‘CAA देश विरोधी है, और यह भारत के लोकतन्त्र के लिए खतरा है’ कहने वाले लोगों के लिए मुंबई से एक बेहद अहम खबर सामने आई है। CAA विरोधी एक कवि और कम्युनिस्ट छात्र उबर कैब में बैठकर फोन पर अपने दोस्त से बात करने लगा और उसे बताने लगा कि कैसे मुंबई और पूरे देश में CAA विरोध प्रदर्शन बड़ा रूप लेते जा रहे हैं। उसने अपने दोस्त से इस बात पर भी चर्चा की, कि कैसे इन प्रदर्शनों को और ज़्यादा प्रभावी बनाया जा सकता है। उस व्यक्ति की बात सुनकर गाड़ी चला रहा उबर ड्राइवर इतना चिंतित हो गया कि उसने अपनी गाड़ी को नजदीकी पुलिस स्टेशन पर ले जाना ही बेहतर समझा और पुलिस को बताया कि एक ‘देश-विरोधी’ शख्स उसकी गाड़ी में बैठा है। बाद में पुलिस ने इस कवि छात्र को ढाई घंटे की पूछताछ के बाद जाने दिया।
CAA का विरोध कर रहे शख्स को फोन पर बात करते हुए सुनने के बाद उबर ड्राईवर ने पुलिस को बताया “ये शख्स देश जलाने की बात कर रहा है। बोल रहा है कि पूरे देश को शाहीन बाग बना देंगे, मैं कम्युनिस्ट हूँ, मेरे पास पूरी रिकॉर्डिंग है”। इस पूरी घटना को समझने के लिए सबसे पहले आपको यह तय करना होगा कि आप इस उबर ड्राईवर को किस नज़र से देखते हैं। आप उसे भाजपाई, संघी या मोदी भक्त के दृष्टिकोण से देखते हैं, या फिर उसे एक आम भारतीय नागरिक की तरह। बिना एजेंडे का मिश्रण करे, इस व्यक्ति पर भाजपाई होने का टैग तो कम से कम नहीं लगाया जा सकता। ऐसे में हर दिन जमीनी स्तर पर काम करने वाले इस उबर ड्राईवर को आखिर किस चीज़ ने CAA विरोधी का विरोध करने पर मजबूर किया?
हर दिन हाथ में डफली बजाने वाले शख्स को, और विरोध प्रदर्शनों में हिस्सा लेने वाले लोगों को ये नहीं पता है, या वो यह जानने की कोशिश नहीं करते हैं कि देश के आम लोग इस मुद्दे पर उनके साथ हैं, या फिर वे उनके साथ खड़े हैं जिनका ये वामपंथी और कम्युनिस्ट लोग विरोध करते हैं। इस घटना से स्पष्ट होता है कि वह उबर ड्राईवर CAA के समर्थन में खड़ा है क्योंकि जमीनी स्तर पर उसे घुसपैठियों से पैदा होने वाली समस्या से दो चार होना पड़ता है। मुंबई जैसे इलाकों में तो ऐसे घुसपैठियों की भरमार है जो क्षेत्रीय लोगों के रोजगार और उनकी सुरक्षा के लिए खतरा बनते हैं। वह उबर ड्राईवर ना सिर्फ CAA के समर्थन में खड़ा है, बल्कि उसे इसके खिलाफ एजेंडा फैला रहे लोगों के बारे में भी जानकारी है। इसी के साथ उस आम व्यक्ति ने यह भी साबित कर दिया कि उसका संवाद इन वामपंथियों और कम्युनिस्टों के बजाय देश की सरकार से और पीएम मोदी से बेहतर है।
सरकार और कानून की नज़र में वह शख्स देश विरोधी हो या ना हो, लेकिन उस उबर ड्राईवर के लिए वह देश-विरोधी था क्योंकि जब कोई भी व्यक्ति CAA का विरोध करता है, तो वह सीधे तौर पर उस उबर ड्राईवर जैसे करोड़ों आम नागरिकों के हितों के खिलाफ बोल रहा होता है। इस घटना को मामूली समझने की भूल नहीं करनी चाहिए बल्कि यह घटना देश में हो रहे तथाकथित CAA विरोध की असली कहानी को बयां करती है।