भारत के होकर चीन के हाथों बिक गए? NDTV और गार्डियन कोरोना पर चीन के तलवे चाटना शुरू कर चुके हैं

NDTV ने यहाँ भी भारत की नाक कटवादी

महीनों से बेरोजगार पड़े एनडीटीवी चैनल को एक नया रोजगार मिला है। इस बार वुहान वायरस पर जवाबदेही से बचने के लिए चीन द्वारा वैश्विक मीडिया के वामपंथी वर्ग को अपना निजी PR एजेंट बनाया जा रहा है, और ऐसा लगता है कि एनडीटीवी ने भी बिना शर्त इस अभियान में अपना हाथ बंटाने का निर्णय ले लिया है।

पिछले कुछ दिनों से एनडीटीवी अपने ट्विटर अकाउंट पर चीन की पैरवी करता ज़्यादा दिख रहा है। एक ट्वीट में अपने एक लेख को शेयर करते हुए कहा है, “चीन से ये वायरस उत्पन्न नहीं हुआ है और ना ही  जानबूझकर इसे दूसरे देशों में इसे फैलाया हुआ है”।

चौंकिए नहीं, ये एनडीटीवी है। जब ये बुरहान मुज़फ्फर वानी जैसे आतंकी का बचाव कर सकती है, कश्मीरी पंडितों के नरसंहार को बरखा दत्त जैसे पत्रकार उचित ठहरा सकते हैं, तो फिर ये तो कुछ भी नहीं है। ऐसे ही जब बीबीसी की वो रिपोर्ट जिसमें उसने भारत को वुहान वायरस का अगला एपिसेंटर बनने की बात कही गई तो भारत ने इसे नकार दिया, तो वहीं अर्थशास्त्री डॉ रमनन लक्ष्मीनारायणन को द वायर ने करण थापर के जरिए अपना मंच उन्हें अफवाहें फैलाने के लिए दिया।

लिहाजा एनडीटीवी को इस ट्वीट के लिए जमकर ट्रोल किया गया। एक यूज़र ट्वीट करते हैं, “चाइना पेड एनडीटीवी लायड”, यानी चीन ने पेमेंट भेजी, और एनडीटीवी ने झूठ बोला”।

एक अन्य यूज़र ने ट्वीट कर कहा “यदि एनडीटीवी ने ऐसा ट्वीट किया है, तब तो पक्का चीन ने किया होगा”

https://twitter.com/ayushk129/status/1242871780580065281?s=20

परन्तु एनडीटीवी इस काम में अकेला नहीं है। द गार्जियन से लेकर WHO जैसे संगठन तक चीन का बचाव करने में लगे हुए हैं, और वे अनुरोध कर रहे हैं कि CoVID 19 वायरस को वुहान वायरस के नाम से ना बुलाएं। द गार्जियन ने तो अपने लेख में स्पष्ट लिखा है कि एक वायरस को बनाने में पूरे विश्व की भागीदारी लगती है, अकेले चीन की नहीं”।

उधर अगर डोनाल्ड ट्रंप को छोड़ दें, तो अब तक किसी भी वैश्विक नेता ने खुलेआम COVID 19 को चीनी वायरस या वुहान वायरस के नाम से संबोधित करने का साहस नहीं किया है। वहीं PR मजबूत करने के अलावा चीन इस विकट स्थिति में भी केवल लाभ कमाने के उद्देश्य से काम कर रहा है।

अब खबर आ रही है कि चीन ने जो टेस्ट किट्स दूसरे देशों को भेजी थी, वह घटिया निकली। Taiwan (ताइवान) के एक न्यूज़ पोर्टल की माने तो चीन ने दोयम दर्जे के टेस्ट किट चेक गणराज्य को भेजे थे, जिसके लिए उसने बहुत मोटी रकम वसूली। एक चेक न्यूज़ साइट iROZHLAS की मानें तो चीन ने डेढ़ लाख टेस्ट किट के बदले 14 मिलियन चेक क्राउन ऐंठे थे। परन्तु उन टेस्ट किट्स में से 80 प्रतिशत घटिया दर्जे के निकले।

हालांकि, ये चीन के लिए कोई नई बात नहीं है, क्योंकि इसी प्रवृत्ति के लिए वह विश्व भर में जाना जाता है। हाल ही में चीन ने श्रीलंका को वुहान वायरस से निपटने के लिए पांच सौ मिलियन डॉलर का लोन ऑफर किया था। अब प्रश्न ये उठता है कि अगर चीन की मंशा वाकई श्रीलंका की मदद करने की थी, तो उसने उसे सीधे तौर पर सहायता ना देकर लोन देने का फैसला क्यों लिया? वह भी तब श्रीलंका की वित्तीय हालत खस्ता हो चुकी है और नए कर्ज़ देश की अर्थव्यवस्था को तबाह कर सकता है।

ऐस में अब चीन अपनी छवि यथावत रखना चाहता है और वौ चाहता है कि किसी भी स्थिति में उसके व्यापार या उसकी वैश्विक छवि को नुकसान ना हो। परन्तु दुर्भाग्य की बात है कि ऐसे कुत्सित विचारों को बढ़ावा देने के लिए एनडीटीवी जैसे चैनल भी चीनियों का साथ दे रहे हैं।

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