तुर्की और पाकिस्तान दोहरी नागरिकता प्लान के बारे में सोच रहे हैं, पर्यटन को गुडबाय

पाकिस्तान

पाकिस्तान पूरी दुनिया में आतंक के एक्सपोर्ट के लिए जाना जाता है, और पूरी दुनिया पाकिस्तान के नागरिकों को चुन-चुनकर अपने देश से बाहर निकालने में लगी है। ऐसे समय में पाकिस्तान के कथित दोस्त तुर्की के राजदूत ने पाकिस्तानी गृह मंत्री के साथ मिलकर दोनों देशों के नागरिकों को दोहरी नागरिकता देने के संबंध में एक प्रस्ताव पेश किया है। अगर दोनों देश इस प्रस्ताव पर राज़ी हो जाते हैं तो दोनों देशों के करोड़ों नागरिकों को पाकिस्तान की भी नागरिकता मिलेगी और तुर्की की भी। दोनों देशों के नागरिकों के पास दो पासपोर्ट होंगे और सभी नागरिक एक दूसरे के देश में बिना वीज़ा के आ जा सकेंगे। पाकिस्तान के गृह मंत्री ने इस मुद्दे पर कहा है कि “मसौदा विचाराधीन है और विदेश मंत्रालय हमारे साथ बोर्ड पर हैं, हम जल्द ही एक पारस्परिक निष्कर्ष पर पहुंचने की उम्मीद करते हैं”।

अभी इस सपने के साकार होने की उम्मीद तो बेशक बहुत कम है, लेकिन अगर यह सपना सच होता है तो पाकिस्तानियों को इसका सबसे बड़ा फायदा मिलना तय है। हालांकि, तुर्की की अर्थव्यवस्था के लिए यह किसी अभिशाप से कम नहीं होगा। अभी पाकिस्तान की जनसंख्या लगभग 20 करोड़ है और उसकी GDP 30 हज़ार 500 करोड़ अमेरिकी डॉलर के बराबर है। वहीं तुर्की की जनसंख्या लगभग 8 करोड़ है और उसकी GDP 85 हज़ार करोड़ अमेरिकी डॉलर है। साफ है कि तुर्की की GDP per capita पाकिस्तान की GDP per capita के मुक़ाबले कई गुना ज़्यादा है। अगर दोनों देशों के नागरिकों को दोनों देशों की नागरिकता मिल जाएगी तो पाकिस्तान के लोग रोजगार और बेहतर जीवन स्तर के लिए तुर्की की ओर पलायन करना शुरू कर देंगे और तुर्की की अर्थव्यवस्था को बेपटरी होने में समय नहीं लगेगा।

पाकिस्तानी नागरिक दुनियाभर में उत्पात मचाने और क्षेत्रीय क़ानूनों की अनदेखी करने के लिए जाने जाते हैं। बीते 5 सालों में दुनियाभर के 134 देशों ने करीब 5 लाख से ज्यादा पाकिस्तानी नागरिकों को अपने मुल्क से बाहर का रास्ता दिखाया है। हाल ही में पाकिस्तान के गृह मंत्रालय की एक रिपोर्ट सामने आई थी, जिसमें खुलासा हुआ था कि 2014 के बाद से 5 लाख 19 हजार पाकिस्तानी नागरिक दुनियाभर के कई देशों से निर्वासित किए गए हैं। सबसे चौकाने वाली बात तो यह है कि सबसे ज्यादा पाकिस्तानी नागरिक इस्लामिक देशों से भगाए गए हैं। रिपोर्ट के मुताबिक पाकिस्तानी नागरिकों को सबसे ज्यादा मुस्लिम उम्मा कहे जाने वाले राष्ट्रों ने ही भगाया है। इसमें पाकिस्तान के मित्र देश कहे जाने वाले तुर्की, सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात, और ओमान सबसे आगे हैं। अब हैरानी की बात है कि वही तुर्की पाकिस्तान के नागरिकों को दोहरी नागरिकता देने की बात कर रहा है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या तुर्की भविष्य में वाकई इस प्रस्ताव को लेकर गंभीरता दिखाता है या नहीं।

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