राष्ट्रवादी vs लिबरल्स- दिल्ली में हुई हिंसा पर बॉलीवुड में दो फाड़

बॉलीवुड

देश में कुछ भी हो, हमारे बॉलीवुड में दो गुट स्पष्ट दिखाई देते हैं। पक्ष में और विपक्ष में। परंतु पूर्वोत्तर दिल्ली में भड़के दंगों पर जिस तरह बॉलीवुड के विभिन्न सितारों की प्रतिक्रिया आई है, उससे स्पष्ट पता चलता है कि बॉलीवुड अभी दो धड़ों में बंटा हुआ है, एक जो केवल लाइमलाइट में बने रहने के लिए देशद्रोहियों का भी समर्थन करने को तैयार है, और दूसरे, सोच समझकर अपने विचारों को सामने रखते हैं।

पहले बात करते हैं उनकी, जो इन दंगों में भी अपना निजी एजेंडा साधने में लगे हुए हैं। पूर्वोत्तर दिल्ली में भड़के दंगों के बाद भी कुछ लोग ऐसे थे, जो इसके लिए भी हिंदुओं को दोषी ठहराने में लगे हुए थे, और कपिल मिश्रा को हिरासत में देखना चाहते थे। इनमें सबसे आगे थीं स्वरा भास्कर, जो न सिर्फ दिल्ली पुलिस के हेड कांस्टेबल रतन लाल की मृत्यु के लिए दिल्ली पुलिस को ही दोषी ठहराया, अपितु सीएए विरोध के नाम पर एनआरसी के बारे में बेतुकी अफवाहें भी फैलाई –

परंतु स्वरा भास्कर के जिस वीडियो पर बहुत कम लोगों का ध्यान गया था, वो था जामिया मिलिया में उपद्रवियों पर हुई पुलिस कार्रवाई पर उनके विरोध का।

अब बात सीएए विरोध की हो, और अनुराग कश्यप का नाम न लिया जाये, ऐसा हो सकता है क्या? दिल्ली में भड़के दंगों के लिए वे प्रारम्भ से ही हिन्दू आतंकवाद की भूमिका पर ज़ोर दे रहे थे और वर्तमान ट्वीट्स को देखकर ऐसा बिलकुल भी नहीं लगता कि वे आगे इस बेतुके सिद्धान्त से ज़रा भी विमुख होने वाले हैं –

परंतु ऐसे भी लोग हैं, जिन्हें पश्चिमी मीडिया की एकतरफा कवरेज बिलकुल भी रास नहीं आई है। इन्हीं में शामिल हैं अभिनेता और हाल ही में फिल्म निर्माण की ओर मुड़े तुषार कपूर, जिन्होंने पश्चिमी मीडिया की एकतरफा कवरेज को लताड़ते हुए ट्वीट किया, यह बहुत ही दुखदायी है जब अंतर्राष्ट्रीय मीडिया हमारे देश के बारे में ऐसी कवरेज करे। अब तो सोचता हूँ कि कहीं उत्तर कोरिया के बारे में इनकी खबरें सच भी हैं या नहीं?”

https://twitter.com/TusshKapoor/status/1234327063860928512

इस पर जब अभिनेता संजय खान की बेटी फराह खान अली ने तुषार को घेरने का प्रयास किया, तो तुषार ने उसे फराह को आइना दिखाते हुए कहा, लगता है आपने अपनी सुबह की कॉफी नहीं ली है, क्योंकि अर्ध सत्य को अंतर्राष्ट्रीय मीडिया द्वारा प्रकाशित करना स्थिति को नकारने से भी बुरा है। तो जागने की ज़रूरत आपको है, मुझे नहीं”

अब इनकी फिल्म choices उतनी आकर्षित हो न हो, परंतु इस बार तुषार कपूर ने बात पते की कही है। परंतु तुषार कपूर अकेले नहीं हैं जिन्होंने संकट के इस समय में भी अपना संयम कायम रखा। जब रिचा चड्ढा जैसी अभिनेत्री मोहम्मद शाहरुख के चित्र को ट्वीट करते हुए दिल्ली पुलिस को दंगों के लिए दोषी ठहरा रही थी, तो अभिनेत्री रवीना टंडन ने उसे आड़े हाथों लेते हुए ट्वीट किया, “हाँ, सही है आप। दिल्ली पुलिस काफी overworked हैं, और उनका एक जवान मारा गया। काश आप इनके लिए भी कुछ समवेदनाएँ प्रकट करती। उनकी [आपकी तरह] लाइफ हमारी तरह लक्ज़री से भरी हुई नहीं है, और उन्हें एक thankless जॉब का हिस्सा बनना पड़ा है, और हम लोग उनपर अनावश्यक दबाव बढ़ा रहे हैं” –

फलस्वरूप रिचा को अपना ट्वीट डिलीट करना पड़ा। वहीं परेश रावल खुलकर दिल्ली के दंगों में भी एजेंडा साधने वालों के विरुद्ध अपने तरीके से टूट पड़े, और उन्होंने प्रमुख रूप से रवीश कुमार जैसे लोगों को आड़े हाथों लिया। जब रवीश कुमार ने मोहम्मद शाहरुख को अनुराग मिश्रा बनाने की कोशिश की, तो परेश रावल ने पूर्व सैन्य अफसर और खिलाड़ी, मेजर सुरेन्द्र पूनिया का ट्वीट शेयर करते हुए कहा, ‘कोई मीडिया है तो कोई भेड़िया भी’ –

इतना ही नहीं, जब विजेंदर सिंह ने इन दंगों में भी 2002 का मुद्दा घसीटने की कोशिश की, तो परेश रावल ने अपने ही अंदाज़ में ट्वीट किया, “जनाब आपको बॉक्सिंग और बकवास में फर्क समझ लेना चाहिए” –

 

जहां दिल्ली के दंगों पर बॉलीवुड के कई हस्तियों ने संयम बरतने और शांति कायम करने की अपील की, तो वहीं स्वरा भास्कर और अनुराग कश्यप जैसे लोग भी थे, जिनहोने इसे हिन्दू आतंकवाद और 2002 के दंगों से जोड़ने का प्रयास किया था। परंतु तुषार कपूर के ट्वीट्स से जो घमासान मचा, उससे सिद्ध हो गया कि अब वामपंथी पूरे बॉलीवुड को अपने इशारों पर नहीं नचवा सकते।

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