जिस BRI प्रोजेक्ट से चीन गरीब देशों को ठगता था, वह कोरोना वायरस की वजह से तबाह हो गया

जिन-जिन देशों में ये प्रोजेक्ट चल रहा है वहां से चीनी भगाए जा रहे हैं

चीन, कोरोना, BRI

दुनिया कोरोना वायरस के प्रकोप से अस्त-व्यस्त हो चुकी है। चीन से अन्य देशों को होने वाली सप्लाई चैन बुरी तरह से प्रभावित हो चुकी है जिसका असर दुनिया के अन्य अर्थव्यवस्था पर स्पष्ट रूप से देखने को मिल रहा है। इस महामारी का चीनी अर्थव्यवस्था के बाद अगर सबसे अधिक प्रभाव कहीं पड़ा है तो वो है इस देश की महत्वकांक्षी प्रोजेक्ट BRI यानि Belt And Road Initiative पर। हालात यह हो चुके हैं कि अन्य देशों में चल रहे इस प्रोजेक्ट पर काम करने वाले चीनी लोग को वापस चीन भेजा जाने लगा है जिसके कारण यह प्रोजेक्ट ठंडे बस्ते में पड़ते जा रहा है।

बता दें कि BRI चीन के राष्ट्रपति शी जिंपिंग की महत्वकांक्षी प्रोजेक्ट में से एक है जिसे चीन ने वर्ष 2013 में शुरू किया था। BRI प्रोजेक्ट के जरीए चीन ने एशिया, यूरोप और अफ्रीका के करीब 70 देशों में निवेश किया है। अब कोरोना वायरस के कारण इन देशों में चल रहे आधारभूत संरचनाओं का निर्माण बुरी तरह से प्रभावित हो गया है। निर्माण में बाधा पैदा होने से चीन की सालों की योजना व अरबों डॉलर की आर्थिक कूटनीति के लिए खतरा पैदा हो गया है।

ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट के अनुसार कोरोना वायरस के कारण चीनी कर्मचारियों को दूसरे देशों में निर्माण साइट पर नहीं जाने दिया जा रहा है जिससे इस परियोजना के लिए काम कर रहे घरेलू कंपनियों में कर्मचारियों की कमी हो गई है। चीनी कर्मचारियों से स्थानीय लोगों को कोरोना वायरस फैलने के डर से ऐसा किया जा रहा है। दिसंबर में वायरस का पहला केस आने के बाद जिन परियोजनाओं को नुकसान पहुंचा है उनमें इंडोनेशिया की 5.5 बिलियन डॉलर की हाई स्पीड रेल लाइन भी शामिल है।

इसे बनाने वाली कंपनी के एक अधिकारी ने बताया है कि कंपनी ने 100 से अधिक चीनी कर्मियों, ज्यादातर स्किल्ड कर्मचारियों और प्रबंधकों को काम करने से मना कर दिया है। ये सभी इंडोनेशिया की राजधानी जकार्ता को बांडुंग के टेक्सटाइल हब से जोड़ने वाली परियोजना पर काम कर रहे थे। Chinese National Immigration Agency के अनुसार, 133 से अधिक देशों ने चीनी नागरिकों या चीन जाने वाले लोगों के प्रवेश पर प्रतिबंध लगा दिया है।

Cambodia Sihanoukville Special Economic Zone में चीनी प्रबंधकों के कार्यालय खाली पड़े हैं, यहां बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव एक “लैंडमार्क प्रोजेक्ट” के रूप में करता है और 160 से अधिक व्यवसायों और 20,000 से अधिक श्रमिकों का घर है।

बांग्लादेश ने भी कई इन्फ्रास्ट्रक्चर परियोजनाओं में देरी की घोषणा की है, जिसमें Payra coal power plant भी शामिल है, जिसका फरवरी के शुरुआत में कमर्शियल परिचालन शुरू करना था। इन परियोजनाओं में लगभग 2000 चीनी कर्मचारी काम करते हैं और उनमें से 40 प्रतिशत चीनी नए वर्ष पर घर गए थे।

वहीं मलेशिया में 10.4 बिलियन डॉलर के ईस्ट कोस्ट रेल लिंक के निर्माण करने वाले लगभग 200 चीनी श्रमिकों में से एक दर्जन वुहान से हैं, जहां कोरोना का प्रकोप शुरू हुआ था। उन्हें वापस मलेशिया वापस जाने की अनुमति नहीं है। इससे मलेशिया में होने वाला काम भी रुका पड़ा है।

पाकिस्तान में चीन की BRI प्रोजेक्ट की कई परियोजनाएं चल रही हैं। वहां काम करने वाली दो कंपनियां एनग्रो पॉलिमर एंड केमिकल्स लिमिटेड और पाकिस्तान ऑक्सीजन लिमिटेड ने भी यह बताया है कि उनकी परियोजनाएं धीमी गति से हो रही हैं।

वहीं श्रीलंका में भी BRI के प्रोजेक्ट्स में व्यापक रुकावट आई है। बता दें कि चीन श्रीलंका के पोर्ट सिटी कोलंबो का निर्माण कर रहा है। श्रीलंका के सीलोन चैंबर ऑफ कॉमर्स ने बताया है कि एक सर्वेक्षण में 100 कंपनियों में से लगभग आधे ने कहा कि कोरोनावायरस के प्रकोप से उनका व्यापार प्रभावित हुआ था। चीन के चैंबर ऑफ कंस्ट्रक्शन इंडस्ट्री के महासचिव निसांका विजेरत्ने ने कहा कि चीनी ठेकेदारों से जुड़ी सरकारी सड़क और अपार्टमेंट निर्माण परियोजनाएं धीमी पड़ चुकी हैं।

ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के अनुसार अमेरिका की अमेरिकन एंटरप्राइज इंस्टीट्यूट और हेरिटेज फाउंडेशन ने 2005 के बाद से 3,600 प्रमुख चीन के विदेशी लेनदेन को ट्रैक किया है, और यह पाया कि पिछले साल आउटबाउंड निवेश कुल $ 68.4 बिलियन था। यह 2018 से 41% कम है और पिछले दशक में सबसे कम है। यह आंकड़ा पिछले साल के कुल विदेशी निवेश में चीनी वाणिज्य मंत्रालय के $124.3 बिलियन के आधिकारिक टैली से भी काफी कम है।

चीन का इन देशों में BRI प्रोजेक्ट के रुकने से गहरा धक्का लगा है। हालांकि अभी भी चीन यही दिखावा कर रहा है कि उसके BRI को अधिक नुकसान नहीं हुआ है लेकिन सच्चाई क्या है सभी को दिख रहा है। BRI के रुकने से चीन के सभी देशों पर पैठ जमाने की कोशिश को भी गहरा झटका लगा है। चीन अपने प्रोजेक्ट के बहाने दूसरे देशों को कर्ज़ के जाल में फंसाकर राजनयिक हित साधने की कोशिश करता है।

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