चीन जैसे-जैसे कोरोना के संकट से बाहर आता जा रहा है और पूरी दुनिया को अपने गिरफ्त में लेते जा रहा है, वैसे-वैसे अब इस वायरस को लेकर दुनिया के सभी देशों की शक की सुई चीन पर जाकर थमनी शुरू हो चुकी है। इसी का उदाहरण हमें कल भी देखने को मिला जब भारत, रूस समेत अमेरिका ने भी जैविक हथियारों के विकास और उनके उपयोग को रोकने हेतु की गई BTWC संधि की 45वीं वर्षगांठ पर दिये अपने-अपने बयानों में कोरोना वायरस शब्द का उपयोग कर लिया। इन सभी देशों ने कोरोनावायरस या इसकी वजह से होने वाली बीमारी Covid-19 का ज़िक्र करते हुए जैविक हथियारों के रोकथाम की ज़रूरत पर प्रकाश डाला।
भारत ने कल जारी किए अपने बयान में कहा “कोरोना वायरस महामारी के प्रभाव ने विश्व स्वास्थ्य संगठन की संस्थागत मजबूती सहित अंतरराष्ट्रीय सहयोग की आवश्यकता को रेखांकित किया है। भारत संधि में शामिल अन्य सदस्य देशों के साथ काम कर रहा है ताकि जैव-खतरों और जैव-आपात स्थितियों से निपटने में प्रभावी भूमिका निभाने के लिए आंकड़े जुटाए जा सकें। भारत का मानना है कि BTWC को नए और उभरते वैज्ञानिक और तकनीकी घटनाक्रम से उत्पन्न चुनौतियों का प्रभावी ढंग से जवाब देना चाहिए”। इस प्रकार भारत ने ना सिर्फ कोरोना को लेकर चीन पर निशाना साध लिया बल्कि WHO की निष्प्रभावी भूमिका को भी लपेटे में लिया।
अमेरिका और रूस ने भी अपने-अपने बयानों में Covid-19 या कोरोनावायरस शब्द का प्रयोग किया और चीन को एक कडा संदेश भेजा। जब से यह वायरस दुनिया के सामने आया है, तभी से कुछ लोग इस वायरस को चीन का कोई जैविक हथियार घोषित करने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन इस बात में कितनी सच्चाई है यह अभी तक किसी को पता नहीं है। लेकिन इतना ज़रूर है कि चीन में अब यह वायरस काबू में आ चुका है और चीन में आम-जनजीवन दोबारा समान्य होता जा रहा है, दुकाने और फैक्ट्रियाँ दोबारा खुलना शुरू हो चुकी हैं, दूसरी तरफ इस वायरस की वजह से पूरी दुनिया लॉकडाउन हो चुकी है।
Interestingly, both the russians & Americans have also mentioned #COVID on the 45th anniversary of Biological weapons convention. https://t.co/hlJM4M10sS pic.twitter.com/B6AegbGESF
— Sidhant Sibal (@sidhant) March 27, 2020
चीन पर यह आरोप भी लग चुके हैं कि उसने WHO के साथ मिलकर पूरी दुनिया को इस वायरस के बारे में झूठ परोसने की कोशिश की और पूरी दुनिया को भ्रमित किया। उदाहरण के लिए WHO ने शुरू में इस बीमारी को लेकर कहा था कि यह एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में नहीं फैलती है, लेकिन डबल्यूएचओ का यह दावा पूरी तरह झूठा साबित हुआ।
कोरोनावायरस ने एक बात तो स्पष्ट कर दी है कि किसी भी महामारी से निपटने में आज की स्थिति में WHO अक्षम है और इसमें बड़े सुधारों की ज़रूरत है। इसके साथ ही कोरोना के आने से दुनिया को फिर एक बार जैविक हथियारों के बड़े खतरों के बारे में पता चल चुका है। चीन जैसे आलोकतांत्रिक और कम पारदर्शी देशों द्वारा जैविक हथियारों का विकास करने की आशंका पहले ही बढ़ी हुई होती है, वहीं कोरोना वायरस जैसे खतरनाक वायरसों के सामने आने से यह आशंका यकीन में बदलती दिखाई दे रही है और भारत, अमेरिका और रूस के बयानों से यह साफ जाहिर है।