भीमा कोरेगांव केस: लिबरलों को बचाने के लिए हिंदुओं को फर्जी हिंदू आतंकवाद में फंसाना चाहते हैं पवार

शरद पवार, भीमा कोरेगांव हिंसा, उद्धव ठाकरे,

भीमा कोरेगांव में हुई हिंसा का मामला अब और अधिक जटिल हो गया है। ये केवल केंद्र सरकार और महाराष्ट्र सरकार में तनातनी का विषय नहीं है, अपितु महाराष्ट्र सरकार के भीतर भी विवाद का विषय बना हुआ है। जब भीमा कोरेगांव का मामला एनआईए को ट्रांसफर हुआ, तो शरद पवार ने तुरंत आपत्ति जताते हुए आदेश दिया कि एनसीपी के अंतर्गत आने वाला गृह मंत्रालय अपनी अलग जांच-पड़ताल करेगा।

अब ऐसा लग रहा है कि शरद पवार एक बार फिर हिन्दू आतंकवाद के झूठे सिद्धान्त को सिद्ध करने के लिए प्रयासरत हैं। शरद पवार के अनुसार जितने भी माओवादी हिरासत में लिए गए हैं, वे सभी निर्दोष हैं, और संभाजी भिड़े और मिलिंद एकबोटे [जिन्होंने भीमा कोरेगांव में मराठा योद्धाओं की हार के उत्सव का विरोध किया] इस हिंसा के मुख्य दोषी हैं।

इस पर आपत्ति जताते हुए महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री देवेन्द्र फड़नवीस ने इस मुद्दे को बजट सत्र से पहले उठाते हुए कहा, “एनसीपी प्रमुख का हिंसा पर पहला रिएक्शन था कि हिंदुत्ववादियों ने यह हमला किया था, परंतु पुलिस वालों को इस संबंध में कोई साक्ष्य नहीं मिले हैं। पूरे इनवेस्टिगेशन में न तो बॉम्बे हाईकोर्ट को कोई आपत्ति है और न ही सर्वोच्च न्यायालय को। परंतु एक अलग एसआईटी का गठन कर पवार हिंदुत्ववादियों को फंसाना चाहते हैं”।

बता दें कि भीमा कोरेगांव के युद्ध के 200वीं वर्षगांठ के अवसर पर भड़की हिंसा में शरद पवार ने प्रारम्भ से यह पक्ष रखा है कि ये सारा किया कराया हिंदुत्ववादियों का है। ऐसे में देवेंद्र फड़नवीस ने न सिर्फ शरद पवार की कुटिल नीतियों को उजागर किया है, अपितु इस मामले की जांच एनआईए को सौंपने के लिए उद्धव ठाकरे को सम्मानित करने का निर्णय भी लिया है।

परंतु शरद पवार यूं ही इस मामले को एनआईए को सौंपे जाने के धुर विरोधी नहीं हैं। शरद पवार का सम्पूर्ण राजनीतिक करियर ऐसे कई अवसरों से भरा पड़ा है, जहां उन्होंने अल्पसंख्यक तुष्टीकरण के चक्कर में नैतिकता की बलि चढ़ाई है। 1993 में जब मुंबई 12 सिलसिलेवार बम धमाकों से दहल उठी, तो शरद पवार ने तुरंत एक एक्सट्रा बॉम्ब ब्लास्ट का सृजन किया, ताकि ‘हिन्दू मुस्लिम-एकता’ बनी रहे।

परंतु ये बात वहीं पर नहीं रुकी, शरद पवार ने इसके लिए एलटीटीई तक को दोष देने का प्रयास किया, ताकि देश में इस्लामोफोबिया का संचार न हो। शरद पवार ने ये झूठ न सिर्फ श्रीक़ृष्ण कमीशन के सामने कबूला, अपितु उन्होंने यह भी दावा किया कि इस झूठ के लिए उन्हें शाबाशी भी मिली। ऐसे में अल्पसंख्यक तुष्टीकरण के लिए सनातन समुदाय को दोष देना और हिन्दू आतंकवाद के झूठे सिद्धान्त को बढ़ावा देना शरद पवार के लिए कोई नई बात नहीं है।

इससे पहले एनसीपी के प्रवक्ता नवाब मलिक ने महाराष्ट्र के गृहमंत्री अनिल देशमुख पर एक अलग जांच कमेटी बिठाने पर ज़ोर दिया। इससे स्पष्ट होता है कि शरद पवार को सेक्यूलरिज़्म के नाम पर सनातन समुदाय को अपमानित करने के अवसर के ताक में किस प्रकार रहते हैं, और कैसे वे भीमा कोरेगाँव हिंसा के मामले के जरिये हिन्दू आतंकवाद के भ्रम को जनता के बीच फैलाना चाहते हैं।

Exit mobile version