कमलनाथ से लेकर रेड्डी तक: सभी राज्य सरकारों की उदासीनता की वजह से कोरोना महाविपदा में बदल सकता है

वुहान वायरस

जहां एक ओर दुनिया वुहान वायरस के प्रकोप से जूझ रही है, भारत उन चंद देशों में से हैं जो इस घातक बीमारी के सामने अभी झुका नहीं है, क्योंकि केंद्र सरकार इस बीमारी से लड़ने के लिए एड़ी चोटी का ज़ोर लगा रही है। परंतु केंद्र सरकार की मेहनत पर कुछ राज्य सरकारें अपनी लापरवाही से पानी फेरने में लगी हुई है।

आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री जगन मोहन रेड्डी ने सभी को चौंकाते हुए दावा किया कि वुहान वायरस को केवल पैरासिटामोल से ठीक किया जा सकता है। पूर्व मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने इस बात के लिए जगन को खरी खोटी सुनाते हुए ट्वीट किया, ‘कोरोना वायरस काफी जान ले चुका है, और ये बहुत तेज़ी से फैलता है। इसे हल्के में बिलकुल नहीं ले सकते, खासकर उस व्यक्ति द्वारा बिलकुल नहीं, जो सीएम के पद पर बैठा हो। मुझे हैरानी होती है कि जगन रेड्डी इस तरह की बात कर रहे हैं”।

परंतु जगन रेड्डी अकेले व्यक्ति नहीं थे। उनकी बातों में हाँ में हाँ मिलाते हुए तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चन्द्रशेखर राव ने कहा, कोरोनावायरस के बारे में घबराना नहीं है। सिर्फ पैरासिटामोल ही काफी है”

यदि किसी राज्य का मुख्यमंत्री इस तरह का बचकाना बयान दे, तो वहाँ की स्थिति का आप अंदाज़ा लगा सकते हैं। परंतु ये स्थिति हमारे देश के कुछ ऐसे राज्यों में बड़ी आम बात है, जहां के मुख्यमंत्रियों के लिए जनता की सुरक्षा से ज़्यादा अहम सत्ता में अपनी पकड़ मजबूत करना है। उदाहरण के लिए कमलनाथ को ही देख लीजिये। मध्य प्रदेश की जनता को वुहान वायरस से सुरक्षा प्रदान करने से ज़्यादा अहम उनके लिए अपनी सरकार बचाना है। वुहान वायरस के बारे में उनके विचार पूछे जाने पर उन्होने उत्तर दिया, “राजनीति वुहान वायरस से ग्रसित है”। यदि इस वायरस ने मध्य प्रदेश में पाँव पसारे, तो एमपी स्पष्ट रूप से इस समस्या से निपटने में अक्षम दिखाई दे रहा है।

इधर केरल का मामला सबसे पेचीदा है। भारत में वुहान वायरस ने केरल के जरिये ही पैर पसारे थे। परंतु ऐसे नाजुक स्थिति में भी सरकार को लचर व्यवस्था को दुरुस्त करने में कोई भी दिलचस्पी नहीं है। हाल ही में दो विदेशी, जो दोहा से पधारे थे, अलप्पुज़ः मेडिकल कॉलेज से भाग गये। इस जोड़ी को अभी भी ढूंढा जाना बाकी है।

केरल सरकार ने शुरू में इटली से आने वाले लोगों की स्क्रीनिंग करने के  केंद्र सरकार के आदेश की अवहेलना  की। फलस्वरूप इसी लापरवाही के चलते इटली से आया एक नागरिक वुहान वायरस से संक्रमित पाया गया है। इसके अलावा कोच्चि अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे पर डॉक्टरों की नियुक्ति नहीं की गई थी।

केंद्र सरकार ने 26 फरवरी को इटली से आने वाले लोगों की निगरानी करने का निर्देश दिया था। इस पर केरल विधानसभा के कांग्रेस समर्थित विपक्ष ने आरोप लगाया कि राज्य सरकार ने सूचना के इस महत्वपूर्ण पहलु को छुपा दिया। पंजाब सरकार ने वुहान वायरस के प्रति अपनी उदासीनता प्रदर्शित करते हुए बताया कि वायरस प्रभावित देशों में यात्रा इतिहास वाले 335 यात्री untraceable है।

परंतु इन सब की तुलना में उत्तर प्रदेश की तस्वीर बिलकुल अलग है। योगी सरकार ने वुहान वायरस के खिलाफ नकेल कसते हुए एक मजबूत उदाहरण पेश किया है। सरकार के वर्तमान निर्णय के अनुसार जो भी राज्य में वुहान वायरस के खिलाफ प्रतिक्रिया में सहयोग नहीं करते हैं उनके विरुद्ध कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

वुहान वायरस एक ऐसा खतरनाक वायरस है जो दुनिया के कई देशों में महामारी बन चुका है। ऐसे में राज्य और केंद्र सरकार दोनों को घातक वुहान वायरस से लड़ने के लिए मिलकर काम करना होगा, और जो सरकारें लापरवाही कर रही हैं, वो राज्य के लिए बिलकुल सही नहीं है।

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