आपने ब्लैक फ्राइडे फिल्म देखी है? अगर नहीं देखी है तो जरूर देखे। अगर देखी है तो आपको KK Menon द्वारा निभाया गया किरदार तो अवश्य याद होगा। वह कोई काल्पनिक किरदार नहीं था। वह कहानी थी एक ऐसे पुलिस अफसर की जिसने 1993 में हुए मुंबई बम हमलों की गुत्थी सुलझा कर मुंबई को रेगिस्तान बनने से बचा लिया था। वह पुलिस अफसर थे DCP राकेश मारिया।
12 मार्च 1993 को बॉम्बे में दो घंटे के भीतर सिलसिलेवार 12 धमाके हुए। उस समय मुंबई बॉम्बे हुआ करता था। किसी को कुछ पता नहीं चल रहा था की आखिर इस शहर को हो क्या रहा है। एक बाद एक जिधर देखो उधर बम ही फट रहे थे। उस दौरान लगभग 257 लोगों की मौत हुई, 1400 लोग किसी न किसी रूप से जख्मी हुए थे। मुंबई दहल रहा था और लोगों की जान हलक में अटकी थी कि आखिर और कितने बम फटेंगे। कहाँ कहाँ फटेंगे ये किसी को नहीं पता था। 1993 ब्लास्ट और उसकी दहशत आज भी मुंबई वाले महसूस कर सकते हैं। इस ब्लास्ट को कुछ लोग बाबरी मस्जिद से भी जोड़कर देखते हैं। 1992 में जब बाबरी मस्जिद को ढहा दिया गया था। उसके बाद दंगों की शुरुआत हुई थी और उसकी आंच ही 1993 मुंबई पर पड़ी थी। उन दो घंटों में पूरी मुंबई अपनों को तलाश रही थी। चारों तरफ हाहाकार और भगदड़ मची थी। शुरू में पुलिस तो को कुछ सुराग ही नहीं मिले लेकिन फिर इस मामले को DCP राकेश मारिया को सौंप दिया गया। राकेश की टीम में 150 से ज्यादा पुलिस थे।
जांच के दौरान पुलिस को एक वैन और एक स्कूटर मिला था जिसमें हैंड ग्रेनेड और हथियार थे। उस वैन का पता लगाया गया तो वैन रुबीना मेमन के नाम दर्ज पाई गई। जब पुलिस 8 मंजिला बिल्डिंग में उनके ठिकाने तक पहुंची तो वहां ताला लटका मिला। मेमन फैमिली ब्लास्ट के दो दिन पहले ही विदेश जा चुकी थी।
2013 में दिए एक इंटरव्यू में मारिया ने बताया था कि मेमन बिल्डिंग की तलाशी लेते समय फ्रिज के ऊपर एक चाभी मिली थी। ये चाभी उसी स्कूटर की थी जो पुलिस को मिली थी। पुलिस ने आगे जांच की तो पता चला कि यहां कुछ वक्त के लिए क्रिकेटर रहे अब्दुल रज्जाक मेमन 5 बेटों (टाइगर, याकूब, सुलेमान, ईशा, युसुफ और अयूब) के साथ रहता था। बड़ा बेटा टाइगर दाऊद की नजरों में आ चुका था। जांच टीमों ने 17 राज्यों के करीब 80 शहरों में छापेमारी की। इस दौरान 180 संदिग्धों की गिरफ्तारी हुई।
मारिया के मुताबिक, ब्लास्ट से पहले कस्टम और इंटेलिजेंस एजेंसियों को भनक थी कि हथियारों का बड़ा जखीरा भारत आने वाला है। दूसरी ओर, बाबरी ढांचा गिराए जाने के बाद हुए दंगों के आरोपी गुल मोहम्मद खान ने पुलिस हिरासत में ब्लास्ट का राकेश मारिया न बनाए जाने का दावा किया था। उस दौरान यह अंदाजा लगाना मुश्किल था कि आखिर कितना KG RDX लाया गया है और बॉम्बे के किन किन इलाकों में लगाया गया था। पी. आर. कुमारस्वामी और इयान कोपलैंड ने अपनी किताब South Asia: The Spectre of Terrorism में बताया है कि उस दौरान लगभग पाँच हजार किलो RDX लाया गया था। इससे आप अंदाजा लगा सकते हैं कैसे राकेश मारिया और उनकी टीम ने बॉम्बे को बस 13 धमाकों के बाद ही इस गुत्थी को सुलझा दिया। उनके इस केस को सुलझाने से ही पाकिस्तान, ISI, दाऊद जैसे लोगों द्वारा भारत के खिलाफ सजिस का पर्दाफास हो सका।
यह सिर्फ एक मौका नहीं था जब उन्होंने मुंबई को मिट्टी में मिलने से बचाया था। मारिया ने 2003 गेटवे ऑफ़ इंडिया और ज़वेरी बाज़ार ट्विन ब्लास्ट केस को भी सुलझाया जिसमें छह लोगों को गिरफ्तार किया, जिसमें एक दंपति को टैक्सियों के अंदर विस्फोटक लगाने के लिए गिरफ्तार किया गया था।
इसके बाद राकेश मारिया को ही 26/11 के मुंबई हमलों की जांच की जिम्मेदारी दी गई थी। उन्होंने अजमल कसाब से पूछताछ की जो एकमात्र जीवित आतंकवादी पकड़ा गया था। उन्होंने इस केस को भी सफलतापूर्वक सुलझाया और कसाब के बयान से कई सुराख भी मिले जिससे पाकिस्तान और ISI को अंतराष्ट्रीय स्तर पाकिस्तान को एक्सपोज करने में मामले की जांच की। कसाब को 2012 में फांसी दे दी गई थी। राकेश मारिया ने अब हाल ही में अपनी आत्मकथा Let Me Say It Now में भी कई बड़े खुलासे किए हैं। इसी के कारण से वजह से आज कल चर्चा में भी हैं।
मारिया ने दावा किया कि पुलिस ने पूरी कोशिश की थी कि आतंकी की डिटेल मीडिया में लीक न हो पाए। इतना ही नहीं, मारिया ने यह भी दावा किया है कि अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम गैंग को कसाब को मारने की सुपारी भी दी गई थी।किताब में यह भी दावा किया गया है कि पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई ने 26/11 हमले को हिंदू आतंकवाद का जामा पहनाने की भी कोशिश की थी। 10 हमलावरों को हिंदू साबित करने के लिए उनके साथ हिंदू नाम वाले फर्जी आईकार्ड भेजे गए थे। कसाब के पास भी एक ऐसा ही आईकार्ड मिला था, जिसपर उसका नाम समीर चौधरी लिखा हुआ था। बता दें कि यही कोशिश देश में कांग्रेस भी की थी और इसी के लिए “RSS की सजिस” नाम से किताब भी लॉंच कर दिया था जिसमें हिन्दू आतंकवाद को जन्म दिया गया था। इसका एक्सपोज RV Mani ने अपनी किताब में किया है।
आपको बता दें कि राकेश मारिया ने अपनी आत्मकथा में शीना बोरा मर्डर केस को लेकर भी कई बड़े दावे किए हैं। मारिया ने दावा किया है कि 2015 में शीना बोरा मर्डर केस की जांच के दौरान शुरुआत में संयुक्त पुलिस आयुक्त (लॉ ऐंड ऑर्डर) देवेन भारती ने यह खुलासा नहीं किया था कि वह मामले के मुख्य संदिग्ध पीटर मुखर्जी और उनकी पत्नी इंद्राणी मुखर्जी को जानते थे।
राकेश मारिया ने जब अपनी किताब में यह दावा किया है तो वह जरूर ही तथ्यों के साथ कह रहे होंगे। ऐसे पुलिस अफसर जिसने मुंबई को रेगिस्तान बनने से बचा लिया है, ऐसे अफसर को सलाम।
राकेश मारिया के इन्हीं कारनामों पर कई फिल्में भी बन चुकी है। ब्लैक फ्राइडे में केके मेनन का किरदार हो या The Attacks of 26/11 फिल्म में नाना पाटेकर का किरदार यह राकेश के ऊपर ही आधारित है। इनके ऊपर कई किताबें भी लिखी जा चुकी है।