अजीत डोभाल ने दिया दिल्ली पुलिस और पेशेवर उपद्रवियों को एक कड़ा संदेश

NSA की समझदारी भरी सलाह

अजीत डोभाल

हाल ही में युवा पुलिस अफसरों को संबोधित करते हुए वर्तमान राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने कुछ अहम बातों पर प्रकाश डाला। ब्यूरो ऑफ पुलिस रिसर्च एंड डेवलपमेंट द्वारा आयोजित तृतीय युवा पुलिस अधीक्षक [Police Superintendents] सम्मेलन तथा पुलिस एक्सपो के शुभारंभ के अवसर पर अजीत डोभाल ने पुलिस की अहमियत पर प्रकाश डालते हुए कहा कि पुलिस के प्रति जनता में एक ‘विश्वसनीय और न्यायसंगत’ व्यक्ति की छवि होनी चाहिए, क्योंकि यदि पुलिस कानून लागू कराने में असफल रही, तो यह लोकतन्त्र की हार होगी।

परंतु अजीत डोभाल वहीं पर नहीं रुके। उन्होंने आगे बताया, “कानून व्यवस्था बहाल रखना लोकतंत्र का सबसे पवित्र काम है। यह किसी साम्राज्यवादी शासक या किसी धार्मिक नेता के मंच से नहीं होता, बल्कि जनता के प्रतिनिधि इसे करते हैं और आप कानून लागू करने वाले लोग हैं। यदि पुलिसकर्मी कानून लागू करने में सक्षम नहीं होते हैं तब उस कानून का बनना ही व्यर्थ है। कोई कानून उतना ही अच्छा होता है जितना कि उसका जमीनी क्रियान्वयन होता है। लोकतंत्र में यह बेहद अहम है कि आप कानून के प्रति पूरी तरह समर्पित रहें। आपको अपना काम सही तरह से करना चाहिए”। एक आम नागरिक के हैसियत से बोलते हुए अजीत डोभाल ने फिर बताया कि यदि जनता को आभास हो कि उनके बीच ऐसी पुलिस जो सक्षम है, निष्ठावान है, सतर्क है, और मित्र की तरह व्यवहार करे, तो उस समाज को कोई हाथ भी नहीं लगा सकता।

अजीत डोभाल ने जो कुछ भी कहा है, वो पूर्वोत्तर दिल्ली में भड़के दंगों के परिप्रेक्ष्य में बहुत मायने रखता है। दिल्ली में जो हिंसा भड़की थी, उसे संभालने में दिल्ली पुलिस पूर्ण रूप से सफल नहीं हो पायी थी। कई जगह दिल्ली पुलिस और इंटेलिजेंस एजेंसियों इस हिंसा की भयावहता को भाँपने और उससे निपटने में अक्षम रहे थे। कई जगह तो वे सीएए समर्थकों के भरोसे थे।

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दिसंबर से ही जब सीएए के विरोध के नाम पर दंगाई उपद्रव फैला रहे थे, तो पुलिस बैकफुट पर दिखाई दे रही थी। ये उत्तर प्रदेश पुलिस की तरह तो बिलकुल नहीं थी, जो दंगे की सुगबुगाहट मात्र पर उपद्रवियों पर टूट पड़ी थी, और कानून व्यवस्था को कुछ ही हफ्तों में बहाल कर दिया था, जिससे जनता का यूपी पुलिस और प्रशासन में विश्वास काफी बढ़ा है।

पूर्वोत्तर दिल्ली में भड़के दंगों से स्थिति इतनी बिगड़ गयी कि स्वयं अजीत डोभाल को स्थिति संभालनी पड़ी थी। इसलिए डोभाल के सामने आने के बाद ही राष्ट्रीय राजधानी में शांति बहाल हो पायी। इतना ही नहीं, अजीत डोभाल ने तत्कालीन पुलिस कमिश्नर अमूल्य पटनायक के गैर जिम्मेदाराना रुख पर भी आपत्ति जताई थी, क्योंकि वे एनएसए द्वारा आयोजित सभी बैठकों से नदारद थे। जहां अमूल्य पटनायक एक ओर जामिया नगर की हिंसा को काबू में लाने में असफल रहे, तो वहीं पूर्वोत्तर दिल्ली में उनकी भूमिका पर भी सवाल उठाए गए। फलस्वरूप कश्मीर में उपद्रवियों को नियंत्रण में लाने में सफल रहे पुलिस अफसर एसएन श्रीवास्तव को दिल्ली पुलिस के स्पेशल कमिश्नर के तौर पर नियुक्त किया गया

अजीत डोभाल ने युवा पुलिस अफसरों को दिये अपने संदेश में न केवल ये स्पष्ट किया कि वे दिल्ली पुलिस से बेहतर व्यवहार की आशा रखते हैं, बल्कि वे ये भी चाहते हैं कि दिल्ली पुलिस अमूल्य पटनायक की तरह असहज और निष्क्रिय न रहे ताकि दंगाइयों को उपद्रव मचाने की खुली छूट न मिल सके।

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