परवेश साहिब सिंह वर्मा दिल्ली भाजपा का प्रमुख बनने के लिए सबसे उत्तम हैं

परवेश साहिब सिंह वर्मा

PC: The Federal

दिल्ली विधानसभा चुनाव के परिणाम घोषित हो चुके हैं और एक बार फिर आम आदमी पार्टी ने सत्ता वापसी दर्ज की है। आम आदमी पार्टी ने  62 सीटों पर जीत दर्ज की है, जबकि भाजपा ने पहले के मुक़ाबले थोड़ा बेहतर प्रदर्शन किया है। वहीं काँग्रेस को पिछली बार के मुक़ाबले इस बार भी शून्य ही हाथ लगा है।

अब जहां भाजपा को अपने क्षेत्रीय नेतृत्व में व्यापक सुधार करने की आवश्यकता है, तो वहीं उसे इस बात को भी सुनिश्चित करना होगा कि इस बार वे अच्छे नेताओं को चुने। सर्वप्रथम तो भाजपा को मनोज तिवारी से नेतृत्व की कमान वापिस ले लेनी चाहिए, क्योंकि वे अन्य भाजपा नेताओं की तुलना में ज़मीन से जुड़े हुए नेता नहीं थे। पूर्वांचल के लोग किसी भी ऐसे स्टार को पसंद नहीं करते जो अपने स्टारडम के नशे में चूर हो। ऐसा कोई भी व्यक्ति जमीनी स्तर पर लोगों को अपनी ओर आकर्षित करने में सफल नहीं हो पाता। यही नहीं पार्टी का कार्यकर्ता भी इस तरह के व्यवहार को नहीं पसंद करते हैं। इस वजह से दिल्ली में लगभग 40 प्रतिशत वोट शेयर वाला पूर्वांचली जनता ने भी मनोज तिवारी को नकार दिया।

अब यदि भाजपा को दिल्ली में सरकार बनानी है, तो उसे किसी ऐसे व्यक्ति को कमान सौंपनी होगी, जो न केवल दिल्ली से जुड़ा हुआ हो बल्कि उसकी लोकप्रियता का भी कोई तोड़ न हो। अगर BJP को दिल्ली में सरकार बनानी है तो उन्हें परवेश सिंह वर्मा जैसे किसी नेता को कमान सौंपनी होगी। सच कहें तो यदि परवेश साहिब सिंह वर्मा जैसे किसी नेता को दिल्ली भाजपा की कमान सौंपे, तो इससे बढ़िया दिल्ली भाजपा के लिए कुछ नहीं हो सकता।

अब परवेश साहिब सिंह वर्मा कौन हैं? परवेश साहिब सिंह वर्मा पश्चिमी दिल्ली से भाजपा के वर्तमान सांसद हैं, जिन्होंने एक बार फिर प्रचंड बहुमत से 2019 के लोकसभा चुनाव में विजय प्राप्त की है। इनके पिता साहिब सिंह वर्मा ने 1990 के दशक में भाजपा की ओर से दिल्ली प्रांत के मुख्यमंत्री का पद भी संभाला था। परवेश सिंह वर्मा की पश्चिमी दिल्ली पर काफी गहरा प्रभाव है। हालांकि, दिल्ली विधानसभा में उनके नेतृत्व में 10 सीटों पर किसी पर भी भाजपा नहीं जीत पायी, परंतु उनमें भी अधिकतर सीटों पर भाजपा कम अंतर से हारी है।

परवेश साहिब सिंह वर्मा दिल्ली के क्षेत्रीय समीकरणों के हिसाब से एकदम फिट बैठते हैं। वे जाट समुदाय से संबंध रखते हैं, जो दिल्ली का एक अहम हिस्सा माने जाते हैं। वे काफी पढ़े लिखे होने के साथ साथ हिन्दुत्व के मुद्दे पर भी काफी मुखर रहे हैं। जमीनी स्तर पर परवेश साहिब सिंह वर्मा का नेटवर्क काफी उत्तम है। इसीलिए यदि दिल्ली भाजपा की कमान उन्हें सौंपी जाती है, तो भाजपा के लिए इससे बढ़िया कुछ नहीं हो सकता।

क्षेत्रीय नेतृत्व को बढ़ावा देने पर भाजपा सदैव लाभकारी स्थिति में रही है। 2016 में असम में हिमांता बिस्वा सरमा और सर्बानन्द सोनोवाल की जोड़ी ने मिलकर असम में न केवल तरुण गोगोई के एकछत्र राज्य को चुनौती दी, अपितु उन्हें हराकर ही दम लिया। 2017 में हिमाचल प्रदेश में जयराम ठाकुर जैसे व्यक्ति को सीएम फेस बनाने का भाजपा को खूब लाभ मिला और 66 सीटों में से उन्होंने 44 सीटों पर विजय प्राप्त की। इतना ही नहीं, मणिपुर चुनावों में भी क्षेत्रीय नेता एन बीरेन सिंह को उतारने का फायदा यह हुआ कि सबसे ज़्यादा सीट जीतने के बावजूद काँग्रेस सरकार बनाने में असफल रही।

ऐसे में अब भाजपा के लिए 2020 के आगामी महीने आत्ममंथन के लिए सर्वोत्तम है। उन्हें अपने क्षेत्रीय नेतृत्व को धार देने पर ध्यान केन्द्रित करना चाहिए और परवेश साहिब सिंह वर्मा जैसे नेताओं को उनके क्षेत्र का नेतृत्व करने का अवसर प्रदान करना चाहिए। अभी भी कुछ बिगड़ा नहीं है, और यदि भाजपा चाहे, तो 2021 उसके लिए एक बार फिर सुनहरी सुबह लाएगा।

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