“भारत में सब अस्पताल तबाह, Media सरकार की मुट्ठी में” बोलने वाली चीनी Media को चीनी नागरिकों ने धोया

हवाई झूठ फैलाने वाली अपनी ही मीडिया से ऊब चुके हैं चीन के लोग

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चीनी मीडिया को अगर दुनिया की सबसे करप्ट मीडिया कहा जाये, तो यह कोई गलत बात नहीं होगी। चीनी मीडिया चीन की कम्युनिस्ट सरकार के इशारे पर काम करती है और अगर चीनी सरकार को किसी भी देश के खिलाफ जहर उगलना होता है, तो वह अपनी इसी मीडिया का सहारा लेती है। इसी कड़ी में पिछले दिनों चीनी नागरिक द्वारा लिखा एक लेख चीन में लोकप्रिय सोशल मीडिया एप्प we chat पर खूब वायरल हुआ, जिसमें भारत द्वारा कोविड-19 के रोकथाम हेतु उठाए गए कदमों को लेकर भारत का मज़ाक उड़ाया गया और ऐसा दिखाने की कोशिश की मानो भारत में सब चीज़ अस्त-व्यस्त पड़ी है और यहां सभ्यता नाम की तो कोई चीज़ नहीं है।

इस एजेंडे से भरे लेख में लिखा था कि भारत के अस्पतालों में खांसी-बुखार के मरीजों की भरमार है और उन सबको कोरोना हो चुका है, लेकिन कोई भी इनकी तरफ ध्यान नहीं दे रहा। इस लेख में इतना एजेंडा था कि खुद चीनी लोग भी इसपर हैरानी जताने से अपने आप को रोक नहीं पाये और चीनी लोगों ने इसे रिपोर्ट करना शुरू कर दिया। चीन के जागरूक नागरिकों ने इस भ्रामक लेख लिखने वाले चीनी पत्रकार की आलोचना करना शुरू कर दी। इससे स्पष्ट होता है कि चीनी मीडिया के लेखों में एजेंडे की मात्रा इतनी बढ़ चुकी है कि खुद चीन के लोगों ने अब इसे स्वीकारना बंद कर दिया है।

अब आपको उस article की details के बारे में बताते हैं। वो article भारत में चीनी कंपनी के लिए काम करने वाले एक चीनी नागरिक ने लिखा था, जिसमें उसने लिखा कि भारत से हर कोई दूर भागना चाहता है क्योंकि भारतीय लोग हर चीज़ को बर्बाद करने में विश्वास रखते हैं। आगे वह लिखता है कि भारत के अस्पतालों में कोरोना के मरीजों की भरमार है लेकिन यहां उन्हें देखने वाला कोई नहीं है।

आगे वह लिखता है “भारत में कानून व्यवस्था नाम की कोई चींज़ नहीं है। अमीर लोग अपनी सुरक्षा के लिए निजी गार्ड्स रखते हैं। यहां कोई सुरक्षित महसूस नहीं करता। भारत सरकार द्वारा मीडिया को निर्देश दिये गए हैं कि कोई भी सरकार की इजाजत के बगैर कुछ नहीं छापेगा”। द हिन्दू में लेख लिखने वाले अनंत कृष्णन बताते हैं कि जब उनके कुछ चीनी पत्रकार दोस्तों ने उनसे इस लेख में लिखी चीजों की सच्चाई के बारे में पूछा तो उन्होंने जवाब दिया “ये भारत है चीन नहीं”।

https://twitter.com/ananthkrishnan/status/1244108360821043201

इस लेख में भारत के बारे में भर-भरकर नकारात्मकता फैलाई गयी और झूठ बोला गया। लेकिन इसी बीच एक अच्छी बात भी हुई। ऐसे भ्रामक लेख लिखने वाले व्यक्ति की चीन में आलोचना की जाने लगी। लोगों ने सोशल मीडिया पर उस व्यक्ति की खूब खिंचाई की, क्योंकि यह बात कोई सोच भी नहीं सकता है कि भारत में सरकार मीडिया को ऐसा आदेश जारी करेगी जिसके तहत मीडिया को कुछ भी छापने से पहले सरकार से आज्ञा लेनी हो। इसके अलावा भारत में रहने वाले अन्य चीनी नागरिक भी इस लेख में छुपे एजेंडे को भली-भांति पहचान चुके होंगे। इसके अलावा लोगों के जहन में यह प्रश्न भी उठा होगा कि अगर उसे भारत से इतनी प्रॉब्लम है तो वह खुद भारत में क्या कर रहा है?

https://twitter.com/ananthkrishnan/status/1244540359956287490?s=20

चीन के लोग वहां की सरकार की नीतियों के कारण बाहरी दुनिया से नहीं जुड़े हैं। चीन में ट्विटर, फेसबुक और यूट्यूब जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म बैन हैं, जिसके कारण ना तो चीनी लोगों को दुनिया की हकीकत के बारे में पता लग पाता है और ना ही बाहर के लोगों को चीनी लोगों की मानसिकता के बारे में, और इसी बीच जन्म होता है झूठ और गलत जानकारियों का, जिसे ऐसे भ्रामक लेख और बढ़ावा देते हैं।

लेकिन अब चीनी सरकार को समझ लेना चाहिए कि जानकारी किसी बॉर्डर को नहीं जानती, वह आज नहीं तो कल लोगों तक पहुंचकर ही दम लेती है और ऐसा ही अब चीनी नागरिकों के साथ भी हो रहा है। उन्हें दुनिया की सच्चइयों के बारे में पता चल रहा है और इसी के नतीजे में अब चीनी नागरिकों ने चीनी मीडिया के एजेंडे को स्वीकार करने से मना कर दिया है।

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