक्का-दुक्का लोग ही धरना स्थल पर मौजूद हैं। इससे ये स्पष्ट होता है कि Shaheen Bagh में जिस मुद्दे के लिए प्रदर्शन किया जा रहा था वो पूरा नहीं हो पाया या वे अपने CAA के विरोध को सफलता पूर्वक अंजाम तक नहीं पहुंचा पाये हैं। शाहीन बाग में प्रदर्शन करने वालों की दो मांगे थी। पहली, CAA को केंद्र सरकार वापस ले और दूसरा, केंद्र सरकार NRC को न लाने का आश्वासन दे। ये दोनों ही मांगे अभी भी पूरे नहीं हुई है लेकिन फिर भी प्रदर्शन करने वाले अपने घर को लौट गए हैं। इस तरह से देखा जाए तो वे BJP के खिलाफ इस प्रदर्शन से AAP को चुनाव जिताने में सफल रहे लेकिन अपनी वास्तविक लड़ाई में हार गए।

शाहीन बाग में इस प्रदर्शन की शुरुआत 15 दिसंबर को हुई थी। यह वही समय था जब AAP के कई नेताओं का नाम जामिया और सीलमपुर में हुई हिंसा में सामने आया था। उस दौरान ओखला से आम आदमी पार्टी के MLA  शाहीन बाग में भाषण देते दिखे थे, यही नहीं उनके खिलाफ जामिया मिलिया यूनिवर्सिटी में हुई हिंसा को भड़काने के लिए शिकायत भी दर्ज की गयी थी।

दिल्ली में हुए सभी एंटी-CAA हिंसा में आम आदमी पार्टी की संलिप्तता स्पष्ट थी तो वहीं मनीष सीसोदिया दिल्ली पुलिस को बदनाम करते हुए भी दिखे। इसके लिए उन्होंने जामिया मिलिया में हुई बस आगजनी का आरोप दिल्ली पुलिस पर ही मढ़ दिया। यही नहीं सीलमपुर में हुई हिंसक प्रदर्शन को भड़काने वाले अब्दुल रहमान को इस पार्टी ने पुरस्कृत करते हुए टिकट दे दिया।

इसके बाद सुनियोजित तरीके से इन सभी हिंसक प्रदर्शनों पर पर्दा डालने के लिए Shaheen Bagh में धरना प्रदर्शन किया गया जिससे दिल्ली का मुस्लिम वोट बैंक पूरी तरह से AAP के खाते में चली जाए। चुनाव के बाद यही देखने को भी मिला। लेफ्ट लिबरल इकोसिस्टम ने शाहीन बाग को इस तरह उठाया जैसे इन सभी की नागरिकता अभी ही छीनने वाली है और मोदी सरकार उन्हें बेघर कर देगी। इस गैंग ने CAA  और NRC के बारे में इतना झूठ फैलाया कि विशेष वर्ग में मोदी शाह के लिए एक अलग तरह का विष भर गया है।

ये जहर इतना भरा जा चुका है कि शाहीन बाग में प्रदर्शन के दौरान लाये जाने वाले बच्चे भी आजादी के नारे लगाते हुए दिखे और हिंदुओं को सबक सीखाने की बात करते दिखे थे। इस पर तो National Committee for Protection of Child Rights यानि NCPCR  ने सरकारी अधिकारियों से शाहीन बाग में विरोध प्रदर्शनों में शामिल किए गए बच्चों की पहचान कर उनकी काउंसलिंग की व्यवस्था करने का निर्देश दिया था।

ED ने तो यह तक स्पष्ट कर दिया था कि शाहीन बाग में होने वाले प्रदर्शन में PFI का हाथ है और इस संगठन का सीधा लिंक AAP और कांग्रेस ने नेताओं से है। हालांकि, AAP ने कभी भी इस प्रदर्शन का समर्थन नहीं किया था लेकिन चुनाव के आखिरी चरण में दिल्ली के उप मुख्यमंत्री मनीष सीसोदिया ने यह जरूर कह दिया था कि वे शाहीन बाग के प्रदर्शनकारियों के साथ हैं। यह समझने वाली बात है कि आप ने यह कभी स्वीकार नहीं किया कि शाहीन बाग में हो रहे प्रदर्शन उनकी चुनावी रणनीति का हिस्सा है, लेकिन इस प्रदर्शन से सबसे अधिक फायदा AAP को ही हुआ है। इससे सारे BJP  विरोधी वोट आम आदमी पार्टी के पाले में चले गए।

इसका असर चुनाव के दौरान देखने को मिला। ओखला का ही उदाहरण ले लीजिये। इस विधान सभा क्षेत्र में AAP को 81.64 प्रतिशत वोट शेयर मिला। हालांकि, सभी विधान सभा क्षेत्रों में AAP को फायदा हुआ तो वहीं मुख्यमंत्री केजरीवाल ने भी अपना कार्ड अच्छे से खेला और चुनाव से एक दिन पहले यह बयान दिया था कि “अगर हमारे पास पावर होती तो 2 घंटे में शाहीनबाग का रास्ता खुलवा देता”। उनके इस बयान ने शाहीन बाग में चल रहे प्रदर्शन की वजह से होने वाली AAP को कोलेटरल damage से बचा लिया।

अब जैसे ही चुनाव के परिणाम आये और AAP की जीत सुनिश्चित हुई, वैसे ही शाहीन बाग का इलाका खाली नजर आने लगा। कुछ दिनों पहले ही यह कहते सुना गया था कि वे तब तक नहीं हटेंगे जब तक मोदी सरकार CAA -NRC को वापस नहीं लेती। वे ये भी दावा कर रहे थे कि सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बावजूद अपना प्रदर्शन जारी रखेंगे।

परंतु आज न तो CAA वापस लिया गया है और NRC का तो अभी सवाल ही नहीं है क्योंकि यह अभी आया ही नहीं है, फिर भी इस प्रदर्शन के आयोजनकर्ता जल्दीबाजी में दिख रहे हैं। ये प्रदर्शन लगभग समाप्त हो गया है। आने वाले एक दो दिन में पूरा शाहीन बाग खाली दिखाई देने लगेगा जैसे वहाँ कुछ हुआ ही नहीं था।

शाहीन बाग के प्रदर्शन से जो हासिल करना था उसे AAP ने हासिल कर लिया है लेकिन जिस मुद्दे के लिए यह किया जा रहा था वह अभी पूरा ही नहीं हुआ। इस प्रदर्शन ने देश-विदेश की मीडिया का ध्यान अपनी ओर आकर्षित किया जिससे भारत की छवि को भी नुकसान पहुंचा है।

अगर कम शब्दों में कहें तो AAP ने जानबूझकर एक विशेष वर्ग में डर का माहौल बनाया जिससे वे प्रदर्शन करने के लिए आगे आये और उसका फायदा AAP को चुनावों में मिला। स्पष्ट है AAP ने चुनाव जीतने के लिए उन प्रदर्शनकारियों का केवल इस्तेमाल किया है। जब AAP ने चुनाव जीत लिया तो ये सभी प्रदर्शनकारी भी अपने घर को चलते बने। भले ही आम आदमी पार्टी जीत गयी हो पर इस प्रदर्शन में शामिल लोगों की हार हुई है।

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