पुलवामा- एक कायराना हमला जिसने भारतीय उपमहाद्वीप को हमेशा के लिए बदल दिया

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आज पुलवामा आतंकी हमले के एक साल पूरे हो गए हैं। आज का दिन भारतीय इतिहास में किसी काले दिन से कम नहीं है। आज ही के दिन जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में हुए फिदायीन हमले में मां भारती के 40 वीर जवान शहीद हुए थे।

आज यानि 14 फरवरी को पाकिस्तान द्वारा प्रायोजित जैश ए मोहम्मद द्वारा पुलवामा में किए गए आतंकी हमले ने देश भर को स्तब्ध कर दिया था और देश में सभी नागरिकों की एक आम भावना थी कि पाकिस्तान के इस कायराना हरकत की बदला ली जाए। पुलवामा आतंकी हमले को भारतीय सशस्त्र बलों के गौरवशाली इतिहास में सबसे दुखद घटनाओं में से एक के रूप में याद किया जाता है। आतंकी हमले के बाद भारतीय राजनीति में भी काफी बदलाव देखने को मिला। सच कहें तो इस घटना ने भारतीय उप-महाद्वीप की वैश्विक छवि ही बदल दी।

अपने वीर सैनिकों के बलिदान का बदला लेने के लिए पूरे देश में आवाजें उठ रही थी। संसद से सड़क तक लोगों में पाकिस्तान के खिलाफ आक्रोश देखने को मिल रहा था। जिसके बाद भारत ने हमले के ठीक 12 दिन बाद 26 फरवरी को रात 3 बजे एक बड़ी कार्रवाई करते हुए पाकिस्तानी सीमा के करीब 100 किमी अंदर बालाकोट में घुसकर जैश-ए-मोहम्मद के आतंकी ठिकानों पर 1 हजार किलो बम बरसाए। इस ऑपरेशन में वायुसेना ने अपनी 12 मिराज फाइजर जेट्स का इस्तेमाल किया था।

इस हमले में जैश-ए-मोहम्मद के आतंकी ठिकाने पूरी तरह तबाह हो चुके थे। भारतीय वायुसेना की इस ऑपरेशन के बाद रिपोर्ट आई कि जिस जगह पर वायुसेना ने हमला किया था वहां 300 से ज्यादा फोन एक्टिव थे। यानि 300 लोग जहन्नुम में पहुंच चुके थे। इसके अलावा, एक आतंकवादी छात्र की गवाही से यह बहुत स्पष्ट था कि 26 फरवरी को जैश के शिविरों पर बमबारी की गई थी और सैकड़ों आतंकवादी मारे गए थे।

वायुसेना ने इस ऑपरेशन का कोड नाम ‘ऑपरेशन बंदर’ दिया था। इस ऑपरेशन में वायुसेना को जबरदस्त सफलता मिली। वायुसेना ने जैश-ए-मोहम्मद के आतंकी कैंपो के अंदर पांच स्पाइस 2000 बम दागे, जिनमें से चार ने पूरी तरह से उनके इमारतों को अपना निशाना बनाया।

इस आतंकी हमले और इसके जवाब ने भारत के सैन्य सिद्धांत को पूरी तरह से बदलकर रख दिया। जहां तक बात है दिल्ली की पाकिस्तान नीति का, तो इस हमले से साफ सिद्ध हो गया कि ये नया भारत है और घर में घुसकर मारेगा।

इस हमले से पहले भी भारतीय सेना ने मोदी सरकार के नेतृत्व में कई आक्रामक रूख अपनाए थे। उनमें से एक था 2016 का सर्जिकल स्ट्राइक, यह भी पाकिस्तान से उरी हमले का बदला लेने के लिए किया गया था।

लेकिन बालाकोट एयर स्ट्राइक सर्जिकल स्ट्राइक्स बिल्कुल अलग था, इसके दो कारण हैं-

  1. जमीनी हमला और हवाई हमला बहुत अलग होते हैं। दोनों में हमारी सेना ने घर में घुसकर मारा था लेकिन हवाई हमले में 1000 किलो बम बरसाकर, दुश्मन को आंख दिखाकर आना बड़ी बात होती है। हवाई हमलों में जमीनी हमलों से ज्यादा नुकसान होते हैं। वैश्विक स्तर पर अमेरिका जैसे देश हवाई हमले करते हैं।
  2. दूसरा कारण यह है कि 2016 में हमारी थल सेना ने केवल पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर यानि पीओके पर हमला किया था लेकिन बालाकोट एयर स्ट्राइक पाकिस्तान के वैध जमीन में घुसकर हमला किया था।

हालांकि 2016 का सर्जिकल स्ट्राइक भी अपने आप में महत्वपूर्ण थी, क्योंकि इस ऑपरेशन ने दुश्मन देश को साफ संदेश दिया था कि एलओसी के नियमों और समझौतों को मान्यता नहीं दी जाएगी यदि पाकिस्तान ने भारत में एक भी आतंकी हमले को अंजाम दिया।

बालाकोट एयर स्ट्राइक एक कदम आगे बढ़ी। भारत ने पाकिस्तान को स्पष्ट संदेश दिया कि हम अपनी सुरक्षा के लिए जब एलओसी को पार कर सकते हैं तो अंतर्राष्ट्रीय सीमा भी हमारे सामने कुछ नहीं है। हम इसे भी लांघकर बदला लेंगे।

इस हमले के बाद पाकिस्तानी सेना व सरकार घुटने पर आ गई और उन्होंने आतंकियों को बालाकोट, पीओके से दूर हटाकर अफगानिस्तान की सीमा के पास कर दिया, इसके अलावा उनके पास कोई भी चारा नहीं था।

भारतीय वायुसेना ने पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा में पाकिस्तान के आतंकी गढ़ में लंका लगा दिया था। यह पाकिस्तान और उनके आतंकियों को स्पष्ट संदेश था कि चाहे कुछ भी कर लो आतंकी कहीं भी नहीं पलने वाले, यानि इस गलतफहमी में न रहो कि भारत केवल पीओके तक ही मार सकता है, भारत कहीं भी जाकर अपने दुश्मनों को मारने में सक्षम है।

यह तर्क दिया जा सकता है कि भारत इजरायल के रास्ते पर अपने दुश्मन देश के खिलाफ चल रहा है।

चाहे वह Operation Wrath of God, Bekka Valley shootout या दुबई में पीएलओ ऑपरेटिव की हत्या हो इजराइल दुश्मन की सीमा में घुसकर मारने में कभी भी नहीं घबराया। इसी तरह पुलवामा आतंकी हमले के बाद भारत ने पूरी दुनिया को बता दिया कि भारतीय सीमा में कोई भी दुस्साहस करेगा वह बचेगा नहीं।

पिछले एक साल में भारत में कई सैन्य विकास हुए हैं- इंटिग्रेटेड बैटल ग्रुप्स (IBG) और Chief of Defence Staff (CDS) का गठन सबसे महत्वपूर्ण हैं जिससे भारतीय सेना का मनोबल कई गुना बढ़ेगा।

14 फरवरी एक ऐसा दिन है जिसे भारत उस दिन के रूप में याद करता है जब उसके 40 बहादुरों ने सर्वोच्च बलिदान दिया था। दूसरी ओर, पाकिस्तान इसे इस बात के लिए खेद के साथ याद रखेगा कि वह इस दिन अपनी नापाक हरकतों के कारण भारत की सेना के क्रोध को आमंत्रित किया था और पूरी दुनिया के सामने शर्मसार हुआ था।

जय हिंद! TFI शहीदों को शत-शत नमन करता है.

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