बिहार विधानसभा चुनाव से पहले ही नीतीश कुमार और लालू ने गठबंधन कर लिया है

नीतीश कुमार

PC: India.com

राजनीति के कई आयाम होते हैं, जो नेताओं की महत्वकांक्षा से निर्धारित होते हैं। भारत में ये महत्वकांक्षा सिर्फ वोट बैंक लुभाने के लिए होती है न कि देश के विकास या सुरक्षा के लिए। क्षेत्रीय नेताओं में खास कर ये अधिक देखने को मिलता है। ये ही प्रथा बिहार में भी देखने को मिल रही है। नीतीश कुमार की JDU ने कांग्रेस शासित राज्यों की तर्ज पर बिहार में भी NRC पर प्रस्ताव पारित करा लिया। इसी के साथ अब फाइनल हो गया है कि बिहार में NRC लागू नहीं होगा। हालांकि, सत्ता में NDA है लेकिन ये प्रस्ताव सर्वसम्मति से पारित हुआ। यानि इस मामले पर JDU को RJD का पूरा समर्थन मिला। इससे यह भी स्पष्ट होता है कि बिहार के विधानसभा चुनावों से पहले फिर से वर्ष 2015 की तरह ही इन दोनों ही पार्टियों के बीच गठबंधन देखने को मिल सकता है।

दरअसल, बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार शुरू से यह कहते रहे हैं कि बिहार में एनआरसी लागू नहीं होगा, लेकिन बजट सत्र के दौरान इसे सदन में भी पारित कर दिया गया। इससे पहले बिहार विधानसभा में NRC और NPR पर प्रस्ताव पर चर्चा हुई। नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने कहा कि सीएम ने कहा है कि NRC लागू नहीं होगा और NPR के लिए नए प्रारूप को लेकर बोल रहे हैं। तेजस्वी ने पूछा कि क्या CM नीतीश लोगों को गुमराह कर रहे हैं। वो अपनी स्थिति स्पष्ट करें कि बिहार में NPR लागू होगा या नहीं ?’ इससे पहले जागरण की रिपोर्ट के अनुसार विधानसभा में CAA- NRC को लेकर तेजस्वी ने मुख्यमंत्री से मुलाकात की थी। उनके साथ राजद नेता अब्दुल बारी सिद्दीकी, अवधेश सिंह, ललित यादव भी मौजूद थे। तेजस्वी ने CAA में मुस्लिमों को शामिल करने की मांग की थी। इसी मुद्दे पर तेजस्वी ने ट्वीट भी किया और BJP का मज़ाक उड़ाया।

तेजस्वी यादव ने ट्वीट कर कहा कि बिहार में एनआरसी/एनपीआर लागू नहीं करने की उनकी मांग पर विधानसभा में सर्वसम्मति से प्रस्ताव पास कराया गया। उन्होंने लिखा, ‘एनआरसी/एनपीआर पर एक इंच भी नहीं हिलने वाली बीजेपी को आज हमने 1000 किलोमीटर हिला दिया। बीजेपी वाले माथा पकड़े टुकुर-टुकुर देखते रह गए। संविधान मानने वाले हम लोग सीएए भी लागू नहीं होने देंगे।’

इससे JDU और RJD के बीच साँठ-गांठ का भी पता चलता है क्योंकि अगर कोई प्रस्ताव सदन में सर्वसम्मति से पारित करने में विपक्ष की भूमिका सबसे अधिक होती है और विपक्ष में RJD बैठी है।

सिर्फ NRC ही नहीं बल्कि NPR पर भी प्रस्ताव पारित किया गया है। राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) को भी 2010 के पुराने प्रारूप के अनुरूप ही लागू किया जाएगा।

गौरतलब है कि इसी साल बिहार में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। नितीश को पता है कि अल्पसंख्यक समुदाय में NRC और NPR को लेकर कई गलतफहमियां है और वह इसी कारण वे उनसभी का तुष्टीकरण करने में लगे हैं। चुनाव से पहले ही नीतीश कुमार अल्पसंख्यक समुदाय को यह संकेत देकर अपना इरादा साफ कर देना चाहते हैं। अगर नितीश कुमार चुनाव से पहले RJD और कांग्रेस के साथ गठबंधन करते हैं और एक बार फिर से महागठबंधन बनता है तो उस स्थिति में मुक़ाबला महाराष्ट्र की तरह ही पेचीदा हो सकता है। अभी तक JDU का जिस तरह से BJP के साथ संबंध रहा है उससे तो यही लगता है किसी भी बात पर रार हो और इनका गठबंधन टूट जाएगा। NRC पर प्रस्ताव पारित होने से इस संबंध के और बिगड़ने की संभावना है। ज्ञात रहे कि जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने का जहां पूरा देश समर्थन कर रहा था जेडीयू ने इसका विरोध किया था। वहीं नागरिकता संशोधन बिल पर जेडीयू पहले सरकार को समर्थन करने के मूड में नहीं थी, लेकिन पार्टी ने अपने फैसले पर यू-टर्न लिया और इस बिल पर सरकार का समर्थन करने का फैसला लिया। सच तो यह है कि किसी को नहीं पता कि नीतीश कुमार वास्तविक रूप से किस पार्टी या विचारधारा की ओर अपनी निष्ठा रखते हैं।

अगर गठबंधन होता है तो इस बार वर्ष 2015 की स्थिति नहीं बनेगी और न ही उन्हें CM की कुर्सी मिलेगी। इस बार के महागठबंधन को बहुमत मिलने पर तेजस्वी यादव CM बनाए जा सकते हैं। ऐसी स्थिति में नीतीश कुमार अपने ही पतन की कहानी लिखेंगे।

Exit mobile version