“जिसे मेरी फिल्म खराब लगी, वो गधा है” शिकारा के Super Flop होने के बाद विधु विनोद चोपड़ा आपा खो बैठे

दर्शकों ने विधु विनोद चोपड़ा का “हार्मोनियम” बजा डाला...

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कुछ लोगों की शक्ल देख लो तो एक ही कहावत याद आती है, ‘रस्सी जल गयी पर बल नहीं गया’। फ़िल्मकार विधु विनोद चोपड़ा की व्यथा को देखकर एकबार मुझे यही कहावत याद आ गई। जनाब की हालिया फिल्म ‘शिकारा’ बॉक्स ऑफिस पर फ्लॉप क्या हुई, महोदय बौखला गए और अपने आलोचकों पर ही भड़ास निकालने लगे।

बता दें कि फिल्म ‘शिकारा’ कश्मीरी पंडितों की त्रासदी पर आधारित एक प्रेम कथा है, जो पिछले हफ्ते प्रदर्शित हुई थी। हालांकि फिल्म के प्रदर्शित होने पर सुशील पण्डित, फ़िल्मकार अशोक पण्डित समेत कई कश्मीरी पंडितों ने विधु विनोद चोपड़ा को मूल विषय के साथ न्याय नहीं करने के लिए आड़े हाथों लिया। इतना ही नहीं, फिल्म के पटकथा लेखक और कश्मीरी पण्डित राहुल पण्डिता को भी विषय के साथ अन्याय करने के लिए खूब खरी-खोटी सुनाई गई थी।

इस पर हाल ही में एक कॉलेज में फिल्म ‘’शिकारा’’ के प्रोमोशन के दौरान विधु विनोद चोपड़ा उबल पड़े और उन्होंने सभी आलोचकों पर जमकर अपनी भड़ास निकाली। जनाब कहते हैं,

 “जिस 3 इडियट्स को मैंने प्रोड्यूस किया थी, उसने पहले ही दिन 33 करोड़ कमाए थे, और हमें पता था कि शिकारा के पहले दिन का कलेक्शन 30 लाख भी नहीं होगा। इसके बाद भी हमने इस फिल्म को अपने 11 वर्ष दिये। जिस फिल्म को मैंने अपनी माँ को समर्पित किया, उस पर आरोप लग रहे हैं कि मैंने इसके माध्यम से कश्मीरी लोगों के दुखदर्द का मज़ाक उड़ाया है? जो ऐसा सोचते हैं वो गधे हैं, आप वैसे मत बनें”।

यही नहीं, अपनी फिल्म की सार्थकता सिद्ध करने के लिए विधु ने फिल्म निर्देशक जेम्स कैमरॉन का उदाहरण दिया। जनाब आगे कहते हैं,

“इस फिल्म को देखिए कितने बढ़िया रिव्यू मिले हैं। टाइटैनिक और अवतार जैसी फिल्में बनाने वाले जेम्स कैमरॉन तक ने एक चार पृष्ठ की चिट्ठी में इसकी प्रशंसा की। पूरे भारत में ये फिल्म हाउसफुल चली, पता नहीं कहाँ से नफरत की यह बयार आ गयी”।

एक होते हैं झूठ बोलने वाले, फिर आते हैं लंबी-लंबी फेंकने वाले और फिर आते हैं विधु विनोद चोपड़ा जैसे लोग। जिस तरह शिकारा के फ्लॉप होने पर बच्चों की तरह दोषारोपण कर रहे थे, उससे साफ सिद्ध होता है कि वे वास्तव में इस विषय के प्रति संवेदनशील थे। फिल्म ने पहले हफ्ते में पाँच करोड़ भी नहीं कमाए थे, और सोमवार को इसका कलेक्शन महज 40 लाख रुपये रहा। 12-15 करोड़ रुपये की लागत में बनी शिकारा अभी तक अपनी लागत नहीं रिकवर कर पायी है।

अब बात करें इनके बयान की, तो यहां महोदय ने बड़ी परिपक्वता से कई तथ्य गिनाए, और सारे गलत साबित हुए। पहली बात तो 3 इडियट्स ने कभी भी ओपेनिंग डे पर 33 करोड़ नहीं कमाए थे। उसने 13 करोड़ रुपए पहले दिन कमाए थे, जो सबसे ज़्यादा पैसे कमाने वाली भारतीय फिल्मों में टॉप 50 में भी नहीं आता। इससे ज़्यादा तो ओम राऊत द्वारा ‘तान्हाजी – द अनसंग वॉरियर’ ने ओपेनिंग डे पर कमाए थे, जब पहले दिन इस फिल्म ने 15.1 करोड़ रुपये कमाए थे। जितना शिकारा ने अपने चौथे दिन कमाया, उससे ज़्यादा तो तान्हाजी सिनेमा घरों में एक महीना पूरा होने पर भी कमा रही है। अभी कल ही फिल्म ने 70 लाख रुपये की कमाई की है।

पर हम भूल रहे हैं कि ये वही विधु विनोद चोपड़ा हैं, जिनके लिए कश्मीरी पण्डित का नरसंहार दो दोस्तों के बीच में हुआ एक मामूली सा झगड़ा है। जनाब ने कहा था,

यह फिल्म हीलिंग के बारे में है, ये फिल्म साथ आने के बारे में है। यह फिल्म इस धारणा के बारे में है कि 30 साल से ज़्यादा हो चुके हैं, चलो माफ करें और आगे बढ़ें। यह कुछ ऐसा है कि जब दो दोस्तों के बीच एक छोटा झगड़ा होता है, और 30 साल बाद वे कहें कि छोड़ो इसे, एक दूसरे से माफी माँगकर गले मिलो”

सच कहें तो शिकारा का बॉक्स ऑफिस पर औंधे मुंह गिरना विधु विनोद चोपड़ा जैसे वामपंथी फिल्म निर्देशकों के लिए किसी दुःस्वप्न से कम नहीं है। वर्षों तक देश की जनता को वे कुछ भी परोसते थे, और जनता के पास उसे स्वीकारने के अलावा कोई विकल्प नहीं होता था। पर अब जनता के पास अनेक विकल्प हैं, जिसके कारण शिकारा बॉक्स ऑफिस पर बुरी तरह फ्लॉप हुई। ईश्वर, विधु विनोद चोपड़ा को सद्बुद्धि दे।

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