कोरोनावायरस चीन में फैलना शुरू हुआ और देखते ही देखते ईरान, इटली, दक्षिण कोरिया समेत पूरी दुनिया में यह वायरस फैल गया। लेकिन सबसे बड़ी हैरानी वाली बात यह है कि इस पूरे मामले में कुछ प्रोपेगैंडावादी लोग चीन की चाटुकारिता करने के चक्कर में भारत को बदनाम करने की कोशिशों में जुट चुके हैं, वो भी तब जब भारत का न तो इस वायरस से कोई लेना देना है और ना ही यह वायरस इतने बड़े पैमाने पर भारत में फैल पाया है। ऐसा ही हमें तब देखने को मिला जब CNBC से बातचीत में UK के एक थिंक टैंक के अध्यक्ष और अर्थशास्त्री ‘जिम ओ नील’ ने चीन की चाटुकारिता करते हुए कहा कि “शुक्र है ये वायरस भारत में शुरू नहीं हुआ, नहीं तो इसके गंभीर परिणाम हो सकते थे, चीन बड़े ही शानदार तरीके से इससे निपटा है”।
'Thank God this didn't start in India': Jim O'Neill praises China's coronavirus response https://t.co/aCnLuSkO96
— CNBC (@CNBC) March 11, 2020
चीन के चाटुकार ‘जिम ओ नील’ ने आगे भारत के स्वास्थ्य तंत्र का भी मज़ाक उड़ाया। उन्होंने कहा “अगर भारत में ऐसा कुछ शुरू हो गया होता तो भारतीय सरकार के शासन की गुणवत्ता इसे रोक पाने में अक्षम होती, जैसे चीन ने किया है, वैसा भारत कभी नहीं कर पाता, यह चीनी मॉडल की अच्छी बात है”। इससे समझा जा सकता है कि कैसे ‘जिम ओ नील’ इस वायरस को फैलाकर हजारों लोगों की जान लेने वाले चीन को सकारात्मक रूप में दिखाने की जद्दोजहद में लगे हैं और वो भी बिना बात के भारत को लेपेटे में लेकर।
जिम वैसे तो यूके के एक जाने माने economist हैं, लेकिन शायद भारत को लेकर उनकी समझ अभी विकसित नहीं हो पाई है। भारत में चीन की तरह अधपके जानवरों को खाने और चमगादड़ों का सूप पीने का चलन नहीं है, और न ही यहां लोगों को अपने विचार प्रकट करने और किसी नई बीमारी का खुलासा करने के लिए सरकार द्वारा गिरफ्तार किया जाता है। चीन के वुहान में इसी की वजह से तो कोरोनावायरस फैला था। जिन डॉक्टरों ने सबसे पहले इस नई बीमारी के बारे में खुलासा किया था, उसपर पुलिस ने फेक न्यूज़ फैलाने का आरोप लगाकर जेल में भर दिया, और जाने माने economist जिम ओ नील इसी चीनी मॉडल की तारीफ कर रहे हैं। अब इसे चाटुकारिता की पराकाष्ठा नहीं कहेंगे तो भला क्या कहेंगे?
शायद यही कारण था कि सोशल मीडिया पर लोगों ने जिम ओ नील के इस बयान की बेहद कड़ी आलोचना की। रूसी मीडिया ने भी एक article लिख यह बताया कि कैसे जिम ओ नील का वह बयान सच्चाई से कोसों दूर है। रूस के न्यूज़ चैनल Russia today ने इस पर एक लेख लिखा “जिम कह रहे हैं कि शुक्र मनाओ कोरोना भारत में शुरू नहीं हुआ, वह भारत जहां अब तक कोरोना से एक भी व्यक्ति की मौत नहीं हुई है”। जब यह लेख लिखा गया था, उस वक्त भारत में कोरोना से एक भी व्यक्ति की मौत नहीं हुई थी। इसके अलावा इसी लेख में सुधारवादी इस्लामिक इमाम तावहीदी के उस ट्वीट का उल्लेख किया गया था जिसमें उन्होंने बताया था कि कैसे भारत में दुनिया की सबसे बड़ी सरकारी स्वास्थ्य योजना चलाई जा रही है और कैसे भारत ने अपने यहां पिछले कुछ सालों में डॉक्टरों की संख्या को बढ़ाया है”।
भारत ने अपने यहां कोरोना के रोकथाम के लिए ऐसे कदम उठाए हैं जिन्हें आप दुनिया में किसी भी देश द्वारा उठाए गए सबसे कड़े कदम भी कह सकते हैं। भारत ने 15 अप्रैल तक किसी भी देश के नागरिक को वीज़ा देने पर पाबंदी लगा दी है। इसके अलावा भारत सरकार ने कहा है कि 15 फरवरी के बाद चीन, इटली, ईरान, कोरिया, फ्रांस, स्पेन और जर्मनी से भारत आए सभी यात्रियों को कम से कम 14 दिनों के क्वारंटाइन में रखा जाएगा। इसमें वो भारतीय नागरिक भी शामिल होंगे जो इन देशों में घूमने गए थे।
यही कारण है कि भारत में चीन के बाद सबसे बड़ी आबादी होने के बावजूद यहां कोरोना के मरीजों की संख्या 100 से कम है और इसमें से कई तो विदेशी नागरिक हैं। ऐसे में किसी भी विदेशी व्यक्ति को, जिसकी खुद की विश्वसनीयता गर्त में जा पहुंची हो, उसे भारत की सरकार के शासन की गुणवत्ता पर बोलने का कोई अधिकार नहीं है। जिम ओ नील देश के नागरिक हैं, उसी ब्रिटेन की स्वास्थ्य मंत्री भी कोरोना से ग्रसित हो चुकी हैं, जिससे यह समझा जा सकता है कि जिम का खुद का देश इस महामारी से निपटने में कितना विफल साबित हुआ है। जिम को भारत को ज्ञान देना छोड़कर अपने देश की बेहतरी के बारे में चिंता करने की आवश्यकता है।