हाल ही में भारत के कस्टम अधिकारियों ने गुजरात के कांडला बंदरगाह पर 3 फरवरी को चीन के ‘दा क्वी योन’ नाम की एक शिप को कब्जे में लिया था। इस शिप की जांच कर रहे रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) के विशेषज्ञों ने कुछ सनसनीखेज तथ्यों को उजागर करते हुए चीन और पाकिस्तान के बीच जारी परमाणु सांठ-गांठ को एक्सपोज किया है।
हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, नाम न छापने की शर्त पर जांच कर रहे डीआरडीओ के कुछ अफसरों ने बताया कि ज़ब्त जहाज़ से एक ऑटोक्लेव पाया गया है, जिसे डबल्यूएमडी यानि weapons of mass destruction में प्रयोग हो सकता है। अफसर के अनुसार, “इस ऑटोक्लेव का उपयोग लंबी दूरी तक जाने वाली मिसाइल के निर्माण में होता है। इसका उपयोग मिसाइल लॉन्च के लिए आवश्यक मोटर के निर्माण में भी हो सकता है। इस समय पाकिस्तान के पास 1500-2000 मील दूर तक निशाना साधने योग्य शाहीन-II मिसाइल है, जिसके लिए पिछले वर्ष मई में प्लेटफ़ार्म टेस्टिंग भी हुई थी”।
बता दें कि 3 फरवरी को गुजरात के कांडला बन्दरगाह पर भारतीय कस्टम अधिकारियों ने पाकिस्तान के कराची की ओर जा रहे एक ऐसे vessel को दबोचा जिस पर हॉन्ग-कॉन्ग का झण्डा लगा हुआ था। इस जहाज़ की संदिग्धता के बारे में खुफिया एजेंसियों ने पहले ही कस्टम अधिकारियों को सतर्क कर दिया था, और फलस्वरूप कांडला पोर्ट के आस-पास मुस्तैदी बरती जा रही थी।
जब अधिकारियों ने इस जहाज को पकड़ा तो इसमें रक्षा उपकरणों से जुड़ा सामान रखा हुआ मिला, जबकि इस जहाज पर सवार लोगों का दावा था कि उनके जहाज में इंडस्ट्रियल ड्रायर रखा हुआ है। हालांकि, उनका यह झूठ जल्द ही एक्स्पोज़ हो गया। अब DRDO उस समुद्री जहाज की जांच कर रहा है।
इतना ही नहीं, जांच पड़ताल में ये भी पता चला है कि ये जहाज़ चीन की यांग्त्जे नदी पर मौजूद जियांग्यिन पोर्ट से चला था, और उसे पाकिस्तान के कराची पोर्ट पहुंचना था। इस vessel के चीन और पाकिस्तान से सीधा लिंक होने के कारण इस पर संदिग्ध होने का संदेह और बढ़ गया है, और अब ऑटोक्लेव की उपस्थिति ने चीन और पाकिस्तान के नापाक इरादों को एक बार फिर से उजागर कर दिया है।
अब इस बात में कोई संशय नहीं है कि पारंपरिक युद्ध में पाकिस्तान हमारे सामने कहीं नहीं ठहरता, और भारत की मौजूदा क्षमता इतनी है कि चीन से भी नाको चने चबवा सकता है। इसीलिए चीन और पाकिस्तान ने दूसरे विकल्प चुने हैं, जिनमें प्रमुख है समुद्री मार्ग।
पिछले वर्ष दिसंबर में भारतीय नौसेना ने अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह के पास एक चीनी जहाज को शोध कार्य करते हुए पकड़ा था और उसे वापस लौटने पर मजबूर किया था। तब भारत ने चीनी नौसेना को साफ तौर पर चेतावनी देते हुए कहा था कि अगर उसे हिन्द महासागर में ऐसी किसी भी गतिविधि को अंजाम देना है, तो हमसे इजाजत लिए बिना वह ऐसा नहीं कर सकता।
इसके अलावा चीन और पाकिस्तान ने अरेबियन सी में मिलकर “sea guardian” संयुक्त युद्धाभ्यास को भी अंजाम दिया था। चीन और पाक की संयुक्त समुद्री चुनौती से निपटने के लिए भारत ने तब अपने सबसे बड़े विमानवाहक पोत आईएनएस विक्रमादित्य को अरब सागर में उतारा था। आईएनएस विक्रमादित्य को तैनात करके भारत ने संकेत दिया था कि वह किसी भी चुनौती का सामना करने के लिए हमेशा तैयार है।
पाकिस्तान और चीन भारत के विरुद्ध अपने इरादे जगजाहिर करने का कोई भी अवसर हाथ से जाने नहीं देना चाहते। परंतु भारत की तीनों सेनाएं अपने मातृभूमि की रक्षा हेतु तैनात खड़ी हैं। अब इस चीनी जहाज़ को पकड़कर भारत ने चीन के साथ पाकिस्तान को भी यह कड़ा संदेश दिया है कि हिन्द महासागर तो क्या, भारत के विरुद्ध हर चाल को ऐसे ही नष्ट किया जाएगा।