‘Hinduphobia सच है’ जो लोग कहते हैं हिंदुओं के साथ भेदभाव नहीं होता उन्हें तुलसी गबार्ड का जवाब

अमेरिका में हिन्दूफोबिया कोई नयी बात नहीं है और अमेरिका की मीडिया और कुछ राजनेता इसे अपनी वोटबैंक की राजनीति के लिए जानबूझकर भड़काते हैं। अमेरिकी मीडिया और राजनेताओं की पहले CAA और फिर दिल्ली दंगों पर रिपोर्टिंग और बयानबाजी देखकर यह आसानी से समझा जा सकता है। अब यही बात अमेरिका की पहली हिन्दू सांसद और डेमोक्रेट्स पार्टी की ओर से राष्ट्रपति चुनाव लड़ने की दावेदारी पेश करने वाली तुसली गबार्ड ने भी कही है। हाल ही में अमेरिका में एक उबर ड्राईवर द्वारा धर्म के आधार पर एक हिन्दू महिला के साथ बदतमीजी करने को लेकर सांसद तुलसी गबार्ड ने ये बात कही।

तुलसी गबार्ड ने हिन्दू महिला के साथ हुए इस वाकया से संबन्धित फेसबुक पोस्ट को ट्वीट करते हुए लिखा “बदकिस्मती से हिंदूफोबिया एक सच है। मैंने कांग्रेस और राष्ट्रपति उम्मीदवारी के अपने अभियान के दौरान हर बार इसे प्रत्यक्ष तौर पर महसूस किया है। ये तो सिर्फ़ एक उदाहरण है कि हमारे देश में हिंदुओं को क्या झेलना पड़ता है। दुखद तो ये है कि इसके बावजूद हमारे नेता और मीडिया इसे न केवल बर्दाश्त करते हैं, बल्कि इसे और भड़काते हैं”।

बता दें कि इससे पहले यह खबर सामने आई थी कि अमेरिका में एक उबर ड्राईवर ने दिल्ली में हुई हिंसा को लेकर हिन्दू महिला के साथ बदसलूकी की थी। उस ड्राईवर ने पहले यह सुनिश्चित किया कि वह महिला भारत से है और फिर कहा कि तुम लोग भारत में मुस्लिमों को मार रहे हो। इसके बाद जब ड्राईवर और महिला के बीच विवाद बढ़ा तो ड्राइवर ने उस महिला की बहन को कार से नीचे उतार दिया। इस घटना पर टिप्पणी करते हुए ही तुलसी ने बताया कि कैसे अमेरिका में हिन्दूफोबिया एक सच है और उन्होंने खुद इस बात को महसूस किया है।

बता दें कि भारत में सीएए आने के बाद से ही अमेरिकी मीडिया दुनियाभर में हिंदुओं के खिलाफ जहर उगलने का काम कर रही है। इसके अलावा अमेरिका के लिबरल राजनेता भी बार बार हिंदुओं को निशाना बनाने से नहीं चूकते हैं। दिल्ली हिंसा के बाद यह सब अचानक बढ़ गया। दिल्ली हिंसा को अमेरिकी अखबारों ने ऐसा करके दिखाया मानो हिंदुओं ने भारत में मुस्लिमों को खत्म करने का बीड़ा उठा लिया है। इसका एक और उदाहरण आप दिल्ली दंगों पर न्यू यॉर्क टाइम्स की कवरेज के रूप में दिख जाएगा। इस अखबार ने दिल्ली पुलिस पर मुस्लिमों के खिलाफ पक्षपाती रवैया रखने का आरोप लगा डाला, और इसके साथ ही कहा कि दिल्ली पुलिस इस दंगे से निपटने में असफल रही।

इसी प्रकार अमेरिका के एक मशहूर अखबार द वॉल स्ट्रीट जर्नल में अंकित शर्मा की मौत से जुड़ा एक झूठा दावा किया गया था। अखबार ने अपनी रिपोर्ट में अंकित शर्मा के भाई के साथ फोन पर हुई बातचीत के हवाले से लिखा था कि अंकित शर्मा की हत्या जिस भीड़ ने की वो जय श्री राम के नारे लगा रही थी। बाद में अंकित शर्मा के भाई ने ही इस खबर को आधारहीन बताकर इस फेक न्यूज़ का पर्दाफाश कर डाला।

इसके अलावा इन दंगों पर अमेरिकी लिबरल राजनेताओं का रुख भी काफी पक्षपाती रहा है। दिल्ली में हिंसा की घटनाओं को जब राष्ट्रपति ट्रम्प ने ‘भारत का आंतरिक मामला’ बताया था तो ट्रंप की कड़ी निंदा करते हुए अमेरिकी राष्ट्रपति पद के लिए डेमोक्रेटिक उम्मीदवार बर्नी सैंडर्स ने कहा था कि यह मानवाधिकार पर नेतृत्व की विफलता है। सैंडर्स ने ट्वीट कर कहा था “20 करोड़ से अधिक लोग भारत को अपना घर मानते हैं। बड़े स्तर पर हुए मुस्लिम विरोधी भीड़ हिंसा में कम से कम 27 लोगों की मौत हो चुकी है और कई लोग घायल हो गए हैं। ट्रंप ने जवाब देते हुए कहा कि यह भारत को देखना है। यह मानवाधिकार पर नेतृत्व की विफलता है”।

अमेरिका के राजनेताओं और मीडिया का यह सालों का एजेंडा ही है जो अब अमेरिकी लोगों को हिंदुओं के खिलाफ भड़का रहा है। असल में यह पश्चिमी देशों में बढ़ रहे इस्लामोफोबिया को काउंटर करने के लिए किया जा रहा है। हिंदुफ़ोबिया बेशक आज अमेरिका की सड़कों पर देखने को मिल रहा हो, लेकिन यह सिर्फ और सिर्फ झूठ के बल पर कई सालों से तैयार किया जा रहा एजेंडा है।

 

Exit mobile version