“यूरोप का मरीज” कहा जाने वाला तुर्की पूरे यूरोप को बीमार बना देगा

तुर्की

PC: jubileepost.in

सीरिया में एक बार फिर युद्ध की स्थिति बन चुकी है। आये दिन दोनों देशों की तरफ से एकदूसरे पर हमले की खबरें सामने आ रही हैं। इस युद्ध ने एक बार फिर से यूरोप को अस्थिर कर दिया है और कारण है सीरिया से शरणार्थीयों का यूरोप में जाना। तुर्की ने यूरोप को धमकी देते हुए अवैध प्रवासियों के लिए गुरुवार को अपनी सीमाएं खोलने का ऐलान किया था। यह मानव त्रासदी फिर से एक बाद वर्ष 2015 की जैसी हालत पैदा कर दिया है।

तुर्की के संचार निदेशक फहार्टिन अल्तुन ने रविवार को कहा कि उनके देश की उत्तर-पश्चिम सीमा से अब तक 80 हजार से ज्यादा अवैध प्रवासी यूरोप जा चुके हैं। तुर्की से होते हुए ये सभी अवैध प्रवासी ग्रीस की सीमा पर जमा हो रहे हैं। DW की रिपोर्ट के अनुसार तुर्की के सीमा खोलने के फैसले के बाद कम से कम 600 लोग समुद्री रास्ते से ग्रीस के लेसबोस, चियोस और सामोस द्वीपों पर पहुंचे हैं। ये द्वीप तुर्की के समुद्र तट से कुछ ही घंटों की दूरी पर हैं। प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया है कि कुछ शरणार्थी इव्रो नदी पार कर ग्रीक सीमा में पहुंचे हैं। अभी तक 13,000 लोग इस सीमा पर जमा हो चुके हैं। तुर्की और ग्रीस की सीमा पर स्थिति तनावपूर्ण है। ग्रीस में घुसने की कोशिश कर रहे सैकड़ों शरणार्थियों को पीछे ढकेलने के लिए पुलिस ने आंसू गैस के गोले छो़ड़े हैं। ग्रीस के उप रक्षा मंत्री अलकिवदीस स्टेफनिस ने बताया कि स्थानीय ब्रॉडकास्टर स्काई ने शनिवार से रविवार रात के दौरान ग्रीस की सीमा को अवैध रूप से पार करने के करीब हजारों प्रयास किए। DW के अनुसार ग्रीस ने अपनी सीमा पर सुरक्षा बंदोबस्त उच्चतम स्तर पर बढ़ा दिया है। राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद की बैठक के बाद ग्रीस के प्रधानमंत्री किरियाकोस मित्सोताकिस ने ये घोषणा की है। तुर्की द्वारा सीमा को खोले जाने के बाद देश के उत्तर पूर्व में थल और जल सीमाओं पर गश्त बढ़ा दी गई है। ग्रीस सरकार के प्रवक्ता ने कहा है कि उनका देश अगले एक महीने तक शरण का कोई नया आवेदन स्वीकार नहीं करेगा। उन्होंने अपने देश के लिए विषम सुरक्षा खतरे की बात कही है।

बता दें कि तुर्की में इस समय 37 लाख सीरियाई शरणार्थी हैं। इसके साथ ही अफ़ग़ानिस्तान जैसे कई देशों के प्रवासी भी मौजूद हैं लेकिन तुर्की ने अपने यहां इनको रोक रखा था क्योंकि तुर्की को यूरोपीयन यूनियन के ज़रिए आर्थिक सहायता मिलती है। हालांकि, एर्दोगान ने अब यूरोपीयन यूनियन पर वादे तोड़ने का आरोप लगाया है।

गौरतलब है कि सीरिया के उत्तर पश्चिमी प्रांत इदलिब पर हुए हमले में मारे गए अपने 33 सैनिकों के जवाब में तुर्की ने यह कदम उठाया है जिससे आने वाले समय में यूरोप को ही परेशानी से गुजरना पड़ेगा।

चार साल पहले 2015-2016 में ग्रीस के रास्ते लाखों शरणार्थी यूरोप आए थे। 40,000 शरणार्थी अभी भी ग्रीस के एजियन द्वीपों पर फंसे हुए हैं। इसके साथ शुरू हुए संकट ने न सिर्फ यूरोप को विभाजित कर दिया बल्कि, कई देशों में इसके खिलाफ आंदोलन भी हुए। शरणार्थी संकट के चलते लगातार होने वाली हारों के बाद जर्मन चांसलर एंजेला मर्केल ने पार्टी प्रमुख के पद से इस्तीफा दे दिया था। तुर्की हमेशा से ही इन शरणार्थियों को ढाल बना कर यूरोप के देशों से अपना काम निकलवाता आया है। अब फिर से इस बार भी एर्दोगान वही कर रहे हैं जिससे फ़्रांस जैसे देशों के साथ तुर्की का रिश्ता बिगड़ता जा रहा है। विश्व इतिहास में तुर्की को ‘सिक मैन ऑफ यूरोप’ कहा जाता है। ऐसा लगता है कि ‘सिक मैन ऑफ यूरोप’ अब पूरे यूरोप को सिक(Sick) बना रहा है।

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