कनिका सेलेब्रिटी थी, इसलिए पकड़ी गयी, सरकार को उनके जैसे हजारों लोगों का भी ट्रीटमेंट करना पड़ेगा

बेटा आज तो भाग जाओगे, जब सरकारी डंडा पड़ेगा ना, तब अक्ल ठिकाने आएगी

कनिका

PC: Jagran

 

जिस तरह से वुहान वायरस के मामलों में अभी ज़बरदस्त उछाल आया है, उससे लगता है कि अब हम इस बीमारी के सबसे घातक स्टेज यानी कम्युनिटी ट्रांसमिशन से ज़्यादा दूर नहीं है। जो वुहान वायरस कल तक भारत में नियंत्रण में दिख रहा था, वह आज सभी सीमाएं पार कर रहा है। परन्तु उसके पीछे कारण क्या है? इसके पीछे एक प्रमुख कारण है भारत में कोरिया के 31वें मरीज की तरह कनिका कपूर की बड़ी लापरवाही की , जो भारत को वुहान वायरस के तीसरे स्टेज पर लाती दिखाई दे रही है।

 

 

एक ओर ‘बेबी डॉल’ फेम गायिका कनिका कपूर को वुहान वायरस के लक्षण होने के बावजूद कई पार्टियों में हिस्सा लेने हेतु आलोचना का शिकार होना पड़ रहा है, तो वहीं ऐसी ना जाने कितनी कनिका कपूर की मानसिकता वाले लोग हैं, जो अपने हठ के कारण दूसरों की जान भी खतरे में डाल रहे हैं।

क्वारंटाइन को ठेंगा दिखाने का प्रचलन भारत में बड़ा गंभीर विषय बनकर उभर रहा है। ऐसे कई केस सामने आए हैं जहां लोग क्वारंटिन से भाग रहे हैं। इससे लोगों में वुहान वायरस के फैलने का खतरा ज़्यादा बढ़ रहा है,परन्तु कुछ लोग क्वारंटिन होने को अपनी इज्ज़त के साथ समझौते से जोड़ रहे हैं। उदाहरण के लिए चंडीगढ़ में एक 69 वर्षीय महिला , जिसे कोविड 19 पॉज़िटिव बताया गया है, चंडीगढ़ में अस्पताल में भर्ती होने से मना कर रही थी। इस एक पेशंट के कारण कितने सुरक्षा कर्मियों और स्वास्थ्य कर्मचारियों की जान खतरे में होगी, इसका अंदाजा कोई नहीं लगा सकता।

अभी भी अधिकतर केस विदेशी सैलानियों के ही आ रहे हैं, या फिर उनके, जो हाल फिलहाल विदेश में रहे हों। ये ना सिर्फ आर्थिक तौर पर सम्पन्न हैं, बल्कि भारत में कई लोगों से ज़्यादा शिक्षित भी हैं। ऐसे में इनसे संयम और ज़िम्मेदारी की आशा की जा रही थी, परन्तु वे इसके ठीक उलट व्यवहार कर रहे हैं।

उदाहरण के लिए एक दंपत्ति हाल ही में जब दुबई से वापिस आया, तो उन्हें होम क्वारंटिन करने की सलाह दी गई। परन्तु उन्होंने ऐसा कुछ नहीं किया और फिर उन्हें एम्बुलेंस में उठाकर पुलिस की निगरानी में ले जाना पड़ा –

 

इन लोगों के अशोभनीय व्यवहार के कारण यदि इनपर “नॉन रिलायबल इंडियन” का टैग लगे तो किसी को हैरानी नहीं होनी चाहिए। अब इसी मामले को देख लीजिए। दुबई से आए हैं, मुंबई से जबलपुर तक की ट्रेन पकड़ी, जिससे कई यात्रियों की जान खतरे में पड़ गयी होगी, परन्तु इन्हे तो 5 सितारा ट्रीटमेंट चाहिए भैय्या!

जिन्हें क्वारंटाइन करने के निर्देश दिए गए हैं, उन्हें महाराष्ट्र में सेल्फ क्वारंटिन करने का ठप्पा लगाया गया है। परन्तु ऐसे भी केस सामने आए, जहां होम क्वारांटिन करने वाले लोगों को पालघर से सूरत जाने वाली ट्रेन में सफर करते हुए पकड़ा गया था।

सच कहें तो ये मुद्दा अब केवल होम क्वारांटिन से नहीं सुलझाया जा सकता।  प्रारंभ में, हवाई अड्डों पर थर्मल स्क्रीनिंग के माध्यम से लोगों को बुखार की जाँच की गई थी। लेकिन asymptomatic रीजंस के चलते डिटेक्ट ना किए जाने वाले लोग इसे और फैलाने की क्षमता रखते हैं

लंबे समय तक इंक्यूबेशन पीरियड के कारण, एक संक्रमित रोगी कई बार टेस्ट में नेगेटिव मिल सकता है, ये भूटान के एक हालिया मामले से स्पष्ट है। लेकिन एक ही समय में ऐसे मरीज़ नेगेटिव टेस्ट के बावजूद वायरस को फैला सकते हैं –

कोरोनावायरस बहुत घातक नहीं है, परन्तु जंगल की आग की तरह फैलता है। हमारे पास अभी भी कनिका जैसे बहुत से ‘रोगी 31’ जैसे कोरोनोवायरस पीड़ित हैं, जिन्होंने दुनिया में दुर्भाग्य से इस वायरस के खिलाफ हमारी मजबूत लड़ाई को पटरी से उतार दिया है।

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