चीन के वुहान शहर में उत्पन्न वुहान वायरस अब धरती के 169 देशों में तेजी से फैल रहा है। ये साढ़े तीन लाख से ज़्यादा लोगों को अपनी चपेट में ले चुका है और 15000 से ज़्यादा लोगों की जान भी ले चुका है। इटली, अमेरिका और स्पेन में हालात तो और भी ज़्यादा बुरे हैं, जहां हजारों की तादाद में केस सामने आ रहे हैं।
पर क्या आपने सोचा है कि आखिर ऐसे देशों में वुहान वायरस से संक्रमण में इतना जबरदस्त उछाल कहां से आया? इसके पीछे कारण है पश्चिमी देशों के युवा वर्ग द्वारा इस महामारी को एकदम हल्के में लेना। कई जगह तो दिशानिर्देश जारी होने के बाद भी युवा वर्ग नियमों को तोड़ने में लगा रहा। फलस्वरूप इटली, जर्मनी, स्पेन, यूके और अब USA में हालात बद से बदतर हो चुके हैं।
शुरु में ये रिपोर्ट्स सामने आई कि वृद्धों में संक्रमण का डर ज़्यादा है, जिससे युवाओं में ये गलत धारणा बैठ गई कि उन्हें कुछ भी नहीं होने वाला और ये बीमारी केवल बूढ़ों को होती है। इस कारण कई देशों में युवाओं ने सोशल distancing के आह्वान की अवहेलना भारी संख्या में की, और फलस्वरूप अब इन देशों में केस बहुत भारी तादाद में बढ़ते जा रहे हैं।
उदाहरण के तौर पर अमेरिका में वुहान वायरस को लेकर दिशा निर्देश जारी किए गए, तो उसका उल्लंघन करने में फ्लोरिडा की जनता सबसे आगे रही। रविवार को फ्लोरिडा के सबसे प्रसिद्ध समुद्री तटों पर तेरह हज़ार से भी ज़्यादा लोग इकट्ठा हुए थे, जिनमें से कुछ तो वुहान वायरस से भी संक्रमित थे।
अब आलम है है कि वुहान वायरस के कुल मामलों में अमेरिका ने स्पेन को भी बहुत पीछे छोड़ दिया है, और कुल मामलों में वह विश्व में तीसरे नम्बर पर आ चुका है। इसी भांति ऑस्ट्रेलिया में भी जब प्रधानमंत्री ने सोशल distancing का आह्वान किया, तो ऑस्ट्रेलियाई नागरिक उल्टे बीच पर भीड़ जमाने लगे।
परन्तु यह विद्रोह केवल अमेरिका तक ही सीमित नहीं है। स्पेन में भी सोशल distancing से बचने के लिए नायाब तौर तरीकों का प्रयोग किया गया है। चूंकि स्पेन में लॉकडाउन के समय पालतू पशुओं को कम समय के लिए बाहर घुमाने की अनुमति दी गई है, और इसका स्पेन कुछ अलग ही तरह से फायदा उठा रही है। कहीं डायनोसोर के कॉस्ट्यूम में पशु घुमा रहे हैं, तो कहीं बकरों के गले में पट्टा बांध उन्हें मोहल्ले भर में घुमाया जा रहा है।
यूके और जर्मनी के बारे में तो मत ही पूछो भाईसाब, वहां तो अलग ही राग चल रहा है। जर्मनी में कोरोना पार्टी चल रही है, जहां वृद्धों का ना सिर्फ मज़ाक उड़ाया जा रहा है, अपितु उन पर थूका जा रहा है। यूके की जागरूक युवा पीढ़ी वास्तव में बेहद गैर जिम्मेदार है जिसके बारे में यहां उल्लेख कर पाना असंभव है।
इसी तरह फ़्रांस में भी हालत कुछ बेहतर नहीं हैं। एक लाख से ज़्यादा सुरक्षाकर्मी फ़्रांस में सक्रिय हैं और उन लोगों पर फाइन लगा रहे हैं, जो फालतू में बाहर घूम रहे हैं। अब तक बाईस हज़ार से भी ज़्यादा लोगों पर जुर्माना लगाया जा चुका है।
सच कहें तो कुछ पश्चिमी देशों में वुहान वायरस में ज़बरदस्त उछाल वहां के युवाओं की लापरवाही के कारण ही आया है। आ बैल मुझे मार की तर्ज पर चलने वाले ये लोग अपनी ही मृत्यु का निमंत्रण देने पर तुले हुए हैं।