वुहान वायरस के पूरी दुनिया में फैलने के बाद अब इस वायरस के गढ़ यानि वुहान में इस वायरस के नए मामले सामने आने बंद हो गए हैं। चीनी प्रशासन के मुताबिक पिछले लगभग एक हफ्ते से वुहान में कोई भी नया मामला सामने नहीं आया है। कल वुहान में एक मामला ज़रूर सामने आया था, लेकिन चीन अभी पूरी दुनिया में इसी बात का ढिंढोरा पीटना शुरू कर चुका है कि उसने अपने यहां वुहान वायरस को काबू कर लिया है। हालांकि, हाँग-काँग मीडिया में अभी ऐसी कुछ रिपोर्ट्स सामने आ रही हैं जो इस दावे के परखच्चे उड़ाने के लिए काफी हैं। हाँग-काँग मीडिया ने दावा किया है कि स्थानीय प्रशासन ने अब सरकारी आंकड़ों को सही साबित करने के लिए संभावित मरीजों का टेस्ट करने से ही मना कर दिया है।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक चीन ने वुहान वायरस से निपटने के लिए वुहान में जो 10 के करीब अस्थायी अस्पताल बनाए थे, उनको भी सरकार द्वारा अब बंद कर दिया गया है। कुल मिलाकर चीनी सरकार अब यह दिखाना चाहती है कि चीन से कोरोना खत्म होने वाला है, लेकिन वुहान के नागरिक ऐसा नहीं मानते हैं। हाँग काँग मीडिया से बातचीत में वुहान के एक नागरिक ने बताया कि अस्पतालों में अब मरीजों का “मेडिकल नहीं बल्कि पॉलिटिकल ट्रीटमेंट किया जा रहा है”।
हाँग काँग मीडिया से बातचीत में वुहान के रहने वाले एक व्यक्ति ने बताया “मेरी 70 वर्षीय माँ को पहले हॉस्पिटल से डिस्चार्ज किया गया था लेकिन अब उन्हें दोबारा न्यूमोनिया हो गया है। उन्हें isolation में रखा गया है लेकिन अस्पताल वाले उन्हें एडमिट करने से मना कर रहे हैं। मैं अपना घर छोड़कर भी कहीं नहीं जा सकता, क्योंकि अभी यहां लॉकडाउन है। मैं बहुत असहाय महसूस कर रहा हूँ”।
“In front of the fever clinic at #Wuhan Union Hospital, people are lining up again. How come there are so many people?"
As #China announced 0 new #CCPvirus infections, residents reported long lines at hospitals while more facilities were being set up to accommodate patients. pic.twitter.com/AqR2fTec7a
— China in Focus – NTD (@ChinaInFocusNTD) March 25, 2020
इसी तरह एक अन्य शख्स ने भी हाँग काँग मीडिया को यही बात स्पष्ट किया। ज़्हांग यी के मुताबिक उसकी माँ दिल की मरीज है और उसने अस्पताल में यह देखा है कि कोरोना के संदिग्ध मरीजों को बिना टेस्टिंग के ही वापस लौटाया जा रहा है। उनके मुताबिक अभी वुहान में कोरोना का कोई भी मरीज़ नहीं दिखाना वुहान प्रशासन की राजनीतिक मजबूरी है।
दरअसल, एक तरफ जहां चीन की कम्युनिस्ट पार्टी में शी जिनपिंग की पकड़ कमजोर होती जा रही है, तो वहीं चीन के आम लोगों में भी शी के खिलाफ गुस्सा बढ़ता जा रहा है। ऐसे में यह चीनी प्रशासन की मजबूरी हो गयी है कि वह अपने यहां हालातों को बिलकुल समान्य दिखाये। इसी कड़ी में चीन ने 8 अप्रैल से वुहान को दोबारा खोलने के लिए भी अनुमति दे दी है, यानि यहां के लोग आराम से चीन के बाकी हिस्सों में ट्रैवल कर पाएंगे, और फैक्ट्रियाँ भी दोबारा खोल दी जाएंगी।
हाँग काँग मीडिया के इस दावे से इतना तो साफ है कि चीन से बाहर आने वाली अभी किसी भी खबर पर भरोसा नहीं किया जा सकता। चीन पर पहले ही कोरोना के मामले कम करके दिखाने और इस बीमारी से जुड़े कई संवेदनशील डेटा को साझा न करने के आरोप लग चुके हैं, ऐसे में अब अगर वह अपने यहां इस बीमारी के खात्मे का झूठा दावा करता है, तो ना सिर्फ इससे दुनिया भ्रमित होगी बल्कि कोरोना के खिलाफ लड़ाई में भी चीन पूरी दुनिया को पीछे धकेल देगा।